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ITR फाइल करने से पहले जानें आपके लिए कौन सा फॉर्म है सही, न करें ये गलतियां - इनकम टैक्स रिटर्न

टैक्यपेयर्स अब असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए अपना ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) भर सकते हैं. लेकिन इससे पहले जानें कि आपकी इनकम के हिसाब से कौन सा फॉर्म सही है. फॉर्म को भरते समय किन- किन बातों का ध्यान रखें...

IT return for 2022-23
IT return for 2022-23
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Published : May 27, 2023, 2:03 PM IST

हैदराबाद : पिछले वित्त वर्ष का इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का समय आ गया है. आईटी विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक जिन लोगों को ऑडिट की जरूरत नहीं है, उन्हें 31 जुलाई तक ITR फाइल करना होगा. तो आइए जानते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 (आकलन वर्ष 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय किन- किन गलतियों से बचना चाहिए और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

पहली चीज ये कि करदाता को सभी ITR फॉर्म के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए. ताकि वह सही फॉर्म का चुनाव कर सके. क्योंकि ज्यादातर करदाता ये नहीं जानते कि ITR फॉर्म 7 तरह के होते हैं. सभी फार्मों की अपनी विशेषता होती है. तो आइए सभी फॉर्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिससे आप फार्म चुनने में होने वाली गलतियों से बच सके.

किन लोगों को कौन सा ITR फार्म चुनना चाहिए
ऐसे लोग जो सैलरी, रुम रेंट और इंटरेस्ट मिलाकर सालाना 50 लाख रुपये कमाते हैं. उन्हें ITR-1 फाइल करना चाहिए. वहीं, संयुक्त परिवार वाले व्यक्ति या संगठन, जो सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें ITR-4 दाखिल करना चाहिए. लेकिन किसी परिवार से अगर कोई एक व्यक्ति सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है तो उसे ITR-2 फार्म का ऑप्शन चुनना चाहिए.

ऐसे लोग जो ITR-1 और ITR-2 को लेकर कंफ्यूज है, वह ITR-3 का ऑप्शन चुन सकते हैं. वहीं, शेयरों में लेन-देन करते समय आपको किए गए ट्रांजेक्शन के आधार पर ITR-2 या ITR-3 चुनना होगा. अन्य डॉक्यूमेंट कंपनियों और व्यावसायिक संस्थाओं पर लागू होते हैं. लोगों का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. ध्यान रखें कि ITR फाइल करते समय आय से जुड़ी सभी डिटेल्स जरूर दें. हालांकि कुछ लोग कुछ आय का उल्लेख नहीं करते हैं. यह कानून तोड़ने के समान है.

पढ़ें : New VS Old Income Tax Regime : जानें कौन सा टैक्स स्लैब है आपके लिए फायदेमंद

ITR फॉर्म में इन संपत्तियों का भी करें जिक्र
यदि आईटी विभाग उल्लंघन का पता लगाता है, तो नोटिस भेजने की संभावना है. ज्यादातर लोग सिर्फ अपनी सैलरी ही डालते हैं. बैंक बचत खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बीमा पॉलिसियों और पीपीएफ ब्याज से होने वाली आय को नजरअंदाज कर देते हैं. जबकि नियम कहते हैं कि छूट के दायरे में आने वाली आय का ब्योरा भी रिटर्न में दिखाया जाना चाहिए. अगर अवयस्क बच्चों के नाम पर निवेश हैं और उनसे आय उत्पन्न होती है, तो उस राशि को व्यक्ति की आय का हिस्सा माना जाता है.

निवेशों का रिटर्न में उल्लेख करें
इनकम टैक्स के लिए धारा 80C मुख्य नियम है. इस सेक्शन के तहत आप विभिन्न निवेश योजनाओं में इंवेस्ट कर सकते हैं और 1,50,000 रुपये तक की कटौती पा सकते हैं. EPF, PPF, ELSS, होम लोन का मूलधन, बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाया गया प्रीमियम आदि सभी इस सेक्शन के अंतर्गत आते हैं. स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का विवरण धारा 80D में दर्ज किया जाना चाहिए. टैक्स बचाने के लिए आपके द्वारा किए गए सभी प्रकार के निवेशों का रिटर्न में ठीक से उल्लेख किया जाना चाहिए.

ITR फॉर्म में गलत जानकारियां न भरें : कई बार हो सकता है कि इनकम टैक्स के पास उपलब्ध जानकारी आपके फॉर्म-16 से मेल न खाए. यह अंतर इसलिए दिखाई देती है क्योंकि आपसे वसूला गया कर आयकर विभाग में जमा नहीं किया गया है. रिटर्न दाखिल करने से पहले अपने फॉर्म-16, फॉर्म 16A, 26AS और वार्षिक सूचना रिपोर्ट (एआईएस) को अच्छी तरह से देख लें. अगर कोई अंतर है, तो इसे अपने मैनेजमेंट के ध्यान में लाएं और इसे ठीक करें. अगर गलत जानकारियों के साथ फॉर्म जमा किया जाता है IT डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आने का खतरा रहता है.

पढ़ें : आयकर रिटर्न भरने के लिए बचे चंद घंटे, लेट फाइन से बचने का अंतिम मौका

हैदराबाद : पिछले वित्त वर्ष का इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का समय आ गया है. आईटी विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक जिन लोगों को ऑडिट की जरूरत नहीं है, उन्हें 31 जुलाई तक ITR फाइल करना होगा. तो आइए जानते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 (आकलन वर्ष 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय किन- किन गलतियों से बचना चाहिए और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

पहली चीज ये कि करदाता को सभी ITR फॉर्म के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए. ताकि वह सही फॉर्म का चुनाव कर सके. क्योंकि ज्यादातर करदाता ये नहीं जानते कि ITR फॉर्म 7 तरह के होते हैं. सभी फार्मों की अपनी विशेषता होती है. तो आइए सभी फॉर्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिससे आप फार्म चुनने में होने वाली गलतियों से बच सके.

किन लोगों को कौन सा ITR फार्म चुनना चाहिए
ऐसे लोग जो सैलरी, रुम रेंट और इंटरेस्ट मिलाकर सालाना 50 लाख रुपये कमाते हैं. उन्हें ITR-1 फाइल करना चाहिए. वहीं, संयुक्त परिवार वाले व्यक्ति या संगठन, जो सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें ITR-4 दाखिल करना चाहिए. लेकिन किसी परिवार से अगर कोई एक व्यक्ति सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है तो उसे ITR-2 फार्म का ऑप्शन चुनना चाहिए.

ऐसे लोग जो ITR-1 और ITR-2 को लेकर कंफ्यूज है, वह ITR-3 का ऑप्शन चुन सकते हैं. वहीं, शेयरों में लेन-देन करते समय आपको किए गए ट्रांजेक्शन के आधार पर ITR-2 या ITR-3 चुनना होगा. अन्य डॉक्यूमेंट कंपनियों और व्यावसायिक संस्थाओं पर लागू होते हैं. लोगों का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. ध्यान रखें कि ITR फाइल करते समय आय से जुड़ी सभी डिटेल्स जरूर दें. हालांकि कुछ लोग कुछ आय का उल्लेख नहीं करते हैं. यह कानून तोड़ने के समान है.

पढ़ें : New VS Old Income Tax Regime : जानें कौन सा टैक्स स्लैब है आपके लिए फायदेमंद

ITR फॉर्म में इन संपत्तियों का भी करें जिक्र
यदि आईटी विभाग उल्लंघन का पता लगाता है, तो नोटिस भेजने की संभावना है. ज्यादातर लोग सिर्फ अपनी सैलरी ही डालते हैं. बैंक बचत खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बीमा पॉलिसियों और पीपीएफ ब्याज से होने वाली आय को नजरअंदाज कर देते हैं. जबकि नियम कहते हैं कि छूट के दायरे में आने वाली आय का ब्योरा भी रिटर्न में दिखाया जाना चाहिए. अगर अवयस्क बच्चों के नाम पर निवेश हैं और उनसे आय उत्पन्न होती है, तो उस राशि को व्यक्ति की आय का हिस्सा माना जाता है.

निवेशों का रिटर्न में उल्लेख करें
इनकम टैक्स के लिए धारा 80C मुख्य नियम है. इस सेक्शन के तहत आप विभिन्न निवेश योजनाओं में इंवेस्ट कर सकते हैं और 1,50,000 रुपये तक की कटौती पा सकते हैं. EPF, PPF, ELSS, होम लोन का मूलधन, बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाया गया प्रीमियम आदि सभी इस सेक्शन के अंतर्गत आते हैं. स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का विवरण धारा 80D में दर्ज किया जाना चाहिए. टैक्स बचाने के लिए आपके द्वारा किए गए सभी प्रकार के निवेशों का रिटर्न में ठीक से उल्लेख किया जाना चाहिए.

ITR फॉर्म में गलत जानकारियां न भरें : कई बार हो सकता है कि इनकम टैक्स के पास उपलब्ध जानकारी आपके फॉर्म-16 से मेल न खाए. यह अंतर इसलिए दिखाई देती है क्योंकि आपसे वसूला गया कर आयकर विभाग में जमा नहीं किया गया है. रिटर्न दाखिल करने से पहले अपने फॉर्म-16, फॉर्म 16A, 26AS और वार्षिक सूचना रिपोर्ट (एआईएस) को अच्छी तरह से देख लें. अगर कोई अंतर है, तो इसे अपने मैनेजमेंट के ध्यान में लाएं और इसे ठीक करें. अगर गलत जानकारियों के साथ फॉर्म जमा किया जाता है IT डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आने का खतरा रहता है.

पढ़ें : आयकर रिटर्न भरने के लिए बचे चंद घंटे, लेट फाइन से बचने का अंतिम मौका

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