नई दिल्ली: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने अपनी रणनीतिक निवेश लक्ष्य पहल के तहत 30 देशों की विभिन्न क्षेत्रों की 106 कंपनियों की पहचान की है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस पहल का उद्देश्य देश में निवेश को बढ़ावा देना है. इस पहल पर हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और निर्यातकों के साथ बुलाई गई बैठक के दौरान चर्चा की गई थी.
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय के माध्यम से एक संपर्क कार्यक्रम आयोजित किया था और इन कंपनियों के नेतृत्व के साथ बैठकें और वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के साथ जुड़ने की भी योजना है.
सरकार देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अनुपालन बोझ को कम करने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों को सरल बनाने, लॉजिस्टिक्स नीति को लागू करने, 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा और देश में राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से प्रक्रियाओं को सुगम बनाने जैसे कई कदम उठा रही है. हालांकि, अधिकारी ने कंपनियों और क्षेत्रों के नाम का खुलासा नहीं किया.
अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य विभाग और डीपीआईआईटी दोनों मिलकर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. अमेरिका, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन, जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में रोड शो आयोजित करने की भी योजना है. यह पहल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2022-23 में भारत में एफडीआई 22 प्रतिशत घटकर 46 अरब डॉलर रह गया है.
बीते वित्त वर्ष में कुल एफडीआई प्रवाह (इक्विटी प्रवाह, पुन: निवेश की गई आय और अन्य पूंजी) 16 प्रतिशत घटकर 70.97 अरब डॉलर पर आ गया, जो 2021-22 में 84.83 अरब डॉलर था. अप्रैल-मार्च 2022-23 के दौरान, सिंगापुर 17.2 अरब डॉलर के एफडीआई के साथ भारत के लिए सबसे बड़ा निवेशक रहा. इसके बाद मॉरीशस (6.13 अरब डॉलर), अमेरिका (छह अरब डॉलर), यूएई (3.35 अरब डॉलर), नीदरलैंड (2.5 अरब डॉलर), जापान (1.8 अरब डॉलर), ब्रिटेन (1.73 अरब डॉलर) का स्थान रहा.
डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान साइप्रस से 1.27 अरब डॉलर, केमैन द्वीप से 77.2 करोड़ डॉलर और जर्मनी से 54.7 करोड़ डॉलर का एफडीआई मिला. बीते वित्त वर्ष में मॉरीशस, अमेरिका, नीदरलैंड, केमैन आइलैंड और जर्मनी से एफडीआई प्रवाह में कमी आई है.
(पीटीआई-भाषा)