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डेयरी क्षेत्र को अंतरराज्यीय प्रतिस्पर्धा से बचना चाहिए: मणि - केएस मणि

विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर केरल को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (केसीएमएमएफ) के अध्यक्ष केएस मणि (KS Mani) ने कहा कि दुग्ध संघों को सहकारी डेयरी आंदोलन के आदर्शों के लिए अंतर-राज्य प्रतिस्पर्धा से बचना चाहिए.

Kerala Co operative Milk Marketing Federation
केरल को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन
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Published : Jun 1, 2023, 4:58 PM IST

तिरुवनंतपुरम : देश में दुग्ध संघों को सहकारी डेयरी आंदोलन के आदर्शों के लिए खुद को फिर से समर्पित करना चाहिए और अंतर-राज्य प्रतिस्पर्धा से बचते हुए एक मजबूत डेयरी क्षेत्र बनाने का प्रयास करना चाहिए. यह बात केरल को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (केसीएमएमएफ), जिसे मिल्मा ब्रांड के नाम से जाना जाता है, के अध्यक्ष केएस मणि (KS Mani) ने कही. विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर मणि ने कहा कि 1970 के दशक में प्रत्येक राज्य में व्याप्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सहकारिता और संघीय सिद्धांतों पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया.

यह एक पथ-प्रवर्तक पहल थी, जो उच्च दूध उत्पादन और मजबूत रोजगार सृजन जैसे लक्ष्यों द्वारा समर्थित थी. वर्तमान में हम दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक हैं और दुग्ध सहकारी समितियों ने इसे प्राप्त करने में अत्यधिक योगदान दिया है. मणि ने कहा, उपभोक्ताओं के हितों और अपने गृह राज्यों में डेयरी किसानों के कल्याण को बनाए रखते हुए सहकारी और संघीय सिद्धांतों का पालन करके वे फले-फूले हैं.

मणि ने कहा, लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ दुग्ध संघों द्वारा अपनी सीमाओं से परे तरल दूध का विपणन करके इन संस्थापक आदर्शों द्वारा निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन करने का प्रयास किया गया है. कुछ सहकारी समितियां पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में एकाधिकारवादी फर्मों की तरह व्यवहार कर रही हैं. इस तरह की गतिविधियां सहकारी संघवाद की भारत की भावना के लिए खतरा हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी.

तिरुवनंतपुरम : देश में दुग्ध संघों को सहकारी डेयरी आंदोलन के आदर्शों के लिए खुद को फिर से समर्पित करना चाहिए और अंतर-राज्य प्रतिस्पर्धा से बचते हुए एक मजबूत डेयरी क्षेत्र बनाने का प्रयास करना चाहिए. यह बात केरल को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (केसीएमएमएफ), जिसे मिल्मा ब्रांड के नाम से जाना जाता है, के अध्यक्ष केएस मणि (KS Mani) ने कही. विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर मणि ने कहा कि 1970 के दशक में प्रत्येक राज्य में व्याप्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सहकारिता और संघीय सिद्धांतों पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया.

यह एक पथ-प्रवर्तक पहल थी, जो उच्च दूध उत्पादन और मजबूत रोजगार सृजन जैसे लक्ष्यों द्वारा समर्थित थी. वर्तमान में हम दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक हैं और दुग्ध सहकारी समितियों ने इसे प्राप्त करने में अत्यधिक योगदान दिया है. मणि ने कहा, उपभोक्ताओं के हितों और अपने गृह राज्यों में डेयरी किसानों के कल्याण को बनाए रखते हुए सहकारी और संघीय सिद्धांतों का पालन करके वे फले-फूले हैं.

मणि ने कहा, लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ दुग्ध संघों द्वारा अपनी सीमाओं से परे तरल दूध का विपणन करके इन संस्थापक आदर्शों द्वारा निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन करने का प्रयास किया गया है. कुछ सहकारी समितियां पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में एकाधिकारवादी फर्मों की तरह व्यवहार कर रही हैं. इस तरह की गतिविधियां सहकारी संघवाद की भारत की भावना के लिए खतरा हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी.

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(आईएएनएस)

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