दिल्ली: 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने बाद से गौतम अडाणी की मुश्किलें कम होने का नाम ले रहा है. कर्जदाता और निवेशकों का विश्वास कम हो रहा है. अडाणी समूह के कारोबार में गड़बड़ी का आरोप लगाकर राजनीतिक दल सदन और सड़क पर जांच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इसी बीच एक कांग्रेस नेता ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
अधिवक्ता वरिंदर कुमार शर्मा ने की शिकायत
साथ ही उद्यमों के एफपीओ में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन का निवेश करने पर भारतीय जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की भूमिका की भी जांच की मांग कांग्रेस नेता की है. अधिवक्ता वरिंदर कुमार शर्मा के माध्यम से कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर याचिका में शीर्ष अदालत से अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच का निर्देश देने का आग्रह किया है. आरोप लगाया गया है कि समूह के चेयरमैन व उनके सहयोगियों ने सीबीआई, ईडी, डीआरआई, सीबीडीटी, ईआईबी, एनसीबी, सेबी, आरबीआई, एसएफआईओ आदि के जरिए लाखों करोड़ की ठगी की है. मामले की शीर्ष अदालत के सिटिंग जज की देखरेख और निगरानी में जांच की मांग की गई है.
शेयर के रेट की शिकायत
याचिका में कहा गया है कि एजेंसियों अडाणी इंटरप्राइजेज के एफपीओ में 3200 रुपये प्रति शेयर की दर से सार्वजनिक धन का निवेश किया, जबकि बाजार में अडाणी इंटरप्राइजेज के शेयर लगभग 1800 रुपये प्रति शेयर थे. दलील में कहा गया है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट द्वारा किए गए खुलासे के बाद, अडाणी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमत में भारी गिरावट आई और 24 जनवरी को भारत के विभिन्न शेयर बाजारों में प्रचलित कीमत के लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसकी वजह से देश के लाखों लोगों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद के संबंध में शीर्ष अदालत पहले से ही दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मौजूदा ढांचा, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य एजेंसियां शामिल हैं, अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उत्पन्न स्थिति को संभालने के लिए सक्षम हैं.
(आईएएनएस से इनपुट)
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