नई दिल्ली : उद्योग मंडलों ने सोमवार को कहा कि अगले वित्त वर्ष के बजट में रोजगार बढ़ाने के उपायों पर ध्यान देने के साथ कर आधार तथा खपत बढ़ाने के लिए जीएसटी और व्यक्तिगत आयकर स्लैब को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए (Budget should focus on job creation). बजट को लेकर सुझावों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) के साथ बैठक में उद्योग जगत ने यह सुझाव दिया.
उद्योग मंडल सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के अध्यक्ष संजीव बजाज ने कहा, 'वैश्विक परिदृश्य कुछ समय तक प्रतिकूल बने रहने की आशंका है. इसीलिए हमें वृद्धि के नए क्षेत्रों को तैयार कर तथा घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए रोजगार सृजन को गति देकर अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को व्यापक बनाना चाहिए.'
'ऑनलाइन' बैठक में उद्योग जगत ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए निवेश आधारित वृद्धि रणनीति के साथ पूंजीगत व्यय पर भी जोर देने का सुझाव दिया. सीआईआई ने नौकरियों के नए अवसर बनाने के लिए रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना लाने का सुझाव दिया. उसने यह भी कहा कि सरकार शहरी रोजगार गारंटी योजना लाने पर विचार कर सकती है. इस बजट में इसकी शुरुआत पायलट आधार पर महानगरों से हो सकती है.
बजाज ने कहा, 'इसके साथ कंपनियों को कर के मामले में निश्चितता प्रदान करने के लिए कंपनी कर की दर मौजूदा स्तर पर बनी रहनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, कर की दरों को युक्तिसंगत बनाने, कर भुगतान व्यवस्था सुगम बनाने तथा कर विवादों में कमी लाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.'
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) ने भी 'ऑनलाइन' बैठक में बजट को लेकर अपने सुझाव दिए. पीएचडीसीसीआई ने खपत बढ़ाने, कारखानों में क्षमता उपयोग में वृद्धि, रोजगार सृजन को बढ़ावा, सामाजिक बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार करने और भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के उपायों के माध्यम से निजी निवेश में गति लाने को पांच सूत्री रणनीति का सुझाव दिया.
उद्योग मंडल के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने बयान में कहा, 'वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट ऐसे समय पेश किया जा रहा है, जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता है और ऊंची महंगाई दर के साथ दुनिया की वृद्धि दर सुस्त पड़ रही है. इस समय, देश को सतत रूप से वृद्धि के रास्ते पर बनाए रखने के लिए वृद्धि के घरेलू स्रोतों को बढ़ाने को लेकर सोच-विचारकर कदम उठाने की जरूरत है.'
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(पीटीआई-भाषा)