नई दिल्ली: भारत में दीवाली से पहले धनतेरस पर सोने खरीदने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है. दीवाली के समय हर घर में सोने-चांदी की खरीदी की जाती है. त्योहार के समय सोना खरीदना भारत में शुभ माना जाता है. ऐसे में खरीदारी करते समय कई बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है. अगले सप्ताह धनतेरस का त्योहार है. ऐसे में हर घर में लगभग सोने की खरीदारी की जाएगी. सोना में निवेश करना काफी शुभ माना जाता है. फेस्टिव सीजन के दौरान कई ज्वैलर व्यापारी लोगों को ठगते है. ऐसे में सोना खरीदते समय इन बातों का जरूर ध्यान रखें.
शुद्धता: सोना खरीदते समय शुद्धता का सबसे ज्यादा महत्व होता है. सोने की शुद्धता कैरेट में मापी जाती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि 24 कैरेट सोने की कीमत अधिक होती है. आप जो सोना खरीद रहे हैं उसकी शुद्धता की जांच करना जरूरी है, क्योंकि मिलावटी सोना एक आम समस्या हो सकती है.
वजन और कीमत- सोने की कीमत उसके वजन के आधार पर तय की जाती है और बाजार दरों में उतार-चढ़ाव हो सकता है. आप जो सोने के गहने या सोने का सिक्का खरीद रहे हैं उसका वजन अवश्य जांच लें और लागत की गणना करने के लिए मौजूदा बाजार दर से इसकी तुलना करें.
रिटर्न/एक्सचेंज पॉलिसी- जौहरी या विक्रेता की रिटर्न या एक्सचेंज पॉलिसी के बारे में पूछताछ करें. यदि आप किसी दोष या अन्य कारणों से सोना वापस करना या बदलना चाहते हैं तो उनकी नीतियों को जानना आवश्यक है. नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें और खरीदारी से संबंधित सभी रसीदें लेना ना भुले.
सर्टिफाइड सोना- हमेशा भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित सर्टिफाइड सोना ही खरीदना चाहिए. इससे सोने की क्वालिटी का पता चलता है. इससे आपको बाद में बेचने या बदलने में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा.
मेकिंग चार्ज- सोना खरीदने के साथ आपको मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है. अक्सर ज्वैलर मेकिंग चार्ज बदलते रहते है. ऐसे में ज्वैलर से मेकिंग चार्ज के बारे में जरुपर पूछ लें.
बजट- सोना खरीदने से पहले बजट तय कर लें. सोने के आकर्षण में फंसना और योजना से अधिक खर्च करना आसान है. अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करें और निर्धारित करें कि आप अपने अन्य वित्तीय लक्ष्यों से समझौता किए बिना सोने पर कितना आराम से खर्च कर सकते हैं.