नई दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक सेबी के निवेशक अनुकूल उपायों से म्यूचुअल फंड में निवेश का खर्च कम हुआ है. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार इन उपायों में निवेशकों से कमीशन पहले काटने पर पाबंदी तथा अधिकतर खर्चों को शुरू में काटने तथा ऐसे खर्चों की सीमा बांधने जैसे उपाय शामिल हैं.
बाजार अनुसंधान एवं परामर्श फर्म मॉर्निंगस्टार इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उठाये गये कदमों से भारत में शुल्क और व्यय का स्तर सुधरकर औसत दर्जे पर आया है जो पहले यह औसत से नीचे था.
इस मामले में भारत का स्तर बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, स्पेन, सिंगापुर, इटली, मेक्सिको और ताइवान जैसे अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई देशों के मुकाबले ऊपर है.
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मार्निंग स्टार ग्लोबल फंड इनवेस्टर एक्सपिरिएंस (जीएफआईई) 2019 के अनुसार भारत में शुल्क और खर्च का स्तर सुधरकर औसत पर आया है. 2017 में किये गये अध्ययन में यह औसत से नीचे था.
रिपोर्ट के अनुसार, "व्यय अनुपात की बात आने पर भारत सर्वाधिक महंगे क्षेत्रों में से एक था लेकिन शुरूआती कमीशन के साथ शुरू में ही ज्यादातर लागत की वसूली (फ्रंट लोड) पर रोक और कुल व्यय अनुपात (टीईआर) में कमी जैसे सेबी के उपायों से भारत का स्तर पहले से बेहतर हुआ है."
इस बीच, केयर रेटिंग्स ने कहा कि देश का म्यूचुअल फंड उद्योग का प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति अगस्त 2019 में करीब 4 प्रतिशत बढ़कर 25.47 लाख करोड़ रुपये पहुंच गयी. जुलाई में यह 24.53 लाख करोड़ रुपये थी.
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में उद्योग का संपत्ति आधार 1.68 लाख करोड़ रुपये बढ़ा.