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रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा, वैश्विक रुख से तय होगी शेयर बाजारों की दिशा

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि आगे की दिशा के लिए बाजार की निगाह वैश्विक आंकड़ों (global data) पर रहेगी. घरेलू मोर्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक संकेतक नहीं हैं, लेकिन आगामी मौद्रिक समीक्षा (monetary review) में रिजर्व बैंक के गवर्नर (Reserve Bank Governor) की मुद्रास्फीति (inflation) पर आठ अक्टूबर की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण रहेगी.

रिजर्व बैंक
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Published : Oct 3, 2021, 1:03 PM IST

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक के ब्याज दर (Reserve Bank interest rate) पर निर्णय, वृहद आर्थिक आंकड़ों तथा वैश्विक रुख से इस सप्ताह शेयर बाजारों (share markect) की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि जोरदार तेजी के बाद अब बाजार में करेक्शन के संकेत दिख रहे हैं. इसके अलावा निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका में बांड प्राप्ति पर भी रहेगी.

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि आगे की दिशा के लिए बाजार की निगाह वैश्विक आंकड़ों (global data) पर रहेगी. घरेलू मोर्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक संकेतक नहीं हैं, लेकिन आगामी मौद्रिक समीक्षा (monetary review) में रिजर्व बैंक के गवर्नर (Reserve Bank Governor) की मुद्रास्फीति (inflation) पर आठ अक्टूबर की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण रहेगी. मीणा ने कहा कि आठ अक्टूबर को टीसीएस के दूसरी तिामही के नतीजे भी आने हैं.

उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स (dollar index) का उतार-चढ़ाव और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल की वैश्विक बाजारों की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. वहीं, कच्चे तेल की कीमतों (crude oil prices) का भारतीय बाजारों पर व्यापक प्रभाव रहेगा.

पढ़ें : अगले महीने सेबी के पास आईपीओ के लिए दस्तावेज जमा कराएगी एलआईसी

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा आनी है. सप्ताह के दौरान सेवा पीएमआई के आंकड़े भी आने हैं. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बीते सप्ताह 1,282.89 अंक या 2.13 प्रतिशत नीचे आया. शुक्रवार को बाजार में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट आई. इसके अलावा बाजार का रुख रुपये के उतार-चढ़ाव, ब्रेंट कच्चे तेल के दाम तथा एफपीआई के निवेश से भी तय होगा.

जूलियस बेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक वरिष्ठ सलाहकार उन्मेश कुलकर्णी ने कहा कि अमेरिकी बाजारों में सितंबर का करेक्शन कुछ जोखिमों को दर्शाता है. मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी, तेल और जिंस कीमतों में वृद्धि तथा ब्याज दरें बढ़ने से बीच-बीच में निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है.

उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा अपने नरम रुख को वापस लेने की संभावना और चीन के हालिया घटनाक्रमों से भी निवेशक प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि शेयर बाजारों में किसी अर्थपूर्ण करेक्शन से यह दीर्घावधि के निवेशकों को बाजार में प्रवेश का अवसर भी प्रदान करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक के ब्याज दर (Reserve Bank interest rate) पर निर्णय, वृहद आर्थिक आंकड़ों तथा वैश्विक रुख से इस सप्ताह शेयर बाजारों (share markect) की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि जोरदार तेजी के बाद अब बाजार में करेक्शन के संकेत दिख रहे हैं. इसके अलावा निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका में बांड प्राप्ति पर भी रहेगी.

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि आगे की दिशा के लिए बाजार की निगाह वैश्विक आंकड़ों (global data) पर रहेगी. घरेलू मोर्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक संकेतक नहीं हैं, लेकिन आगामी मौद्रिक समीक्षा (monetary review) में रिजर्व बैंक के गवर्नर (Reserve Bank Governor) की मुद्रास्फीति (inflation) पर आठ अक्टूबर की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण रहेगी. मीणा ने कहा कि आठ अक्टूबर को टीसीएस के दूसरी तिामही के नतीजे भी आने हैं.

उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स (dollar index) का उतार-चढ़ाव और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल की वैश्विक बाजारों की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. वहीं, कच्चे तेल की कीमतों (crude oil prices) का भारतीय बाजारों पर व्यापक प्रभाव रहेगा.

पढ़ें : अगले महीने सेबी के पास आईपीओ के लिए दस्तावेज जमा कराएगी एलआईसी

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा आनी है. सप्ताह के दौरान सेवा पीएमआई के आंकड़े भी आने हैं. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बीते सप्ताह 1,282.89 अंक या 2.13 प्रतिशत नीचे आया. शुक्रवार को बाजार में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट आई. इसके अलावा बाजार का रुख रुपये के उतार-चढ़ाव, ब्रेंट कच्चे तेल के दाम तथा एफपीआई के निवेश से भी तय होगा.

जूलियस बेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक वरिष्ठ सलाहकार उन्मेश कुलकर्णी ने कहा कि अमेरिकी बाजारों में सितंबर का करेक्शन कुछ जोखिमों को दर्शाता है. मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी, तेल और जिंस कीमतों में वृद्धि तथा ब्याज दरें बढ़ने से बीच-बीच में निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है.

उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा अपने नरम रुख को वापस लेने की संभावना और चीन के हालिया घटनाक्रमों से भी निवेशक प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि शेयर बाजारों में किसी अर्थपूर्ण करेक्शन से यह दीर्घावधि के निवेशकों को बाजार में प्रवेश का अवसर भी प्रदान करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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