मुंबई: हाल के दिनों में रुपए के मूल्य में लगातार गिरावट आई है. 17 सितंबर 2019 को पहले सत्र के दौरान रुपया डॉलक के मुकाबले 72.18 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. विशेषज्ञों के अनुसार रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3.65% की गिरावट आई है और यह इस वर्ष के अंत तक और गिर सकता है. रुपये के गिरावट का न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा बल्कि देश के आम आदमी के पर्सनल फाइनेंस पर भी प्रभाव पड़ेगा.
आइए जानते हैं कि गिरते रुपये का कैसे हमारी जेब पर असर पड़ेगा:
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1. उच्च ईंधन बिल:
जैसा कि भारत आयात के माध्यम से अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 70% पूरा करता है. कम रुपये के मूल्य का मतलब उच्च आयात बिल है. उच्च पेट्रोल की कीमतें जो पहले से ही 76.57 प्रति लीटर तक पहुंच गई है जो आपके खर्च को आगे बढ़ा सकती है. इसलिए सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल करने पर आपको आपको कुछ खर्चों में कटौती करने में मदद मिलेगी.
2. आपकी रसोई और उपभोक्ता वस्तुओं पर प्रभाव:
डीजल देश में प्राथमिक परिवहन ईंधन है. नियमित आधार पर खरीदे गए किराने और अन्य उपभोक्ता उत्पादों की परिवहन लागत में वृद्धि को उच्च पारिवारिक खर्चों में जगह दिया जाता है. इसके अलावा रुपये में गिरावट से आयातित खाद्य पदार्थों, फलों और सब्जियों की लागत में वृद्धि हुई है और भी बहुत कुछ हुआ है. यह वह समय है जब आपको रेस्तरां में अपनी यात्रा को कम करना होगा. बता दें कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जनवरी 2019 में 139.6 से बढ़कर अगस्त 2019 में 144.9 हो गया.
3. विदेश में शिक्षा का बजट बढ़ेगा:
विदेश मंत्रालय के अनुसार लगभग 6.5 लाख छात्र हर साल अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं. विदेश में अध्ययन करने की योजना बना रहे छात्रों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा क्योंकि गिरते रुपये का मूल्य उन पर अतिरिक्त बोझ डालता है. हालांकि, विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति और डिस्काउंट कूपन आपको कुछ राहत दे सकते हैं.
4. विदेश में सैर-सपाटा होगा महंगा:
बार-बार विदेश यात्राएं आपकी जेब में को ढीली कर सकती हैं. डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करते समय मुद्रा के आदान-प्रदान और छिपे हुए शुल्क के दौरान विदेशी मुद्रा दरें छुट्टियों के दौरान आपकी वित्तीय योजना को पलट सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार 5 करोड़ भारतीयों ने 2019 में विभिन्न उद्देश्यों के लिए विदेश यात्रा की.
5. स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर प्रभाव:
भारत विदेशों से बहुत सारे चिकित्सा उपकरणों और दवाओं का आयात करता है. विशेषज्ञों के अनुसार यहां उपयोग किए जाने वाले लगभग 80% उपकरण आयात किए जाते हैं. यह उच्च उपचार लागत को जन्म देगा. इसी तरह इलाज के लिए विदेश जाने वाले मरीजों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा.