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इरडा ने स्टैंडर्ड मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए - बेसिक इन्डेम्निटी हेल्थ कवर पॉलिसी

स्वास्थ्य बीमा की स्कीमों को एक समान बनाने के लिए बीमा नियामक इरडा ने जारी किए दिशा-निर्देश.

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Published : Feb 22, 2019, 12:07 AM IST

नई दिल्ली : बीमा नियामक इरडा ने कहा कि कंपनियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को अलग-अलग ऑफर के साथ नहीं बेचा जा सकता. इसके लिए नियामक ने नया मसौदा तैयार किया है, ताकि स्वास्थ्य बीमा की स्कीमों को एकसमान बनाया जा सके. इसके बाद एक जैसे उत्पाद पर कंपनियां एक जैसा कवर ही दे पाएंगी.

प्रस्तावित बदलावों के तहत बेसिक कवर के साथ एड-ऑन तथा वैकल्पिक कवर पेश करने की अनुमति नहीं होगी. बेसिक इन्डेम्निटी हेल्थ कवर पॉलिसी में न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये का सम एश्योर्ड होना चाहिए.

स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को किसी भी क्रिटिकल इलनेस कवर या अन्य लाभ आधारित कवर के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. कोई भी स्टैंडर्ड प्रोडक्ट एक फैमिली फ्लोटर प्लान के रूप में पेश किया जा सकता है और इसके अंदर 0 से 25 वर्ष तक के बच्चे भी कवर किए जा सकेंगे.

मसौदा में कहा गया है कि प्रिंसिपल सम एश्योर्ड के लिए न्यूनतम प्रवेश आयु 18 वर्ष और अधिकतम प्रवेश आयु 65 वर्ष होगी और इस पॉलिसी को जीवन भर तक रिन्यु कराया जा सकेगा. इसमें कोई भी अधिकतम एक्जिट उम्र नहीं होगी.

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दिशानिर्देशों में यह प्रस्ताव है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स के बेस कवर के साथ कोई भी एड-ऑन और वैकल्पिक कवर देने या जोड़ने की अनुमति नहीं होगी, जैसा कि वर्तमान में कई बीमा कंपनियां अपने अलग-अलग प्रकार के बेसिक प्रोडक्ट के साथ एड-ऑन और वैकल्पिक कवर दे रही हैं. इस कारण हर बीमा कंपनी का प्रीमियम अलग होता है और किसी को भी इस बात की वास्तविक जानकारी नहीं होती कि उपभोक्ता के लिए बेसिक कवर में क्या-क्या शामिल है.

दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट में कुछ अनिवार्य कवर शामिल किए जाने चाहिए, जैसे अस्पताल भर्ती खर्च (रूम, बोर्डिग, नर्सिग खर्च, डेंटल उपचार आदि), आयुष उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद का खर्च, वेलनेस इन्सेंटिव.

पॉलिसीबाजार के स्वास्थ्य बीमा के प्रमुख अमित छाबड़ा का कहना, "प्रस्तावित बदलाव स्वास्थ्य बीमा मार्केट में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है और इनकी मदद से बीमा उत्पादों की खरीद में 20-25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में लगभग 3.6 करोड़ परिवार अपनी वार्षिक आमदनी से अधिक चिकित्सा खर्च करते हैं, जिसके कारण वह लगातार कर्ज के बोझ में दबते चले जाते हैं.

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अधिक किफायती इंश्योरेंस प्लान मौजूद होने से अधिक परिवार स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, इन नियमों द्वारा बीमा उत्पादों में मानकीकरण और पारदर्शिता लाए जाने से स्वास्थ्य बीमा में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा."

उन्होंने कहा, "लंबी अवधि में यह बदलाव एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकेंगे जहां प्रत्येक भारतीय स्वयं के लिए और अपने परिवारों के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार कर सकेंगे. इस तरह उनका बाहरी खर्च काफी हद तक कम हो सकेगा."
(आईएएनएस)
पढ़ें : जलमार्ग से व्यापार बढ़ाने को जल्द द्विपक्षीय समझौता करेंगे भारत और बांग्लादेश : कैलाश अग्रवाल

नई दिल्ली : बीमा नियामक इरडा ने कहा कि कंपनियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को अलग-अलग ऑफर के साथ नहीं बेचा जा सकता. इसके लिए नियामक ने नया मसौदा तैयार किया है, ताकि स्वास्थ्य बीमा की स्कीमों को एकसमान बनाया जा सके. इसके बाद एक जैसे उत्पाद पर कंपनियां एक जैसा कवर ही दे पाएंगी.

प्रस्तावित बदलावों के तहत बेसिक कवर के साथ एड-ऑन तथा वैकल्पिक कवर पेश करने की अनुमति नहीं होगी. बेसिक इन्डेम्निटी हेल्थ कवर पॉलिसी में न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये का सम एश्योर्ड होना चाहिए.

स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को किसी भी क्रिटिकल इलनेस कवर या अन्य लाभ आधारित कवर के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. कोई भी स्टैंडर्ड प्रोडक्ट एक फैमिली फ्लोटर प्लान के रूप में पेश किया जा सकता है और इसके अंदर 0 से 25 वर्ष तक के बच्चे भी कवर किए जा सकेंगे.

मसौदा में कहा गया है कि प्रिंसिपल सम एश्योर्ड के लिए न्यूनतम प्रवेश आयु 18 वर्ष और अधिकतम प्रवेश आयु 65 वर्ष होगी और इस पॉलिसी को जीवन भर तक रिन्यु कराया जा सकेगा. इसमें कोई भी अधिकतम एक्जिट उम्र नहीं होगी.

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दिशानिर्देशों में यह प्रस्ताव है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स के बेस कवर के साथ कोई भी एड-ऑन और वैकल्पिक कवर देने या जोड़ने की अनुमति नहीं होगी, जैसा कि वर्तमान में कई बीमा कंपनियां अपने अलग-अलग प्रकार के बेसिक प्रोडक्ट के साथ एड-ऑन और वैकल्पिक कवर दे रही हैं. इस कारण हर बीमा कंपनी का प्रीमियम अलग होता है और किसी को भी इस बात की वास्तविक जानकारी नहीं होती कि उपभोक्ता के लिए बेसिक कवर में क्या-क्या शामिल है.

दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट में कुछ अनिवार्य कवर शामिल किए जाने चाहिए, जैसे अस्पताल भर्ती खर्च (रूम, बोर्डिग, नर्सिग खर्च, डेंटल उपचार आदि), आयुष उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद का खर्च, वेलनेस इन्सेंटिव.

पॉलिसीबाजार के स्वास्थ्य बीमा के प्रमुख अमित छाबड़ा का कहना, "प्रस्तावित बदलाव स्वास्थ्य बीमा मार्केट में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है और इनकी मदद से बीमा उत्पादों की खरीद में 20-25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में लगभग 3.6 करोड़ परिवार अपनी वार्षिक आमदनी से अधिक चिकित्सा खर्च करते हैं, जिसके कारण वह लगातार कर्ज के बोझ में दबते चले जाते हैं.

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अधिक किफायती इंश्योरेंस प्लान मौजूद होने से अधिक परिवार स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, इन नियमों द्वारा बीमा उत्पादों में मानकीकरण और पारदर्शिता लाए जाने से स्वास्थ्य बीमा में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा."

उन्होंने कहा, "लंबी अवधि में यह बदलाव एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकेंगे जहां प्रत्येक भारतीय स्वयं के लिए और अपने परिवारों के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार कर सकेंगे. इस तरह उनका बाहरी खर्च काफी हद तक कम हो सकेगा."
(आईएएनएस)
पढ़ें : जलमार्ग से व्यापार बढ़ाने को जल्द द्विपक्षीय समझौता करेंगे भारत और बांग्लादेश : कैलाश अग्रवाल

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स्वास्थ्य बीमा की स्कीमों को एक समान बनाने के लिए बीमा नियामक इरडा ने जारी किए दिशा-निर्देश.

नई दिल्ली : बीमा नियामक इरडा ने कहा कि कंपनियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को अलग-अलग ऑफर के साथ नहीं बेचा जा सकता. इसके लिए नियामक ने नया मसौदा तैयार किया है, ताकि स्वास्थ्य बीमा की स्कीमों को एकसमान बनाया जा सके. इसके बाद एक जैसे उत्पाद पर कंपनियां एक जैसा कवर ही दे पाएंगी.



प्रस्तावित बदलावों के तहत बेसिक कवर के साथ एड-ऑन तथा वैकल्पिक कवर पेश करने की अनुमति नहीं होगी. बेसिक इन्डेम्निटी हेल्थ कवर पॉलिसी में न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये का सम एश्योर्ड होना चाहिए.



स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को किसी भी क्रिटिकल इलनेस कवर या अन्य लाभ आधारित कवर के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. कोई भी स्टैंडर्ड प्रोडक्ट एक फैमिली फ्लोटर प्लान के रूप में पेश किया जा सकता है और इसके अंदर 0 से 25 वर्ष तक के बच्चे भी कवर किए जा सकेंगे.



मसौदा में कहा गया है कि प्रिंसिपल सम एश्योर्ड के लिए न्यूनतम प्रवेश आयु 18 वर्ष और अधिकतम प्रवेश आयु 65 वर्ष होगी और इस पॉलिसी को जीवन भर तक रिन्यु कराया जा सकेगा. इसमें कोई भी अधिकतम एक्जिट उम्र नहीं होगी.



दिशानिर्देशों में यह प्रस्ताव है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स के बेस कवर के साथ कोई भी एड-ऑन और वैकल्पिक कवर देने या जोड़ने की अनुमति नहीं होगी, जैसा कि वर्तमान में कई बीमा कंपनियां अपने अलग-अलग प्रकार के बेसिक प्रोडक्ट के साथ एड-ऑन और वैकल्पिक कवर दे रही हैं. इस कारण हर बीमा कंपनी का प्रीमियम अलग होता है और किसी को भी इस बात की वास्तविक जानकारी नहीं होती कि उपभोक्ता के लिए बेसिक कवर में क्या-क्या शामिल है.



दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट में कुछ अनिवार्य कवर शामिल किए जाने चाहिए, जैसे अस्पताल भर्ती खर्च (रूम, बोर्डिग, नर्सिग खर्च, डेंटल उपचार आदि), आयुष उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद का खर्च, वेलनेस इन्सेंटिव.



पॉलिसीबाजार के स्वास्थ्य बीमा के प्रमुख अमित छाबड़ा का कहना, "प्रस्तावित बदलाव स्वास्थ्य बीमा मार्केट में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है और इनकी मदद से बीमा उत्पादों की खरीद में 20-25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में लगभग 3.6 करोड़ परिवार अपनी वार्षिक आमदनी से अधिक चिकित्सा खर्च करते हैं, जिसके कारण वह लगातार कर्ज के बोझ में दबते चले जाते हैं.



अधिक किफायती इंश्योरेंस प्लान मौजूद होने से अधिक परिवार स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, इन नियमों द्वारा बीमा उत्पादों में मानकीकरण और पारदर्शिता लाए जाने से स्वास्थ्य बीमा में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा."



उन्होंने कहा, "लंबी अवधि में यह बदलाव एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकेंगे जहां प्रत्येक भारतीय स्वयं के लिए और अपने परिवारों के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार कर सकेंगे. इस तरह उनका बाहरी खर्च काफी हद तक कम हो सकेगा."

(आईएएनएस)


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