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आपूर्ति बढ़ने के बावजूद तेल के वैश्विक दामों में पांच डॉलर प्रति बैरल का उछाल

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Published : Mar 2, 2022, 12:45 PM IST

अमेरिका समेत अन्य प्रमुख देशों की सरकारों द्वारा रणनीतिक भंडारों से तेल जारी करने की प्रतिबद्धता भी बेअसर रही. वहीं बुधवार को तेल की वैश्विक कीमतों में पांच डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि देखी गई.

IEA
आईईए

बीजिंग: रूस के यूक्रेन पर हमले का असर न सिर्फ दोनों देश पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी पड़ा है. हाल ही में अमेरिका समेत अन्य प्रमुख देशों की सरकारों द्वारा रणनीतिक भंडारों से तेल जारी करने की प्रतिबद्धता भी बाजारों को शांत करने में विफल रही. इसके चलते, बुधवार को तेल की वैश्विक कीमतों में पांच डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि देखी गई.

बुधवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 पर पहुंच गया. वहीं अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड(brent crude) 5.43 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 110.40 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले, मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के सभी 31 सदस्य देशों ने अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति जताई थी.

यह भी पढ़ें-रूस-यूक्रेन युद्ध से नीलगिरी में चाय व्यापार पर पड़ा असर

आईईए के सभी सदस्य देशों ने तेल बाजार को यह संकेत देने के लिए कदम उठाया था कि रूस के यूक्रेन पर हमले से तेल आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी. हालांकि यह कदम भी तेल के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक रूस से आपूर्ति में बाधा को लेकर उपजी चिंताएं शांत नहीं कर पाया.
(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग: रूस के यूक्रेन पर हमले का असर न सिर्फ दोनों देश पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी पड़ा है. हाल ही में अमेरिका समेत अन्य प्रमुख देशों की सरकारों द्वारा रणनीतिक भंडारों से तेल जारी करने की प्रतिबद्धता भी बाजारों को शांत करने में विफल रही. इसके चलते, बुधवार को तेल की वैश्विक कीमतों में पांच डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि देखी गई.

बुधवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 पर पहुंच गया. वहीं अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड(brent crude) 5.43 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 110.40 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले, मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के सभी 31 सदस्य देशों ने अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति जताई थी.

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आईईए के सभी सदस्य देशों ने तेल बाजार को यह संकेत देने के लिए कदम उठाया था कि रूस के यूक्रेन पर हमले से तेल आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी. हालांकि यह कदम भी तेल के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक रूस से आपूर्ति में बाधा को लेकर उपजी चिंताएं शांत नहीं कर पाया.
(पीटीआई-भाषा)

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