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कोरोना का कहर: कच्चा तेल 17 साल के निचले स्तर पर पहुंचा

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर में सरकारें लॉकडाउन का सहारा ले रही हैं और यात्रा प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिसके चलते कच्चे तेल पर भारी दबाव है.

कोरोना का कहर: कच्चा तेल 17 साल के निचले स्तर पर पहुंचा
कोरोना का कहर: कच्चा तेल 17 साल के निचले स्तर पर पहुंचा
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Published : Mar 30, 2020, 2:47 PM IST

सिंगापुर: कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुआ संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है, जिससे एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें सोमवार को 17 साल के निचले स्तर पर जा पहुंची.

अमेरिका में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 5.3 प्रतिशत गिरकर 20 डॉलर प्रति बैरल पर और अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 6.5 प्रतिशत गिरकर 23 डॉलर पर आ गया. कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में करीब 33,000 लोगों की मौत हो चुकी है और यूरोप तथा अमेरिका इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सुचारु रुप से संचालन महत्वपूर्ण

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर में सरकारें लॉकडाउन का सहारा ले रही हैं और यात्रा प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिसके चलते कच्चे तेल पर भारी दबाव है. मांग में गिरावट के विपरीत कच्चे तेल की आपूर्ति में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है और शीर्ष उत्पादक सऊदी अरब तथा रूस के बीच कीमत युद्ध चल रहा है.

रियाद ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह उत्पादन में किसी कटौती के लिए मास्को के संपर्क में नहीं है, दूसरी ओर रूस के उप ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि तेल की कीमत 25 डॉलर प्रति बैरल तक रूस के उत्पादों के लिए बुरी नहीं है. इससे यह संकेत मिला कि अभी दोनों पक्ष किसी सहमति से दूर हैं.

(पीटीआई-भाषा)

सिंगापुर: कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुआ संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है, जिससे एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें सोमवार को 17 साल के निचले स्तर पर जा पहुंची.

अमेरिका में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 5.3 प्रतिशत गिरकर 20 डॉलर प्रति बैरल पर और अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 6.5 प्रतिशत गिरकर 23 डॉलर पर आ गया. कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में करीब 33,000 लोगों की मौत हो चुकी है और यूरोप तथा अमेरिका इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं.

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कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर में सरकारें लॉकडाउन का सहारा ले रही हैं और यात्रा प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिसके चलते कच्चे तेल पर भारी दबाव है. मांग में गिरावट के विपरीत कच्चे तेल की आपूर्ति में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है और शीर्ष उत्पादक सऊदी अरब तथा रूस के बीच कीमत युद्ध चल रहा है.

रियाद ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह उत्पादन में किसी कटौती के लिए मास्को के संपर्क में नहीं है, दूसरी ओर रूस के उप ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि तेल की कीमत 25 डॉलर प्रति बैरल तक रूस के उत्पादों के लिए बुरी नहीं है. इससे यह संकेत मिला कि अभी दोनों पक्ष किसी सहमति से दूर हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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