बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: भारत के प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश और झारखंड ने पिछले एक दशक में कर राजस्व में सबसे अधिक वृद्धि दर दर्ज की है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी सांख्यिकीय प्रकाशन के पांचवें संस्करण हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स ऑन इंडियन स्टेट 2018 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश का कर राजस्व 419-355 करोड़ रुपये से 2019-20 तक लगभग 250 प्रतिशत बढ़कर 1.44 लाख करोड़ हो गया. आरबीआई ने कहा है कि 2019-20 के सभी कर राजस्व आंकड़े अनुमानित अनुमान हैं.
वहीं, झारखंड के कर राजस्व में भी वृद्धि हुई है जो कि पिछले एक दशक में 2010-11 से 2019-20 के बीच 5,967 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग चार गुना हो गया है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे अधिक कर अर्जित करने वाला राज्य है. जिसका 2019-20 में कर राजस्व 2.1 लाख करोड़ रुपये था. यह 2010-11 से एक महत्वपूर्ण छलांग है जब महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बाद कर राजस्व के मामले में उत्तर प्रदेश चौथे स्थान पर था.
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इस बीच महाराष्ट्र ने पिछले एक दशक में कर राजस्व में 181 प्रतिशत की छलांग लगाई है. तमिलनाडु जो अब तक का तीसरा सबसे बड़ा कर-अर्जन राज्य है. उसने 2010-11 में 47,982 करोड़ रुपये के मुकाबले 2019-20 में 1.25 लाख करोड़ रुपये की कर राजस्व में वृद्धि देखी है.
आंध्र प्रदेश कर राजस्व पिछले एक दशक में सिर्फ 67 प्रतिशत बढ़कर 2019-20 में 75,438 करोड़ रुपये हो गया, जो 2010-11 में 45,140 करोड़ रुपये था. लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि 2014 में तेलंगाना एक अलग राज्य बन गया था. तेलंगाना का कर राजस्व 69,329 करोड़ रुपये हो गया था, जो 2014-15 में 29,288 करोड़ रुपये था.
बिहार ने भी कर राजस्व में मजबूत वृद्धि दिखाई है. कर राजस्व 2019-20 में 267 प्रतिशत बढ़कर 36,175 करोड़ रुपये हो गया जो 2010-11 में 9,870 करोड़ रुपये था. वहीं, राजस्थान में कर राजस्व पिछले एक दशक में 255 प्रतिशत उछलकर 2019-20 में 73,743 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल में कर राजस्व में 218 प्रतिशत वृद्धि के साथ 67,207 करोड़ रुपये रहा.
सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वालों में उत्तर-पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक प्रतिशत वृद्धि देखी गई है. मिसाल के तौर पर अरुणाचल प्रदेश ने कर राजस्व में एक दशक में 570 प्रतिशत की छलांग लगाकर 2019-20 में 1,440 करोड़ रुपये कर दिया, जो 2010-11 में 215 करोड़ रुपये था. इसी तरह त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम सभी ने पिछले एक दशक में कर राजस्व में 250-350 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
सबसे कम विकास दर वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें तो पंजाब का कर राजस्व 2019-20 में सिर्फ 124 प्रतिशत बढ़कर 37,674 करोड़ रुपये हो गया, जो 2010-11 में 16,828 करोड़ रुपये था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र ने भी 2010-11 में अपने कर राजस्व को 158 प्रतिशत बढ़ाकर 2019-20 में 42,500 करोड़ रुपये कर दिया.
हिमाचल प्रदेश में पिछले एक दशक में कर राजस्व केवल 117 प्रतिशत बढ़ा. यहां 2010-11 में कर राजस्व 3,642 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 7,921 करोड़ रुपये हो गया है.