वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को होने वाला नुकसान काफी बड़ा हो सकता है, ऐसे में भारत के लिये नीतिगत स्तर पर "तुरंत" कदम उठाये जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कोविड- 19 के प्रभाव से निपटने के लिये सरकार द्वारा जारी वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया.
आईएमएफ के वित्तीय मामलों के विभाग में निदेशक विटोर गैसपार ने पीटीआई- भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा कि फिलहाल महामारी की वजह से पूरी दुनिया में अनिश्चितता की जो स्थिति बनी है उससे पूरा झुकाव गिरावट की तरफ बना हुआ है.
उन्होंने कहा, "भारत के पास राजकोषीय गुंजाइश काफी सीमित है लेकिन उसके लिए अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और आर्थिक बेहतरी के लिये समर्थन देने की जरूरत है. ऐसे में मौजूदा अप्रत्याशित परिस्थितियों में नीतिगत कार्रवाई की तुरंत आवश्यकता है."
गैसपर ने कहा, "महामारी से पड़ने वाला आर्थिक प्रभाव व्यापक होगा. हमारा अनुमान है कि 2020- 21 में आर्थिक वृद्धि घटकर 1.9 प्रतिशत रह जायेगी. कोविड- 19 के कारण लागू राष्ट्रीय व्यापी लॉकडाउन और कमजोर बाह्य मांग दोनों की वजह से ऐसा होगा."
उन्होंने कहा कि इस महामारी के आर्थिक और मानवीय दोनों स्तर पर गहरे प्रभाव होंगे. इसे देखते हुये सरकार की तरफ से स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च को प्राथमिकता देते हुये तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है. समाज के वंचित तबकों को आय समिार्न देने, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों को समर्थन देने की आवश्यकता है.
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गैसपर ने कहा कि अब तक भारत सरकार ने जो भी कदम उठाये हैं वह अच्छी शुरुआत के साथ हैं. सरकार ने समाज के कमजोर एवं गरीब तबके को खाने और खाना पकाने का गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने और गरीब परिवारों को नकद राशि का हस्तांतरण जैसे सही दिशा में कदम उठाये हैं. "यह अच्छी शुरुआत है."
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय ने 26 मार्च को गरीब परिवारों के लिये 1.70 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया है. इसमें गरीबों को मुफ्त राशन, नकद राशि और निशुल्क गैस सिलेंडर देना शामिल है.
(पीटीआई-भाषा)