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उज्ज्वला योजना के तहत अब मिलेंगे 5 किलो के सिलेंडर - state government

राजधानी रांची में 13 लाख 87 हजार 84 गरीब बीपीएल परिवारों को उज्वला योजना का लाभ मिला है. इस योजना से महिलाओं को खाना बनाने में राहत मिली है.

उज्ज्वला योजना के तहत अब मिलेंगे 5 किलो के सिलेंडर
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Published : Jun 7, 2019, 9:26 PM IST

Updated : Jun 7, 2019, 9:42 PM IST

रांची: देश के गरीब परिवारों की महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी या कोयले से खाना पकाने से मुक्त करने के मकसद से 2016 में पूरे देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया गया. रांची समेत पूरे झारखंड में अब तक 28 लाख 25 हजार 122 लाभुकों को कनेक्शन मिल चुका है. वहीं, झारखंड में रिफिलिंग के परेशानियों को दूर करने के लिए एक-एक और सिलेंडर देने की राज्य सरकार ने घोषणा की है.

योजना को गति देने के लिए नियम में बदलाव भी किए गए हैं. पहले एसईसीसी डाटा के आधार पर कनेक्शन मिल रहा था, इसके बाद जाति प्रमाण पत्र के तहत बीसी-1 एसटी और एससी-एसी के गरीब लाभुकों को जोड़ा गया. अब राशन कार्ड के आधार पर गरीब परिवारों को इसका लाभ दिया जा रहा है. इस योजना की शुरुआत झारखंड में 26 अक्टूबर 2016 को हुई थी.

उज्ज्वला योजना के तहत अब मिलेंगे 5 किलो के सिलेंडर

ये भी पढ़ें- वित्तीय संकट से जूझ रहा संयुक्त राष्ट्र, समाधान की आवश्यकता: भारत

उज्ज्वला योजना का सबसे ज्यादा कनेक्शन झारखंड के गिरिडीह में 2 लाख 62 हजार 631 दिया गया है. गिरिडीह क्षेत्र के बाद पलामू में 2 लाख 5 हजार 554 दिया गया. जामताड़ा में उज्ज्वला योजना का सबसे कम कनेक्शन 52 हजार 870 दिया गया. राजधानी रांची में 1 लाख 38 हजार 784 गरीब बीपीएल परिवारों को उज्वला योजना का लाभ मिला है.

एलपीजी के रांची एरिया मैनेजर पंकज कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड में उज्ज्वला योजना काफी सक्सेसफुल रहा है. तेल कंपनियों ने मिलकर झारखंड में 28 लाख 25 हजार 122 बीपीएल परिवारों को कनेक्शन दिया है जो 72 फीसदी है. आने वाले 4 महीनों में लक्ष्य रखा गया है कि इसे शत-प्रतिशत बीपीएल को कवर कर लिया जाए.

उज्ज्वला योजना में शुरुआती समय में थोड़ी रिफिलिंग की दिक्कत जरूर हो रही थी. इसी को देखते हुए सरकार ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए 5 किलो सलेंडर की भी सुविधा दी थी और अब सरकार एक-एक और सिलेंडर देने का वादा कर रही है. ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और महिलाओं को लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल ना करना पड़े.

वहीं, स्थानीय महिलाओं ने कहा कि सरकार ने उन्हें जो खाना बनाने के लिए गैस दिया है, यह सरकार ने हुत अच्छा किया है. उन्होंने कहा कि एक और सिलेंडर मिल जाएगा तो गैस खत्म होने की सारी परेशानी खत्म हो जाएगी. वहीं, महिलाओं ने कहा कि सरकार को हर दिन गैस के बढ़ते दाम का ध्यान रखना चाहिए.

रांची: देश के गरीब परिवारों की महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी या कोयले से खाना पकाने से मुक्त करने के मकसद से 2016 में पूरे देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया गया. रांची समेत पूरे झारखंड में अब तक 28 लाख 25 हजार 122 लाभुकों को कनेक्शन मिल चुका है. वहीं, झारखंड में रिफिलिंग के परेशानियों को दूर करने के लिए एक-एक और सिलेंडर देने की राज्य सरकार ने घोषणा की है.

योजना को गति देने के लिए नियम में बदलाव भी किए गए हैं. पहले एसईसीसी डाटा के आधार पर कनेक्शन मिल रहा था, इसके बाद जाति प्रमाण पत्र के तहत बीसी-1 एसटी और एससी-एसी के गरीब लाभुकों को जोड़ा गया. अब राशन कार्ड के आधार पर गरीब परिवारों को इसका लाभ दिया जा रहा है. इस योजना की शुरुआत झारखंड में 26 अक्टूबर 2016 को हुई थी.

उज्ज्वला योजना के तहत अब मिलेंगे 5 किलो के सिलेंडर

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उज्ज्वला योजना का सबसे ज्यादा कनेक्शन झारखंड के गिरिडीह में 2 लाख 62 हजार 631 दिया गया है. गिरिडीह क्षेत्र के बाद पलामू में 2 लाख 5 हजार 554 दिया गया. जामताड़ा में उज्ज्वला योजना का सबसे कम कनेक्शन 52 हजार 870 दिया गया. राजधानी रांची में 1 लाख 38 हजार 784 गरीब बीपीएल परिवारों को उज्वला योजना का लाभ मिला है.

एलपीजी के रांची एरिया मैनेजर पंकज कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड में उज्ज्वला योजना काफी सक्सेसफुल रहा है. तेल कंपनियों ने मिलकर झारखंड में 28 लाख 25 हजार 122 बीपीएल परिवारों को कनेक्शन दिया है जो 72 फीसदी है. आने वाले 4 महीनों में लक्ष्य रखा गया है कि इसे शत-प्रतिशत बीपीएल को कवर कर लिया जाए.

उज्ज्वला योजना में शुरुआती समय में थोड़ी रिफिलिंग की दिक्कत जरूर हो रही थी. इसी को देखते हुए सरकार ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए 5 किलो सलेंडर की भी सुविधा दी थी और अब सरकार एक-एक और सिलेंडर देने का वादा कर रही है. ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और महिलाओं को लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल ना करना पड़े.

वहीं, स्थानीय महिलाओं ने कहा कि सरकार ने उन्हें जो खाना बनाने के लिए गैस दिया है, यह सरकार ने हुत अच्छा किया है. उन्होंने कहा कि एक और सिलेंडर मिल जाएगा तो गैस खत्म होने की सारी परेशानी खत्म हो जाएगी. वहीं, महिलाओं ने कहा कि सरकार को हर दिन गैस के बढ़ते दाम का ध्यान रखना चाहिए.

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उज्ज्वला योजना से मिल रही महिलाओं को धुएं से आजादी, अब रिफिलिंग के लिए मिलेगा एक और सिलेंडर



राजधानी रांची में 13 लाख 87 हजार 84 गरीब बीपीएल परिवारों को उज्वला योजना का लाभ मिला है. इस योजना से महिलाओं को खाना बनाने में राहत मिली है. वहीं, झारखंड में रिफिलिंग की परेशानियों को दूर करने के लिए एक और सिलेंडर देने की राज्य सरकार ने घोषणा की है.



रांची: देश के गरीब परिवारों की महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी या कोयले से खाना पकाने से मुक्त करने के मकसद से 2016 में पूरे देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया गया. रांची समेत पूरे झारखंड में अब तक 28 लाख 25 हजार 122 लाभुकों को कनेक्शन मिल चुका है. वहीं, झारखंड में रिफिलिंग के परेशानियों को दूर करने के लिए एक-एक और सिलेंडर देने की राज्य सरकार ने घोषणा की है.

योजना को गति देने के लिए नियम में बदलाव भी किए गए हैं. पहले एसईसीसी डाटा के आधार पर कनेक्शन मिल रहा था, इसके बाद जाति प्रमाण पत्र के तहत बीसी-1 एसटी और एससी-एसी के गरीब लाभुकों को जोड़ा गया. अब राशन कार्ड के आधार पर गरीब परिवारों को इसका लाभ दिया जा रहा है. इस योजना की शुरुआत झारखंड में 26 अक्टूबर 2016 को हुई थी.

उज्ज्वला योजना का सबसे ज्यादा कनेक्शन झारखंड के गिरिडीह में 2 लाख 62 हजार 631 दिया गया है. गिरिडीह क्षेत्र के बाद पलामू में 2 लाख 5 हजार 554 दिया गया. जामताड़ा में उज्ज्वला योजना का सबसे कम कनेक्शन 52 हजार 870 दिया गया. राजधानी रांची में 1 लाख 38 हजार 784 गरीब बीपीएल परिवारों को उज्वला योजना का लाभ मिला है. 

एलपीजी के रांची एरिया मैनेजर पंकज कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड में उज्ज्वला योजना काफी सक्सेसफुल रहा है. तेल कंपनियों ने मिलकर झारखंड में 28 लाख 25 हजार 122 बीपीएल परिवारों को कनेक्शन दिया है जो 72 फीसदी है. आने वाले 4 महीनों में लक्ष्य रखा गया है कि इसे शत-प्रतिशत बीपीएल को कवर कर लिया जाए.

उज्ज्वला योजना में शुरुआती समय में थोड़ी रिफिलिंग की दिक्कत जरूर हो रही थी. इसी को देखते हुए सरकार ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए 5 किलो सलेंडर की भी सुविधा दी थी और अब सरकार एक-एक और सिलेंडर देने का वादा कर रही है. ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और महिलाओं को लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल ना करना पड़े.

वहीं, स्थानीय महिलाओं ने कहा कि सरकार ने उन्हें जो खाना बनाने के लिए गैस दिया है, यह सरकार ने हुत अच्छा किया है. उन्होंने कहा कि एक और सिलेंडर मिल जाएगा तो गैस खत्म होने की सारी परेशानी खत्म हो जाएगी. वहीं, महिलाओं ने कहा कि सरकार को हर दिन गैस के बढ़ते दाम का ध्यान रखना चाहिए.  


Conclusion:
Last Updated : Jun 7, 2019, 9:42 PM IST
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