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कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिये परिवहन योजना तैयार, भाड़ा लागत का होगा हस्तांतरण - भाड़ा लागत

सरकार ने मंगलवार को यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ देशों में कृषि जिंसों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना पेश की है.

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Published : Mar 6, 2019, 3:05 PM IST

नई दिल्ली : परिवहन और विपणन सहायता (टीएमए) योजना के तहत, सरकार माल ढुलाई प्रभार के एक निश्चित हिस्से की प्रतिपूर्ति करेगी और कृषि उपज के विपणन में सहायता प्रदान करेगी. योजना के तहत हवाई मार्ग के साथ साथ समुद्री (सामान्य और शीत भंडारित दोनों तरह के उत्पादों के मामले में) रास्ते से होने वाले निर्यात के लिए माल ढुलाई में और विपणन कार्य में सहायता उपलब्ध कराई जायेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "टीएमए के तहत सहायता, सीधे बैंक खाते में नकद भुगतान के जरिये भाड़े के एक अंश के रूप में प्रदान की जाएगी. ऐसी स्थिति में जहां एफओबी (लदान पर भाड़ा मुक्त) आधार पर आपूर्ति की गई है और जहां भारतीय निर्यातक ने माल भाड़ा का भुगतान नहीं किया है, ऐसा भाड़ा योजना में कवर नहीं किया जायेगा."

यह योजना समय-समय पर निर्दिष्ट की गई अवधि के लिए लागू होगी. वर्तमान में, यह इस साल एक मार्च से मार्च 2020 तक किए गए निर्यात के लिए उपलब्ध होगा. विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तीय सहायता का स्तर अलग अलग होगा और केवल ईडीआई (इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज) बंदरगाहों के माध्यम से किए गए निर्यात के लिए ही स्वीकार्य होगा. इस योजना का स्वागत करते हुए व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि इस निर्णय से भारत से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

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कृषि अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और विशेषज्ञ चिराला शंकर राव ने कहा, "यह वाणिज्य मंत्रालय द्वारा की गई एक अच्छी पहल है. कृषि निर्यातकों को निर्यात की खेप को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के समर्थन की आवश्यकता है."

समान सोच रखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की बड़ी संभावना है और इस योजना उस क्षमता की संभावनाओं को हासिल करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय के अनुसार, समुद्री मार्ग के जरिये दक्षिण अमेरिका को शीत भंडारित नौवहन के लिए 31,500 रुपये प्रति टन की उच्चतम प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी, इसके बाद उत्तरी अमेरिका के लिए 28,700 रुपये और ओशिनिया के लिए 24,500 रुपये दिये जायेंगे जिस मार्ग में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल होंगे.

सामान्य कंटेनर के मामले में यह राशि अलग होगी। जो उत्पाद इन योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे उनमें गन्ना या चुकंदर और कच्ची चीनी, शीरा, गम, रेजिन, मक्खन और अन्य वसा, जीवित जानवरों का मांस, दूध एवं क्रीम, पेय पदार्थ, स्प्रिट एवं सिरका और तम्बाकू और तम्बाकू निर्मित पेय पदार्थ शामिल हैं. पिछले साल, सरकार ने 2022 तक कृषि जिंसों के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डॉलर का करने के उद्देश्य से एक कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य चाय, कॉफी और चावल जैसे कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक कृषि व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाना है.
(भाषा)
पढ़ें : ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के लिए विश्वबैंक के साथ 25 करोड़ डॉलर का समझौता

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नई दिल्ली : परिवहन और विपणन सहायता (टीएमए) योजना के तहत, सरकार माल ढुलाई प्रभार के एक निश्चित हिस्से की प्रतिपूर्ति करेगी और कृषि उपज के विपणन में सहायता प्रदान करेगी. योजना के तहत हवाई मार्ग के साथ साथ समुद्री (सामान्य और शीत भंडारित दोनों तरह के उत्पादों के मामले में) रास्ते से होने वाले निर्यात के लिए माल ढुलाई में और विपणन कार्य में सहायता उपलब्ध कराई जायेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "टीएमए के तहत सहायता, सीधे बैंक खाते में नकद भुगतान के जरिये भाड़े के एक अंश के रूप में प्रदान की जाएगी. ऐसी स्थिति में जहां एफओबी (लदान पर भाड़ा मुक्त) आधार पर आपूर्ति की गई है और जहां भारतीय निर्यातक ने माल भाड़ा का भुगतान नहीं किया है, ऐसा भाड़ा योजना में कवर नहीं किया जायेगा."

यह योजना समय-समय पर निर्दिष्ट की गई अवधि के लिए लागू होगी. वर्तमान में, यह इस साल एक मार्च से मार्च 2020 तक किए गए निर्यात के लिए उपलब्ध होगा. विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तीय सहायता का स्तर अलग अलग होगा और केवल ईडीआई (इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज) बंदरगाहों के माध्यम से किए गए निर्यात के लिए ही स्वीकार्य होगा. इस योजना का स्वागत करते हुए व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि इस निर्णय से भारत से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

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कृषि अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और विशेषज्ञ चिराला शंकर राव ने कहा, "यह वाणिज्य मंत्रालय द्वारा की गई एक अच्छी पहल है. कृषि निर्यातकों को निर्यात की खेप को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के समर्थन की आवश्यकता है."

समान सोच रखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की बड़ी संभावना है और इस योजना उस क्षमता की संभावनाओं को हासिल करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय के अनुसार, समुद्री मार्ग के जरिये दक्षिण अमेरिका को शीत भंडारित नौवहन के लिए 31,500 रुपये प्रति टन की उच्चतम प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी, इसके बाद उत्तरी अमेरिका के लिए 28,700 रुपये और ओशिनिया के लिए 24,500 रुपये दिये जायेंगे जिस मार्ग में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल होंगे.

सामान्य कंटेनर के मामले में यह राशि अलग होगी। जो उत्पाद इन योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे उनमें गन्ना या चुकंदर और कच्ची चीनी, शीरा, गम, रेजिन, मक्खन और अन्य वसा, जीवित जानवरों का मांस, दूध एवं क्रीम, पेय पदार्थ, स्प्रिट एवं सिरका और तम्बाकू और तम्बाकू निर्मित पेय पदार्थ शामिल हैं. पिछले साल, सरकार ने 2022 तक कृषि जिंसों के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डॉलर का करने के उद्देश्य से एक कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य चाय, कॉफी और चावल जैसे कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक कृषि व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाना है.
(भाषा)
पढ़ें : ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के लिए विश्वबैंक के साथ 25 करोड़ डॉलर का समझौता

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सरकार ने मंगलवार को यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ देशों में कृषि जिंसों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना पेश की है.

नई दिल्ली : परिवहन और विपणन सहायता (टीएमए) योजना के तहत, सरकार माल ढुलाई प्रभार के एक निश्चित हिस्से की प्रतिपूर्ति करेगी और कृषि उपज के विपणन में सहायता प्रदान करेगी. योजना के तहत हवाई मार्ग के साथ साथ समुद्री (सामान्य और शीत भंडारित दोनों तरह के उत्पादों के मामले में) रास्ते से होने वाले निर्यात के लिए माल ढुलाई में और विपणन कार्य में सहायता उपलब्ध कराई जायेगी.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "टीएमए के तहत सहायता, सीधे बैंक खाते में नकद भुगतान के जरिये भाड़े के एक अंश के रूप में प्रदान की जाएगी. ऐसी स्थिति में जहां एफओबी (लदान पर भाड़ा मुक्त) आधार पर आपूर्ति की गई है और जहां भारतीय निर्यातक ने माल भाड़ा का भुगतान नहीं किया है, ऐसा भाड़ा योजना में कवर नहीं किया जायेगा."

यह योजना समय-समय पर निर्दिष्ट की गई अवधि के लिए लागू होगी. वर्तमान में, यह इस साल एक मार्च से मार्च 2020 तक किए गए निर्यात के लिए उपलब्ध होगा. विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तीय सहायता का स्तर अलग अलग होगा और केवल ईडीआई (इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज) बंदरगाहों के माध्यम से किए गए निर्यात के लिए ही स्वीकार्य होगा. इस योजना का स्वागत करते हुए व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि इस निर्णय से भारत से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

कृषि अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और विशेषज्ञ चिराला शंकर राव ने कहा, "यह वाणिज्य मंत्रालय द्वारा की गई एक अच्छी पहल है. कृषि निर्यातकों को निर्यात की खेप को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के समर्थन की आवश्यकता है."

समान सोच रखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की बड़ी संभावना है और इस योजना उस क्षमता की संभावनाओं को हासिल करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय के अनुसार, समुद्री मार्ग के जरिये दक्षिण अमेरिका को शीत भंडारित नौवहन के लिए 31,500 रुपये प्रति टन की उच्चतम प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी, इसके बाद उत्तरी अमेरिका के लिए 28,700 रुपये और ओशिनिया के लिए 24,500 रुपये दिये जायेंगे जिस मार्ग में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल होंगे.

सामान्य कंटेनर के मामले में यह राशि अलग होगी। जो उत्पाद इन योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे उनमें गन्ना या चुकंदर और कच्ची चीनी, शीरा, गम, रेजिन, मक्खन और अन्य वसा, जीवित जानवरों का मांस, दूध एवं क्रीम, पेय पदार्थ, स्प्रिट एवं सिरका और तम्बाकू और तम्बाकू निर्मित पेय पदार्थ शामिल हैं. पिछले साल, सरकार ने 2022 तक कृषि जिंसों के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डॉलर का करने के उद्देश्य से एक कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य चाय, कॉफी और चावल जैसे कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक कृषि व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाना है.

(भाषा)

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