नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की दिसंबर 2018 में समाप्त तीसरी तिमाही में सरकार की कुल देनदारी बढ़कर 83.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. दूसरी तिमाही में यह देनदारी 82.03 लाख करोड़ रुपये पर थी.
वित्त मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी लोक ऋण के आंकड़ों में यह बात सामने आयी है. वित्त मंत्रालय तिमाही आधार पर ऋण प्रबंधन से जुड़ी यह रपट जारी करता है. दिसंबर 2018 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारियों में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.3 प्रतिशत रही. जबकि इस लोक ऋण में आंतरिक ऋण की हिस्सेदारी 83.3 प्रतिशत थी.
ये भी पढ़ें-वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका: दास
भुगतान के लिए बकाया रह गई सरकारी प्रतिभूतियों में करीब 29.27 प्रतिशत प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि पांच साल से भी कम की है. इन प्रतिभूतियों में करीब 40.5 प्रतिशत हिस्सेदारी वाणिज्यिक बैंकों की है जबकि 24.6 प्रतिशत बीमा कंपनियों की है. तीसरी तिमाही में सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में नरमी का रुख देखा गया है.
रिपोर्ट में इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खुले बाजार हस्तक्षेप के जरिये काफी नकदी डालना और डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना बताया गया है. अक्टूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने 1.27 लाख करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.64 लाख करोड़ रुपये रहा था.
(भाषा)
सरकार का कर्ज तीसरी तिमाही में बढ़कर 83.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा: वित्त मंत्रालय
दिसंबर 2018 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारियों में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.3 प्रतिशत रही. जबकि इस लोक ऋण में आंतरिक ऋण की हिस्सेदारी 83.3 प्रतिशत थी.
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की दिसंबर 2018 में समाप्त तीसरी तिमाही में सरकार की कुल देनदारी बढ़कर 83.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. दूसरी तिमाही में यह देनदारी 82.03 लाख करोड़ रुपये पर थी.
वित्त मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी लोक ऋण के आंकड़ों में यह बात सामने आयी है. वित्त मंत्रालय तिमाही आधार पर ऋण प्रबंधन से जुड़ी यह रपट जारी करता है. दिसंबर 2018 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारियों में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.3 प्रतिशत रही. जबकि इस लोक ऋण में आंतरिक ऋण की हिस्सेदारी 83.3 प्रतिशत थी.
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भुगतान के लिए बकाया रह गई सरकारी प्रतिभूतियों में करीब 29.27 प्रतिशत प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि पांच साल से भी कम की है. इन प्रतिभूतियों में करीब 40.5 प्रतिशत हिस्सेदारी वाणिज्यिक बैंकों की है जबकि 24.6 प्रतिशत बीमा कंपनियों की है. तीसरी तिमाही में सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में नरमी का रुख देखा गया है.
रिपोर्ट में इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खुले बाजार हस्तक्षेप के जरिये काफी नकदी डालना और डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना बताया गया है. अक्टूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने 1.27 लाख करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.64 लाख करोड़ रुपये रहा था.
(भाषा)
सरकार का कर्ज तीसरी तिमाही में बढ़कर 83.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा: वित्त मंत्रालय
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की दिसंबर 2018 में समाप्त तीसरी तिमाही में सरकार की कुल देनदारी बढ़कर 83.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. दूसरी तिमाही में यह देनदारी 82.03 लाख करोड़ रुपये पर थी.
वित्त मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी लोक ऋण के आंकड़ों में यह बात सामने आयी है. वित्त मंत्रालय तिमाही आधार पर ऋण प्रबंधन से जुड़ी यह रपट जारी करता है. दिसंबर 2018 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारियों में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.3 प्रतिशत रही. जबकि इस लोक ऋण में आंतरिक ऋण की हिस्सेदारी 83.3 प्रतिशत थी.
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भुगतान के लिए बकाया रह गई सरकारी प्रतिभूतियों में करीब 29.27 प्रतिशत प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि पांच साल से भी कम की है. इन प्रतिभूतियों में करीब 40.5 प्रतिशत हिस्सेदारी वाणिज्यिक बैंकों की है जबकि 24.6 प्रतिशत बीमा कंपनियों की है. तीसरी तिमाही में सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में नरमी का रुख देखा गया है.
रिपोर्ट में इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खुले बाजार हस्तक्षेप के जरिये काफी नकदी डालना और डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना बताया गया है. अक्टूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने 1.27 लाख करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.64 लाख करोड़ रुपये रहा था.
(भाषा)
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