नई दिल्ली: सरकार ने गेहूं पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम का मकसद आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू उत्पादकों के हितों को संरक्षण प्रदान करना है.
देश का गेहूं उत्पादन इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार विदेशी बाजार से गेहूं खरीद पर अंकुश लगाना चाहती है ताकि यहां कीमतें दबाव में नहीं आएं.
ये भी पढ़ें- भारत 2022 तक 54.7 गीगावॉट की पवन ऊर्जा क्षमता हासिल कर पाएगाः फिच सॉल्यूशन्स
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अधिसूचना के जरिये गेहूं पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने की घोषणा की है.
सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. पिछले साल यह 1,735 रुपये प्रति क्विंटल था. एमएसपी वह कीमत होती है जिसपर सरकार किसानों से उनकी उपज की खरीद करती है.
सरकार ने किसानों को उनकी उपज पर दिये जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को उनकी उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना तय करने का फैसला किया है. इसी निर्णय को ध्यान में रखते हुये विभिन्न फसलों के नये एमएसपी तय किये हैं.
देश में गेहूं उत्पादन इस साल 10 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है. इससे पहले फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के दौरान गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 9.97 करोड़ टन रहा था.
गेहूं किसानों को समर्थन करने के लिए सरकार ने आयात शुल्क 40% तक बढ़ाया
देश का गेहूं उत्पादन इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार विदेशी बाजार से गेहूं खरीद पर अंकुश लगाना चाहती है ताकि यहां कीमतें दबाव में नहीं आएं.
नई दिल्ली: सरकार ने गेहूं पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम का मकसद आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू उत्पादकों के हितों को संरक्षण प्रदान करना है.
देश का गेहूं उत्पादन इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार विदेशी बाजार से गेहूं खरीद पर अंकुश लगाना चाहती है ताकि यहां कीमतें दबाव में नहीं आएं.
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केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अधिसूचना के जरिये गेहूं पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने की घोषणा की है.
सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. पिछले साल यह 1,735 रुपये प्रति क्विंटल था. एमएसपी वह कीमत होती है जिसपर सरकार किसानों से उनकी उपज की खरीद करती है.
सरकार ने किसानों को उनकी उपज पर दिये जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को उनकी उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना तय करने का फैसला किया है. इसी निर्णय को ध्यान में रखते हुये विभिन्न फसलों के नये एमएसपी तय किये हैं.
देश में गेहूं उत्पादन इस साल 10 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है. इससे पहले फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के दौरान गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 9.97 करोड़ टन रहा था.
गेहूं किसानों को समर्थन करने के लिए सरकार ने आयात शुल्क 40% तक बढ़ाया
नई दिल्ली: सरकार ने गेहूं पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम का मकसद आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू उत्पादकों के हितों को संरक्षण प्रदान करना है.
देश का गेहूं उत्पादन इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार विदेशी बाजार से गेहूं खरीद पर अंकुश लगाना चाहती है ताकि यहां कीमतें दबाव में नहीं आएं.
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सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. पिछले साल यह 1,735 रुपये प्रति क्विंटल था. एमएसपी वह कीमत होती है जिसपर सरकार किसानों से उनकी उपज की खरीद करती है.
सरकार ने किसानों को उनकी उपज पर दिये जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को उनकी उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना तय करने का फैसला किया है. इसी निर्णय को ध्यान में रखते हुये विभिन्न फसलों के नये एमएसपी तय किये हैं.
देश में गेहूं उत्पादन इस साल 10 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है. इससे पहले फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के दौरान गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 9.97 करोड़ टन रहा था.
Conclusion: