मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बुधवार को कहा कि एक साल के लिये दिवाला शोधन कानूनों को निलंबित करना सही विचार नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबी अवधि है और भारत को अगले तीन महीनों में दिवाला शोधन कानूनों को पुन: अमल में ले आना चाहिये.
आचार्य ने यह भी कहा कि सभी बैंकों का पर्याप्त रूप से पूंजीकरण करने की आवश्यकता है, ताकि वे कोविड-19 महामारी के बीच अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने में मदद करने लायक बेहतर स्थिति में हों.
आचार्य ने एंटरप्रीन्योर पत्रिका के वार्षिक सम्मान समारोह में कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से दिवालिया संबंधी नये मामलों के लिये दिवाला शोधन अदालत के एक साल के निलंबन के पक्ष में नहीं हूं. मुझे लगता है कि यह बहुत लंबा है."
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आचार्य ने रिजर्व बैंक में अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही पद छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि दिवाला शोधन को सजा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये, बल्कि कर्ज के पुनर्गठन के तरीके के रूप में इसे देखा जाना चाहिये. अगले दो से तीन महीनों में दिवाला शोधन अदालतों को फिर से खोलने की कोशिश की जानी चाहिये.
(पीटीआई-भाषा)