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वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता जरूरी: मोदी - Stability of crude oil prices necessary for growth of global economy

भारत को इराक के बाद सऊदी अरब की ओर से सबसे अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति की जाती है. बीते वित्त वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 4.03 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा. उस समय भारत का कच्चा तेल का आयात 20.73 करोड़ टन रहा.

वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता जरूरी: मोदी
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Published : Oct 29, 2019, 1:19 PM IST

रियाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और सऊदी अरब शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता के संबंधों से आगे अधिक नजदीकी रणनीतिक भागीदारी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसाधन संपन्न सऊदी अरब भारत की तेल एवं गैस शोधन एवं विपणन (डाउनस्ट्रीम) परियोजनाओं में निवेश करेगा.

भारत को इराक के बाद सऊदी अरब की ओर से सबसे अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति की जाती है. बीते वित्त वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 4.03 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा. उस समय भारत का कच्चा तेल का आयात 20.73 करोड़ टन रहा.

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को समाचार पत्र अरब न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 18 प्रतिशत सऊदी अरब से आयात करता है. प्रधानमंत्री सोमवार की रात को यहां पहुंचे. वह यहां एक महत्वपूर्ण वित्तीय सम्मेलन में भाग लेंगे और सऊदी अरब के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे.

ये भी पढ़ें- राज्यों की सहायता से विकास की नई ऊंचाइयां छुएगा भारत

प्रधानमंत्री ने कहा, "शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता संबंध से हम अधिक नजदीकी रणनीतिक संबंधों की ओर बढ़ रहे हैं. इसमें सऊदी अरब द्वारा भारत की तेल एवं गैस शोधन परियोजनाओं में निवेश भी शामिल है."

मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता जरूरी है. उन्होंने भारत की ऊर्जा जरूरत के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में सऊदी अरब की भूमिका की भी सराहना की.

प्रधानमंत्री ने कहा, "सऊदी अरामको भारत के पश्चिमी तट पर एक बड़ी रिफाइनरी एवं पेट्रो रसायन परियोजना में भाग ले रही है. हम भारत के पेट्रोलियम के रणनीतिक आरक्षित भंडार में अरामको की भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं."

सऊदी अरामको दुनिया की सबसे अधिक मुनाफे वाली कंपनी है. उसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का भंडार है. यह करीब 270 अरब बैरल का है.

सऊदी अरब अभी अरामको के कच्चे तेल के प्रसंस्करण संयंत्रों पर 14 सितंबर को हुए ड्रोन हमले से उबरने का प्रयास कर रहा है. इस हमले की वजह से सऊदी अरामको का करीब 57 लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन प्रभावित हुआ था. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का करीब 83 प्रतिशत आयात करता है.

यह प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है. इससे पहले वह 2016 में यहां आए थे. उस समय सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज ने उन्हें अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया था. सऊदी अरब के युवराज फरवरी, 2019 में भारत यात्रा पर गए थे.

पिछले कुछ बरसों के दौरान भारत और सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंध काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 2017-18 में भारत का सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय व्यापार 27.48 अरब डॉलर रहा. इस तरह वह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

सऊदी अरब ने पिछले महीने कहा था कि वह भारत के ऊर्जा, रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, बुनियादी ढांचा, कृषि, खनिज और खनन जैसे क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है.

रियाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और सऊदी अरब शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता के संबंधों से आगे अधिक नजदीकी रणनीतिक भागीदारी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसाधन संपन्न सऊदी अरब भारत की तेल एवं गैस शोधन एवं विपणन (डाउनस्ट्रीम) परियोजनाओं में निवेश करेगा.

भारत को इराक के बाद सऊदी अरब की ओर से सबसे अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति की जाती है. बीते वित्त वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 4.03 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा. उस समय भारत का कच्चा तेल का आयात 20.73 करोड़ टन रहा.

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को समाचार पत्र अरब न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 18 प्रतिशत सऊदी अरब से आयात करता है. प्रधानमंत्री सोमवार की रात को यहां पहुंचे. वह यहां एक महत्वपूर्ण वित्तीय सम्मेलन में भाग लेंगे और सऊदी अरब के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे.

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प्रधानमंत्री ने कहा, "शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता संबंध से हम अधिक नजदीकी रणनीतिक संबंधों की ओर बढ़ रहे हैं. इसमें सऊदी अरब द्वारा भारत की तेल एवं गैस शोधन परियोजनाओं में निवेश भी शामिल है."

मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता जरूरी है. उन्होंने भारत की ऊर्जा जरूरत के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में सऊदी अरब की भूमिका की भी सराहना की.

प्रधानमंत्री ने कहा, "सऊदी अरामको भारत के पश्चिमी तट पर एक बड़ी रिफाइनरी एवं पेट्रो रसायन परियोजना में भाग ले रही है. हम भारत के पेट्रोलियम के रणनीतिक आरक्षित भंडार में अरामको की भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं."

सऊदी अरामको दुनिया की सबसे अधिक मुनाफे वाली कंपनी है. उसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का भंडार है. यह करीब 270 अरब बैरल का है.

सऊदी अरब अभी अरामको के कच्चे तेल के प्रसंस्करण संयंत्रों पर 14 सितंबर को हुए ड्रोन हमले से उबरने का प्रयास कर रहा है. इस हमले की वजह से सऊदी अरामको का करीब 57 लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन प्रभावित हुआ था. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का करीब 83 प्रतिशत आयात करता है.

यह प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है. इससे पहले वह 2016 में यहां आए थे. उस समय सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज ने उन्हें अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया था. सऊदी अरब के युवराज फरवरी, 2019 में भारत यात्रा पर गए थे.

पिछले कुछ बरसों के दौरान भारत और सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंध काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 2017-18 में भारत का सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय व्यापार 27.48 अरब डॉलर रहा. इस तरह वह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

सऊदी अरब ने पिछले महीने कहा था कि वह भारत के ऊर्जा, रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, बुनियादी ढांचा, कृषि, खनिज और खनन जैसे क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है.

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रियाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और सऊदी अरब शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता के संबंधों से आगे अधिक नजदीकी रणनीतिक भागीदारी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसाधन संपन्न सऊदी अरब भारत की तेल एवं गैस शोधन एवं विपणन (डाउनस्ट्रीम) परियोजनाओं में निवेश करेगा.

भारत को इराक के बाद सऊदी अरब की ओर से सबसे अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति की जाती है. बीते वित्त वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 4.03 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा. उस समय भारत का कच्चा तेल का आयात 20.73 करोड़ टन रहा.

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को समाचार पत्र अरब न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 18 प्रतिशत सऊदी अरब से आयात करता है. प्रधानमंत्री सोमवार की रात को यहां पहुंचे. वह यहां एक महत्वपूर्ण वित्तीय सम्मेलन में भाग लेंगे और सऊदी अरब के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा, "शुद्ध रूप से क्रेता-विक्रेता संबंध से हम अधिक नजदीकी रणनीतिक संबंधों की ओर बढ़ रहे हैं. इसमें सऊदी अरब द्वारा भारत की तेल एवं गैस शोधन परियोजनाओं में निवेश भी शामिल है."

मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता जरूरी है. उन्होंने भारत की ऊर्जा जरूरत के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में सऊदी अरब की भूमिका की भी सराहना की.

प्रधानमंत्री ने कहा, "सऊदी अरामको भारत के पश्चिमी तट पर एक बड़ी रिफाइनरी एवं पेट्रो रसायन परियोजना में भाग ले रही है. हम भारत के पेट्रोलियम के रणनीतिक आरक्षित भंडार में अरामको की भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं."

सऊदी अरामको दुनिया की सबसे अधिक मुनाफे वाली कंपनी है. उसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का भंडार है. यह करीब 270 अरब बैरल का है.

सऊदी अरब अभी अरामको के कच्चे तेल के प्रसंस्करण संयंत्रों पर 14 सितंबर को हुए ड्रोन हमले से उबरने का प्रयास कर रहा है. इस हमले की वजह से सऊदी अरामको का करीब 57 लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन प्रभावित हुआ था. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का करीब 83 प्रतिशत आयात करता है.

यह प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है. इससे पहले वह 2016 में यहां आए थे. उस समय सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज ने उन्हें अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया था. सऊदी अरब के युवराज फरवरी, 2019 में भारत यात्रा पर गए थे.

पिछले कुछ बरसों के दौरान भारत और सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंध काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 2017-18 में भारत का सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय व्यापार 27.48 अरब डॉलर रहा. इस तरह वह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.

सऊदी अरब ने पिछले महीने कहा था कि वह भारत के ऊर्जा, रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, बुनियादी ढांचा, कृषि, खनिज और खनन जैसे क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है.

 


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