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चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के शून्य से ऊपर रहने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता: रंगराजन - रंगराजन

रंगराजन और ईवाई इंडिया के प्रमुख नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी रिपोर्ट भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं एवं नीतिगत विकल्प: महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना में महामारी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की कहानी का वर्णन किया गया है.

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Published : Sep 6, 2020, 6:36 PM IST

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से कुछ ऊपर रहने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद भी पहली तिमाही में कृषि जैसे क्षेत्र तथा आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं का काम पूरी तरह से चल रहा था. एक रिपोर्ट में यह संभावना व्यक्त की गयी है, जिसका सह-लेखन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने किया है.

रंगराजन और ईवाई इंडिया के प्रमुख नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी रिपोर्ट भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं एवं नीतिगत विकल्प: महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना में महामारी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की कहानी का वर्णन किया गया है.

ये भी पढ़ें- जीडीपी घटने से इस साल अर्थव्यवस्था को हो सकता है 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान : एस सी गर्ग

रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है, ऐसी संभावनाएं हैं जिनके आधार पर यह माना जा सकता है कि परिणाम इन अनुमानों से ठीक-ठाक बेहतर हो सकते हैं.

गिरावट के अनुमानों में विश्वबैंक ने 3.2 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक ने 6.8 प्रतिशत की गिरावट की बात की है.

रिपोर्ट में कहा गया, "हम ध्यान दें कि कुछ प्रमुख क्षेत्र जैसे कृषि और संबद्ध क्षेत्र, सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा सेवाएं और अन्य सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाओं की मांग को देखते हुए सामान्य या सामान्य से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं."

इसमें कहा गया कि अनुमति प्राप्त सामान और सेवाएं के दायरे में आने वाले समूहों तथा कृषि व सार्वजनिक प्रशासन का मिलाकर कुल उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत योगदान हो सकता है. ये 2020-21 की पहली तिमाही में पूरी तरह से परिचालन में थे. अत: पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आधी अर्थव्यवस्था सामान्य या सामान्य से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारें विदेश से निवेश आकर्षित करने के लिये अधिक सक्रिय हो गयी हैं. वित्त वर्ष 2019-20 में कॉरपोरेट कर की दरों में सुधार ने भी विभिन्न विनिर्माण सुविधाओं का भारत आना सुनिश्चित किया है. अत: सकारात्मक वृद्धि की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था को रिकॉर्ड गिरावट का सामना करना पड़ा है और इस दौरान जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से कुछ ऊपर रहने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद भी पहली तिमाही में कृषि जैसे क्षेत्र तथा आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं का काम पूरी तरह से चल रहा था. एक रिपोर्ट में यह संभावना व्यक्त की गयी है, जिसका सह-लेखन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने किया है.

रंगराजन और ईवाई इंडिया के प्रमुख नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी रिपोर्ट भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं एवं नीतिगत विकल्प: महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना में महामारी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की कहानी का वर्णन किया गया है.

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रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है, ऐसी संभावनाएं हैं जिनके आधार पर यह माना जा सकता है कि परिणाम इन अनुमानों से ठीक-ठाक बेहतर हो सकते हैं.

गिरावट के अनुमानों में विश्वबैंक ने 3.2 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक ने 6.8 प्रतिशत की गिरावट की बात की है.

रिपोर्ट में कहा गया, "हम ध्यान दें कि कुछ प्रमुख क्षेत्र जैसे कृषि और संबद्ध क्षेत्र, सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा सेवाएं और अन्य सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाओं की मांग को देखते हुए सामान्य या सामान्य से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं."

इसमें कहा गया कि अनुमति प्राप्त सामान और सेवाएं के दायरे में आने वाले समूहों तथा कृषि व सार्वजनिक प्रशासन का मिलाकर कुल उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत योगदान हो सकता है. ये 2020-21 की पहली तिमाही में पूरी तरह से परिचालन में थे. अत: पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आधी अर्थव्यवस्था सामान्य या सामान्य से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारें विदेश से निवेश आकर्षित करने के लिये अधिक सक्रिय हो गयी हैं. वित्त वर्ष 2019-20 में कॉरपोरेट कर की दरों में सुधार ने भी विभिन्न विनिर्माण सुविधाओं का भारत आना सुनिश्चित किया है. अत: सकारात्मक वृद्धि की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था को रिकॉर्ड गिरावट का सामना करना पड़ा है और इस दौरान जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

(पीटीआई-भाषा)

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