ETV Bharat / business

खुदरा महंगाई के आने वाले महीनों में उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान: एसबीआई रिपोर्ट

एसबीआई की रिपोर्ट 'इकोरैप' में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को सुझाव दिया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति की गणना करते समय उत्पादों की ऑनलाइन कीमतों को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद ज्यादातर लोग अपनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन स्टोर पर भरोसा कर रहे हैं.

खुदरा महंगाई के आने वाले महीनों में उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान: एसबीआई रिपोर्ट
खुदरा महंगाई के आने वाले महीनों में उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान: एसबीआई रिपोर्ट
author img

By

Published : Jul 16, 2020, 4:43 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मजदूरों की कमी के कारण आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के साथ ही राजकोषीय घाटे और बाहरी कारणों के चलते देश में खुदरा महंगाई के अगले कुछ महीनों के दौरान उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है.

एसबीआई की रिपोर्ट 'इकोरैप' में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को सुझाव दिया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति की गणना करते समय उत्पादों की ऑनलाइन कीमतों को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद ज्यादातर लोग अपनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन स्टोर पर भरोसा कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि एमओएसपीआई ने सेवाओं सहित अप्रासंगिक वस्तुओं को शामिल करते हुए खुदरा मुद्रास्फीति को कम करके आंका, और इस तथ्य को संज्ञान में नहीं लिया कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी खपत बहुत कम हो गई है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6.09 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में कहा गया कि हमारे नए भारांश के आधार पर एसबीआई की गणना में मुद्रास्फीति के आंकड़े वास्तविक मुद्रास्फीति के मुकाबले बहुत अधिक हैं.

ये भी पढ़ें: रिलायंस एजीएम: भारत के स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जियो प्लेटफार्म

रिपोर्ट में आगे कहा गया, "हमारी जून 2020 की मुद्रास्फीति 6.98 प्रतिशत है, जो एनएसओ के आंकड़ों से 0.9 प्रतिशत अधिक है. यदि एनएसओ ने ऑनलाइन कीमतों को ध्यान में रखा होता, सीपीआई मुद्रास्फीति पर 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक असर पडता."

एसबीआई के अध्ययन में कहा गया कि महामारी ने दुनिया भर में अपस्फीति की प्रवृत्ति को तेज कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मजदूरों की कमी के कारण आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के साथ ही राजकोषीय घाटे और बाहरी कारणों के चलते देश में खुदरा महंगाई के अगले कुछ महीनों के दौरान उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है.

एसबीआई की रिपोर्ट 'इकोरैप' में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को सुझाव दिया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति की गणना करते समय उत्पादों की ऑनलाइन कीमतों को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद ज्यादातर लोग अपनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन स्टोर पर भरोसा कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि एमओएसपीआई ने सेवाओं सहित अप्रासंगिक वस्तुओं को शामिल करते हुए खुदरा मुद्रास्फीति को कम करके आंका, और इस तथ्य को संज्ञान में नहीं लिया कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी खपत बहुत कम हो गई है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6.09 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में कहा गया कि हमारे नए भारांश के आधार पर एसबीआई की गणना में मुद्रास्फीति के आंकड़े वास्तविक मुद्रास्फीति के मुकाबले बहुत अधिक हैं.

ये भी पढ़ें: रिलायंस एजीएम: भारत के स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जियो प्लेटफार्म

रिपोर्ट में आगे कहा गया, "हमारी जून 2020 की मुद्रास्फीति 6.98 प्रतिशत है, जो एनएसओ के आंकड़ों से 0.9 प्रतिशत अधिक है. यदि एनएसओ ने ऑनलाइन कीमतों को ध्यान में रखा होता, सीपीआई मुद्रास्फीति पर 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक असर पडता."

एसबीआई के अध्ययन में कहा गया कि महामारी ने दुनिया भर में अपस्फीति की प्रवृत्ति को तेज कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.