नई दिल्ली: कंपनी कर में कमी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की शुरुआत करने जैसे सरकार द्वारा आगे बढ़ाये गये ठोस सुधारवादी कदमों से देश में निवेश बढ़ाने के लिये मजबूत आधार तैयार हुआ. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह बात कही.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव गुरुप्रसाद मॉहपात्र ने यह भी कहा कि वह उद्योगों के लिये अनुपालन बोझ को और कम करने पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तीव्र वृद्धि देखी गई. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में आई यह तेजी आगे भी जारी रहेगी.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के भागीदारी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुये मॅाहपात्रा ने कहा, "दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता के क्षेत्र में किये गये हमारे सुधार, कंपनी कर के क्षेत्र में किये गये सुधार, जीएसटी, श्रम और कृषि क्षेत्र में किये गये सुधारों से निवेश बढ़ने के लिये मजबूत आधार तैयार हुआ. यह हमारे कारोबार सुगमता के क्षेत्र में लगातार जारी सुधार से भी आगे बढ़ा है."
ये भी पढ़ें: कोरोना के चलते भारत में वर्चुअली हुआ ताइवान एक्सपो का आयोजन
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब डॉलर रहा है. मॉहपात्रा ने कहा कि कुछ अर्थिक सुधार 'कड़वी दवा' की तरह हैं लेकिन इनकी जरूरत है.
भारत, जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार के बारे में उन्होंने कहा कि यह उतनी मात्रा में नही है जितना कि ऐसे काफी करीबी सहयोगियों के बीच होना चाहिये.
दोनों तरफ काफी काम करने की जरूरत है और उस मोर्चे पर "मुझे उम्मीद है कि हम काफी नजदीकी के साथ काम कर रहे हैं और इस मामले में हम काफी सुधार देखेंगे."
भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019- 20 में कम होकर 17 अरब डॉलर के करीब रह गया जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष में 17.7 अरब डॉलर रहा था.
(पीटीआई-भाषा)