नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान गुरुवार को घटाकर पांच फीसदी कर दिया.
इससे पहले दूसरी तिमाही में जीडीपी छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर रही और इसके मंद बने रहने का अनुमान है. अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के 6.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.
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केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुलाई-सितंबर की जीडीपी वृद्धि अनुमान से काफी कम हो गई है और विभिन्न संकेतक बताते हैं कि घरेलू और बाहरी मांग की स्थिति कमजोर बनी हुई है.
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति बयान में कहा, "मौद्रिक ट्रांसमिशन में सुधार और वैश्विक व्यापार तनावों के त्वरित समाधान वृद्धि अनुमानों के लिए सकारात्मक हैं, लेकिन घरेलू मांग में सुधार में हो रही देरी व वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में मंदी व भू-राजनीतिक तनावों के कारण इसके नकारात्मक होने का खतरा है."
हालांकि, आरबीआई का अनुमान है कि वर्तमान वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में व्यापारिक भावना में मामूली सुधार होगा.
आरबीआई ने कहा, "सकारात्मक पक्ष यह है कि फरवरी 2019 के बाद से मौद्रिक नीति में ढील और पिछले कुछ महीनों में सरकार की ओर से शुरू किए गए उपायों से घरेलू मांग में तेजी आ सकती है."
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने कहा है कि आर्थिक गतिविधि और कमजोर हो गई है और उत्पादन नकारात्मक बना हुआ है.
बता दें कि इस साल की शुरुआत से ही केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को लगातार कम करता रहा है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल में पेश मौद्रिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया था.