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लगातार चौथी बार ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

एमपीसी की बैठक 5 से 7 अगस्त तक तीन दिन चलेगी. इस समय रिजर्व बैंक की रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर है. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद पहली बार फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई.

लगातार चौथी बार ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक
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Published : Aug 4, 2019, 7:55 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक बुधवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा जारी करेगा. इसमें नीतिगत दर में लगातार चौथी बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेतों के बीच केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो दर में कटौती कर सकता है.

उद्योग जगत उम्मीद कर रहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रणाली में नकदी की स्थिति में सुधार और ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कदम उठा सकती है.

एमपीसी की बैठक 5 से 7 अगस्त तक तीन दिन चलेगी. इस समय रिजर्व बैंक की रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर है. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद पहली बार फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई. उसके बाद चार अप्रैल 2019 को और फिर छह जून को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई.

ये भी पढ़ें- कश्मीर स्थिति: एयर इंडिया ने विमानों का अधिकतम किराया घटाया

यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा कि एमपीसी इस बार भी ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकती है. उन्होंने कहा कि इस समय वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. मुझे भरोसा है कि केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करेगा.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का चक्र फरवरी, 2019 से शुरू किया था. हालांकि, अंतिम उपभोक्ता तक कटौती का लाभ काफी धीमी गति से स्थानांतरित हो रहा है. सीआईआई ने कहा कि रिजर्व बैंक को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. इससे प्रणाली में 60,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी.

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वृद्धि दर को प्रोत्साहन के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की जरूरत है. इससे निवेश बढ़ेगा. मुद्रास्फीति नियंत्रण में है. ऐसे में कटौती का लाभ तेजी से स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

एसोचैम ने कहा कि एनबीएफसी के नकदी के संकट को दूर करते हुए ब्याज दर में कटौती से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. इससे उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा तथा यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों की मांग में इजाफा होगा.

सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि निवेशकों का भरोसा बढ़ने और उपभोक्ता खर्च में इजाफा होने से आर्थिक धारणा अब बेहतर हुई है.

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि रीयल एस्टेट सहित कई उद्योग और क्षेत्र इसी साल उल्लेखनीय रफ्तार पकड़ेंगे. जून की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार नीतिगत दर में कटौती की थी.

पूर्वांकर लि. के प्रबंध निदेशक आशीष आर पूर्वांकर ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जून में मौद्रिक समीक्षा में बैंकों को कटौती का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को कहा था जो काफी उत्साहवर्धक है.

उन्होंने कहा कि जहां तक रीयल एस्टेट क्षेत्र की बात है तो कोष की लागत कम होने से हम इसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को स्थानांतरित कर सकेंगे, जिससे क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा.

एडलवेइस रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में व्यापक सुस्ती है. वाहन बिक्री में गिरावट, निवेश में कमी और निर्यात घटने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा विचार है कि सात अगस्त की बैठक में रिजर्व बैंक को रेपो दर में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. हालांकि रिजर्व बैंक गवर्नर के एक हालिया साक्षात्कार से संकेत मिलता है कि ब्याज दर में संभवत: चौथाई प्रतिशत की कटौती होगी.

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक बुधवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा जारी करेगा. इसमें नीतिगत दर में लगातार चौथी बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेतों के बीच केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो दर में कटौती कर सकता है.

उद्योग जगत उम्मीद कर रहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रणाली में नकदी की स्थिति में सुधार और ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कदम उठा सकती है.

एमपीसी की बैठक 5 से 7 अगस्त तक तीन दिन चलेगी. इस समय रिजर्व बैंक की रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर है. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद पहली बार फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई. उसके बाद चार अप्रैल 2019 को और फिर छह जून को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई.

ये भी पढ़ें- कश्मीर स्थिति: एयर इंडिया ने विमानों का अधिकतम किराया घटाया

यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा कि एमपीसी इस बार भी ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकती है. उन्होंने कहा कि इस समय वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. मुझे भरोसा है कि केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करेगा.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का चक्र फरवरी, 2019 से शुरू किया था. हालांकि, अंतिम उपभोक्ता तक कटौती का लाभ काफी धीमी गति से स्थानांतरित हो रहा है. सीआईआई ने कहा कि रिजर्व बैंक को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. इससे प्रणाली में 60,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी.

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वृद्धि दर को प्रोत्साहन के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की जरूरत है. इससे निवेश बढ़ेगा. मुद्रास्फीति नियंत्रण में है. ऐसे में कटौती का लाभ तेजी से स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

एसोचैम ने कहा कि एनबीएफसी के नकदी के संकट को दूर करते हुए ब्याज दर में कटौती से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. इससे उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा तथा यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों की मांग में इजाफा होगा.

सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि निवेशकों का भरोसा बढ़ने और उपभोक्ता खर्च में इजाफा होने से आर्थिक धारणा अब बेहतर हुई है.

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि रीयल एस्टेट सहित कई उद्योग और क्षेत्र इसी साल उल्लेखनीय रफ्तार पकड़ेंगे. जून की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार नीतिगत दर में कटौती की थी.

पूर्वांकर लि. के प्रबंध निदेशक आशीष आर पूर्वांकर ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जून में मौद्रिक समीक्षा में बैंकों को कटौती का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को कहा था जो काफी उत्साहवर्धक है.

उन्होंने कहा कि जहां तक रीयल एस्टेट क्षेत्र की बात है तो कोष की लागत कम होने से हम इसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को स्थानांतरित कर सकेंगे, जिससे क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा.

एडलवेइस रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में व्यापक सुस्ती है. वाहन बिक्री में गिरावट, निवेश में कमी और निर्यात घटने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा विचार है कि सात अगस्त की बैठक में रिजर्व बैंक को रेपो दर में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. हालांकि रिजर्व बैंक गवर्नर के एक हालिया साक्षात्कार से संकेत मिलता है कि ब्याज दर में संभवत: चौथाई प्रतिशत की कटौती होगी.

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लगातार चौथी बार ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक बुधवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा जारी करेगा. इसमें नीतिगत दर में लगातार चौथी बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेतों के बीच केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो दर में कटौती कर सकता है. 

उद्योग जगत उम्मीद कर रहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रणाली में नकदी की स्थिति में सुधार और ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कदम उठा सकती है. 

एमपीसी की बैठक 5 से 7 अगस्त तक तीन दिन चलेगी. इस समय रिजर्व बैंक की रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर है. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद पहली बार फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई. उसके बाद चार अप्रैल 2019 को और फिर छह जून को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई.

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यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा कि एमपीसी इस बार भी ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकती है. उन्होंने कहा कि इस समय वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. मुझे भरोसा है कि केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करेगा. 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का चक्र फरवरी, 2019 से शुरू किया था. हालांकि, अंतिम उपभोक्ता तक कटौती का लाभ काफी धीमी गति से स्थानांतरित हो रहा है. सीआईआई ने कहा कि रिजर्व बैंक को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. इससे प्रणाली में 60,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी.

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वृद्धि दर को प्रोत्साहन के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की जरूरत है. इससे निवेश बढ़ेगा. मुद्रास्फीति नियंत्रण में है. ऐसे में कटौती का लाभ तेजी से स्थानांतरित किया जाना चाहिए. 

एसोचैम ने कहा कि एनबीएफसी के नकदी के संकट को दूर करते हुए ब्याज दर में कटौती से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. इससे उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा तथा यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों की मांग में इजाफा होगा. 

सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा कि निवेशकों का भरोसा बढ़ने और उपभोक्ता खर्च में इजाफा होने से आर्थिक धारणा अब बेहतर हुई है. 

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि रीयल एस्टेट सहित कई उद्योग और क्षेत्र इसी साल उल्लेखनीय रफ्तार पकड़ेंगे. जून की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार नीतिगत दर में कटौती की थी. 

पूर्वांकर लि. के प्रबंध निदेशक आशीष आर पूर्वांकर ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जून में मौद्रिक समीक्षा में बैंकों को कटौती का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को कहा था जो काफी उत्साहवर्धक है. 

उन्होंने कहा कि जहां तक रीयल एस्टेट क्षेत्र की बात है तो कोष की लागत कम होने से हम इसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को स्थानांतरित कर सकेंगे, जिससे क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा. 

एडलवेइस रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में व्यापक सुस्ती है. वाहन बिक्री में गिरावट, निवेश में कमी और निर्यात घटने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटी है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा विचार है कि सात अगस्त की बैठक में रिजर्व बैंक को रेपो दर में आधा प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. हालांकि रिजर्व बैंक गवर्नर के एक हालिया साक्षात्कार से संकेत मिलता है कि ब्याज दर में संभवत: चौथाई प्रतिशत की कटौती होगी.

 


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