मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को साफ साफ कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के आकलन और नीति निर्धाण के लिए सरकारी आंकड़ों पर ही चलता है. उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जबकि 100 से अधिक अर्थशास्त्रियों के एक समूह ने हाल में आर्थिक वृद्धि और कुछ अन्य विषयों से सबंधित सरकार के आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे.
हालांकि, उसके बाद 130 से अधिक सनदी लेखाकारों के समूह ने इन अर्थशास्त्रियों की राय पर प्रश्नचिह्न लगाया था. सरकार में काम करने के बाद आरबीआई की कमान संभाल रहे गवर्नर दास ने यहां मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि रिजर्व बैंक केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के हिसाब से ही चलता है.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के पहले वित्त मंत्री जेटली के साथ अपनी बैठक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई असामान्य बात नहीं है.
उल्लेखनीय है कि पिछले गवर्नर उर्जित पटेल के समय में एक बार गवर्नर और मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने वित्त मंत्री के साथ बैठक करने से इनकार कर दिया था. दास ने कहा कि नीति निर्धारण के लिए समिति के गठन के बाद भी आमने सामने या अन्य तरीके से इस तरह की बैठकें होती रही हैं.
उन्होंने कहा कि आरबीआई राजकोष की स्थिति पर निगाह रखे हुए और उस पर उसकी निगाह बनी रहेगी. एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जालान समिति को अपनी सिफारिशें तय करने के लिए कुछ दिन का समय और चाहिए. यह समिति आरबीआई के पास न्यूनतम पूंजी का फार्मूला तय करने की सिफारिश देने को बिठाई गयी है.
दास ने कहा कि पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान ने उनसे मिल कर चर्चा की थी. समिति ने काफी चर्चा पूरी कर ली है तथा उसे अपनी रपट तय करने के लिए कुछ दिन का समय और चाहिए. रिजर्व बैंक अपने पास 9.4 लाख करोड़ रुपये की आरक्षित पूंजी रखता है. सरकार के एक वर्ग को लगता है कि इस स्तर का बफर पूंजी का भंडार जरूरत से ज्यादा है.
उनका मानना है कि रिजर्व बैंक इसमें से 1.7 लाख करोड़ रुपये से 3 लाख करोड़ रुपये सरकार को आराम से हस्तांतरित कर सकता है.
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