मुंबई: रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुए गुरुवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इससे रेपो दर अब पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गयी है.
हालांकि, रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाये रखा है. गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की पिछले दो दिन से चल रही बैठक के बाद बृहस्पतिवार को छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर में कटौती का पक्ष लिया.
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हालांकि, दो सदस्यों ने दर को यथावत रखने का समर्थन किया. मुख्य ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाने के बाद छह प्रतिशत पर आ गयी है. इससे बैंकों की रिजर्व बैंक से धन लेने की लागत कम होगी और उम्मीद है कि बैंक इस सस्ती लागत का लाभ आगे अपने ग्राहकों तक भी पहुंचायेंगे.
इससे बैंकों से मकान, दुकान और वाहन के लिए कर्ज सस्ती दर पर मिल सकता है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने सात फरवरी 2019 को भी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत पर ला दिया था. आज हुई दूसरी कटौती के बाद रेपो दर 6 प्रतिशत रह गई. इससे पहले अप्रैल 2018 में भी रेपो दर छह प्रतिशत पर थी.
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7.2% रहने का अनुमान
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में बरकरार रखने के मध्यावधि के लक्ष्य को हासिल करने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये रेपो दर में कटौती की गयी है. रेट कट की घोषणा करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.4 की बजाय 7.2 रखा गया है.
रेपो रेट का यह असर
रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और इसलिए बैंक ब्याज दरों में कमी करते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके. रेपो रेट में कमी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा. साफ है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें घटाना होगा.
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे.
क्या है रिवर्स रेपो रेट?
यह रेपो रेट से उलट होता है. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है.
क्या है सीआरआर?
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है.
क्या है एसएलआर?
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को अपना पैसा सरकार के पास रखना होता है, उसे एसएलआर कहते हैं. नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी आपातकाल वाले लेनदेन को पूरा करने में किया जाता है.