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कर्जदारों की पहचान बताने को आरबीआई अधिनियम में संशोधन हो - एआईबीईए

शीर्ष अदालत द्वारा आरबीआई को बैंकों की जांच रिपोर्ट और कर्जदारों के नामों का खुलासा करने के आदेश का स्वागत करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के मुद्दे पर एआईबीईए के रुख पर मुहर लगाई है.

भारतीय रिजर्व बैंक।
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Published : Apr 29, 2019, 10:02 PM IST

चेन्नई : सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के आलोक में सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम में जल्द या बाद में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर कर्जदारों के नाम प्रकाशित करने होंगे. ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही.

शीर्ष अदालत द्वारा आरबीआई को बैंकों की जांच रिपोर्ट और कर्जदारों के नामों का खुलासा करने के आदेश का स्वागत करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के मुद्दे पर एआईबीईए के रुख पर मुहर लगाई है.

उन्होंने कहा, "जल्द या बाद में सरकार और आरबीआई को आरबीआई अधिनियम में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर बड़े कर्जदारों के नामों का प्रकाशन करना ही होगा, ताकि देश को पता तो चले कि ये कर्जदार कौन हैं, जो लोगों के धन का गबन कर रहे हैं."

वेंकटचलम ने कहा कि कुल 9,331 जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले कर्जदारों के पास 31 मार्च, 2018 तक कुल 1,22,018 करोड़ रुपये बकाया है.

भारतीय बैंकिंग प्रणाली में फंसे हुए कर्ज की रकम वित्त वर्ष 2017-18 तक कुल 8,95,600 करोड़ रुपये हो चुकी है.
ये भी पढ़ें : अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 80 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है ब्रेंट क्रूड का भाव

चेन्नई : सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के आलोक में सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम में जल्द या बाद में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर कर्जदारों के नाम प्रकाशित करने होंगे. ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही.

शीर्ष अदालत द्वारा आरबीआई को बैंकों की जांच रिपोर्ट और कर्जदारों के नामों का खुलासा करने के आदेश का स्वागत करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के मुद्दे पर एआईबीईए के रुख पर मुहर लगाई है.

उन्होंने कहा, "जल्द या बाद में सरकार और आरबीआई को आरबीआई अधिनियम में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर बड़े कर्जदारों के नामों का प्रकाशन करना ही होगा, ताकि देश को पता तो चले कि ये कर्जदार कौन हैं, जो लोगों के धन का गबन कर रहे हैं."

वेंकटचलम ने कहा कि कुल 9,331 जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले कर्जदारों के पास 31 मार्च, 2018 तक कुल 1,22,018 करोड़ रुपये बकाया है.

भारतीय बैंकिंग प्रणाली में फंसे हुए कर्ज की रकम वित्त वर्ष 2017-18 तक कुल 8,95,600 करोड़ रुपये हो चुकी है.
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चेन्नई : सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के आलोक में सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम में जल्द या बाद में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर कर्जदारों के नाम प्रकाशित करने होंगे. ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही.



शीर्ष अदालत द्वारा आरबीआई को बैंकों की जांच रिपोर्ट और कर्जदारों के नामों का खुलासा करने के आदेश का स्वागत करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के मुद्दे पर एआईबीईए के रुख पर मुहर लगाई है.



उन्होंने कहा, "जल्द या बाद में सरकार और आरबीआई को आरबीआई अधिनियम में संशोधन करना ही होगा और समय-समय पर बड़े कर्जदारों के नामों का प्रकाशन करना ही होगा, ताकि देश को पता तो चले कि ये कर्जदार कौन हैं, जो लोगों के धन का गबन कर रहे हैं."



वेंकटचलम ने कहा कि कुल 9,331 जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले कर्जदारों के पास 31 मार्च, 2018 तक कुल 1,22,018 करोड़ रुपये बकाया है.



भारतीय बैंकिंग प्रणाली में फंसे हुए कर्ज की रकम वित्त वर्ष 2017-18 तक कुल 8,95,600 करोड़ रुपये हो चुकी है.

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