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भारत में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार वैध, बशर्ते इन नियमों का करना होगा पालन - cryptocurrency

भारत में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर कोई रोक नहीं है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साफ कर दिया है कि भारतीय निवेशक इसमें पूंजी लगा सकते हैं. आरबीआई ने कहा कि चार मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने उस सर्कुलर को खारिज कर दिया, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर रोक लगाई गई थी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस सर्कुलर को खारिज किए जाने के बावजूद कई बैंक क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को इजाजत नहीं दे रहे हैं.

आभासी मुद्रा संबंधी सर्कुलर
आभासी मुद्रा संबंधी सर्कुलर
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Published : Jun 1, 2021, 7:18 PM IST

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों समेत भुगतान प्रणाली भागीदारों से कहा है कि ग्राहकों को दिए जाने वाले संदेश में अप्रैल, 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के संबंध में जारी सर्कुलर का उल्लेख नहीं किया जाए. बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई के सर्कुलर को उच्चतम न्यायालय ने बाद में खारिज कर दिया था.

क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई (RBI cryptocurrency) का ताजा आदेश सोमवार को तब जारी किया गया जब कुछ बैंकों और उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों ने इस सकुर्लर का संदर्भ देते हुये अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी यानी आभासी मुद्राओं में लेनदेन करने से आगाह किया.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के जरिये उसके संज्ञान में आया है कि कुछ बैंक और नियमन इकाइयां अपने ग्राहकों को 6 अप्रैल 2018 को जारी सर्कुलर का संदर्भ देते हुये आभासी मुद्रा में लेनदेन से आगाह कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया सर्कुलर
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि इस सर्कुलर को 04 मार्च, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था. 'माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुये यह सर्कुलर उच्चतम न्यायालय के फैसले के दिन से वैध नहीं रह गया है, इसलिये इसका संदेशों में जिक्र अथवा संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिये.'

ग्राहकों की जांच परख प्रक्रिया जारी
रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर सोमवार को सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और भुगतान प्रणाली भागीदारों के नाम जारी किया. रिजर्व बैंक ने कहा, हालांकि, बैंक मानक संचालन नियमनों के तहत अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी), मनी लांड्रिंग रोधी, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) और मनी लांड्रिग रोधी कानून के तहत नियमन में आने वाली इकाइयों के दायित्व के तहत ग्राहकों की जांच परख प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई का सर्कुलर
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर 6 अप्रैल, 2018 को जारी किया था. इसमें कहा गया था कि उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को आभासी मुद्राओं से संबंधित किसी भी तरह की सेवायें देने से प्रतिबंधित किया जाता है. इनमें आभासी मुद्राओं की खरीद फरोख्त से संबंधित खातों में आने जाने वाली राशि संबंधी सेवाओं पर भी रोक लगाने को कहा गया था.

यह भी पढ़ें- सरकार ला सकती है क्रिप्टोकरेंसी पर बिल : अनुराग सिंह ठाकुर

क्रिप्टोकरेंसी पर कानून बना सकती है मोदी सरकार
बता दें कि ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने संकेत दिए थे कि केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Centre on cryptocurrency) पर बिल ला सकती है. गत फरवरी में आम बजट पेश किए जाने के बाद अनुराग ठाकुर ने कहा था, 'भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत सरकार ने एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सचिवों की समिति और समूह की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, सरकार को इस संसद सत्र में क्रिप्टोक्यूरेंसी पर एक बिल को पेश करने की संभावना है.'

(एक्स्ट्रा इनपुट- भाषा)

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों समेत भुगतान प्रणाली भागीदारों से कहा है कि ग्राहकों को दिए जाने वाले संदेश में अप्रैल, 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के संबंध में जारी सर्कुलर का उल्लेख नहीं किया जाए. बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई के सर्कुलर को उच्चतम न्यायालय ने बाद में खारिज कर दिया था.

क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई (RBI cryptocurrency) का ताजा आदेश सोमवार को तब जारी किया गया जब कुछ बैंकों और उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों ने इस सकुर्लर का संदर्भ देते हुये अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी यानी आभासी मुद्राओं में लेनदेन करने से आगाह किया.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के जरिये उसके संज्ञान में आया है कि कुछ बैंक और नियमन इकाइयां अपने ग्राहकों को 6 अप्रैल 2018 को जारी सर्कुलर का संदर्भ देते हुये आभासी मुद्रा में लेनदेन से आगाह कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया सर्कुलर
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि इस सर्कुलर को 04 मार्च, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था. 'माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुये यह सर्कुलर उच्चतम न्यायालय के फैसले के दिन से वैध नहीं रह गया है, इसलिये इसका संदेशों में जिक्र अथवा संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिये.'

ग्राहकों की जांच परख प्रक्रिया जारी
रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर सोमवार को सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और भुगतान प्रणाली भागीदारों के नाम जारी किया. रिजर्व बैंक ने कहा, हालांकि, बैंक मानक संचालन नियमनों के तहत अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी), मनी लांड्रिंग रोधी, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) और मनी लांड्रिग रोधी कानून के तहत नियमन में आने वाली इकाइयों के दायित्व के तहत ग्राहकों की जांच परख प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई का सर्कुलर
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर 6 अप्रैल, 2018 को जारी किया था. इसमें कहा गया था कि उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को आभासी मुद्राओं से संबंधित किसी भी तरह की सेवायें देने से प्रतिबंधित किया जाता है. इनमें आभासी मुद्राओं की खरीद फरोख्त से संबंधित खातों में आने जाने वाली राशि संबंधी सेवाओं पर भी रोक लगाने को कहा गया था.

यह भी पढ़ें- सरकार ला सकती है क्रिप्टोकरेंसी पर बिल : अनुराग सिंह ठाकुर

क्रिप्टोकरेंसी पर कानून बना सकती है मोदी सरकार
बता दें कि ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने संकेत दिए थे कि केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Centre on cryptocurrency) पर बिल ला सकती है. गत फरवरी में आम बजट पेश किए जाने के बाद अनुराग ठाकुर ने कहा था, 'भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत सरकार ने एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सचिवों की समिति और समूह की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, सरकार को इस संसद सत्र में क्रिप्टोक्यूरेंसी पर एक बिल को पेश करने की संभावना है.'

(एक्स्ट्रा इनपुट- भाषा)

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