मसूरी: हिमालयी राज्यों के विकास के सामने आने वाली दिक्कतों पर चर्चा करने के लिए देश के 11 हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि एक साथ जुटे. इस सम्मेलन में हिमालयी राज्य किस प्रकार से जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग कर सकते हैं, इसपर मंथन किया गया. साथ ही वित्त मंत्रालय से हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्रावधान करने की मांग भी की गई.
सीतारमण ने कहा कि इस तरह का सम्मेलन हिमालयी राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे और पंचायती राज संस्थान इस लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पहाड़ियों से प्रवास को रोकने के लिए उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी.
जल विद्युत में हिमालयी राज्यों का है महत्वपूर्ण योगदान
हिमालयी राज्यों के कॉन्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कई हिमालयी राज्य ऐसे हैं जिन्होंने जल विद्युत में योगदान दिया है. उदाहरण के लिए अरुणाचल प्रदेश. यह राज्य जल्द ही जल विद्युत से भारत को 50 प्रतिशत ऊर्जा की आपूर्ति करेगा. साथ ही पर्यावरण और विकास के बीच भी संतुलन बनाया जाना चाहिए.
स्टार्ट-अप से रुकेगा पलायन और बढ़ेगी आर्थिक समृद्धि
पर्यावरण सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों को जैविक खेती पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं के लिए स्टार्ट-अप भी बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है क्याोंकि यह न केवल पलायन को रोकने में मदद करेगा बल्कि ऐसे क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि भी लाएगा. सीतारमण ने कहा कि विकास योजनाओं की सफलता के लिए स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना बहुत महत्वपूर्ण है.
बता दें कि पहाड़ों की रानी मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया था. कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों में से 10 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों के विकास के लिए जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई.