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न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में पांच प्रतिशत हो कटौती: सुरजीत भल्ला - minimum support price should be eliminated

भल्ला ने कहा, "देश में पूंजी की लागत और कंपनी कर काफी ऊंचा है. आरबीआई पिछले पांच छह साल से गलत रास्ते पर चल रहा है. प्रभावी वास्तविक ब्याज दर 3.5 प्रतिशत नहीं हो सकती."

न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में पांच प्रतिशत हो कटौती: सुरजीत भल्ला
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Published : May 20, 2019, 7:54 PM IST

नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने सोमवार को कहा कि अगली सरकार को तीन साल में फलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त करनी चाहिए और साथ ही कंपनी कर में 5 प्रतिशत की कमी तथा आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. सात चरण में हुए आम चुनावों के लिए वोट डाले जा चुके हैं. मतों की गिनती 23 मई को होगी.

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "अगली सरकार को तीन साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में 5 प्रतिशत कमी, आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. साथ ही कृषि क्षेत्र में हस्तक्षेप शून्य होना चाहिए."

ये भी पढ़ें- टाटा मोटर्स का शुद्ध लाभ चौथी तिमाही में 49 प्रतिशत घटा

भल्ला ने कहा, "देश में पूंजी की लागत और कंपनी कर काफी ऊंचा है. आरबीआई पिछले पांच छह साल से गलत रास्ते पर चल रहा है. प्रभावी वास्तविक ब्याज दर 3.5 प्रतिशत नहीं हो सकती."

उन्होंने आगे कहा कि देश की वृद्धि दर की संभावना करीब 8 से 8.5 प्रतिशत सालाना है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के पूर्व सदस्य ने यह भी कहा कि भारत के मध्यम आय की जाल में फंसने की आशंका नहीं हैं . उन्होंने कहा, "मध्यम आय वर्ग जाल की धारणा को ज्यादातर गलत समझा जाता है और भारतीय इस ओर नहीं बढ़ रहा है."

हाल ही में पीएमईएसी सदस्य रथिन रॉय ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक नरमी की ओर बढ़ रही है. अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर भल्ला ने कहा कि चीन ने लंबे समय से विश्व अर्थव्यवस्था का बेजा लाभ उठाया है और अब वह पूर्व में उठाए गए लाभ की कीमत चुका रहा है.

गो वध पर पाबंदी को मुस्लिम विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति में बदलाव की जरूरत है क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को आकलने के बारे में कहे जाने पर भल्ला ने कहा कि पिछले चार-पांच साल में किसी भी देश की तुलना में यह सर्वाधिक समावेशी सरकार है.

उन्होंने कहा, "मोदी को एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखने की जरूरत है और वह उसी श्रेणी में है जिसमें सिंगापुर के ली कुआन येव हैं. उनके पास दृष्टिकोण और मिशन है और बहुमत हासिल करना (आम चुनावों में) मिशन का हिस्सा है."

नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने सोमवार को कहा कि अगली सरकार को तीन साल में फलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त करनी चाहिए और साथ ही कंपनी कर में 5 प्रतिशत की कमी तथा आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. सात चरण में हुए आम चुनावों के लिए वोट डाले जा चुके हैं. मतों की गिनती 23 मई को होगी.

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "अगली सरकार को तीन साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में 5 प्रतिशत कमी, आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. साथ ही कृषि क्षेत्र में हस्तक्षेप शून्य होना चाहिए."

ये भी पढ़ें- टाटा मोटर्स का शुद्ध लाभ चौथी तिमाही में 49 प्रतिशत घटा

भल्ला ने कहा, "देश में पूंजी की लागत और कंपनी कर काफी ऊंचा है. आरबीआई पिछले पांच छह साल से गलत रास्ते पर चल रहा है. प्रभावी वास्तविक ब्याज दर 3.5 प्रतिशत नहीं हो सकती."

उन्होंने आगे कहा कि देश की वृद्धि दर की संभावना करीब 8 से 8.5 प्रतिशत सालाना है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के पूर्व सदस्य ने यह भी कहा कि भारत के मध्यम आय की जाल में फंसने की आशंका नहीं हैं . उन्होंने कहा, "मध्यम आय वर्ग जाल की धारणा को ज्यादातर गलत समझा जाता है और भारतीय इस ओर नहीं बढ़ रहा है."

हाल ही में पीएमईएसी सदस्य रथिन रॉय ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक नरमी की ओर बढ़ रही है. अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर भल्ला ने कहा कि चीन ने लंबे समय से विश्व अर्थव्यवस्था का बेजा लाभ उठाया है और अब वह पूर्व में उठाए गए लाभ की कीमत चुका रहा है.

गो वध पर पाबंदी को मुस्लिम विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति में बदलाव की जरूरत है क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को आकलने के बारे में कहे जाने पर भल्ला ने कहा कि पिछले चार-पांच साल में किसी भी देश की तुलना में यह सर्वाधिक समावेशी सरकार है.

उन्होंने कहा, "मोदी को एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखने की जरूरत है और वह उसी श्रेणी में है जिसमें सिंगापुर के ली कुआन येव हैं. उनके पास दृष्टिकोण और मिशन है और बहुमत हासिल करना (आम चुनावों में) मिशन का हिस्सा है."

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न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में पांच प्रतिशत हो कटौती: सुरजीत भल्ला

नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने सोमवार को कहा कि अगली सरकार को तीन साल में फलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त करनी चाहिए और साथ ही कंपनी कर में 5 प्रतिशत की कमी तथा आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. 

सात चरण में हुए आम चुनावों के लिए वोट डाले जा चुके हैं. मतों की गिनती 23 मई को होगी.

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "अगली सरकार को तीन साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करना चाहिए, कंपनी कर में 5 प्रतिशत कमी, आय समर्थन योजना का दायरा बढ़ाना चाहिए. साथ ही कृषि क्षेत्र में हस्तक्षेप शून्य होना चाहिए."

भल्ला ने कहा, "देश में पूंजी की लागत और कंपनी कर काफी ऊंचा है. आरबीआई पिछले पांच छह साल से गलत रास्ते पर चल रहा है. प्रभावी वास्तविक ब्याज दर 3.5 प्रतिशत नहीं हो सकती." 

उन्होंने आगे कहा कि देश की वृद्धि दर की संभावना करीब 8 से 8.5 प्रतिशत सालाना है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के पूर्व सदस्य ने यह भी कहा कि भारत के मध्यम आय की जाल में फंसने की आशंका नहीं हैं . उन्होंने कहा, "मध्यम आय वर्ग जाल की धारणा को ज्यादातर गलत समझा जाता है और भारतीय इस ओर नहीं बढ़ रहा है."

हाल ही में पीएमईएसी सदस्य रथिन रॉय ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक नरमी की ओर बढ़ रही है. अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर भल्ला ने कहा कि चीन ने लंबे समय से विश्व अर्थव्यवस्था का बेजा लाभ उठाया है और अब वह पूर्व में उठाए गए लाभ की कीमत चुका रहा है.

गो वध पर पाबंदी को मुस्लिम विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति में बदलाव की जरूरत है क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को आकलने के बारे में कहे जाने पर भल्ला ने कहा कि पिछले चार-पांच साल में किसी भी देश की तुलना में यह सर्वाधिक समावेशी सरकार है. 

उन्होंने कहा, "मोदी को एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखने की जरूरत है और वह उसी श्रेणी में है जिसमें सिंगापुर के ली कुआन येव हैं. उनके पास दृष्टिकोण और मिशन है और बहुमत हासिल करना (आम चुनावों में) मिशन का हिस्सा है."


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