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किसानों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करने के लिए नयी योजना - कृषि मंत्रालय

इस योजना का मकसद ऐसे किसानों को बुढ़ाते में एक न्यूनतम सहारा देना है जो कोई खास बचत करने की स्थिति में नहीं होते. यह योजना उनकी आजीविका का साधन खत्म होने की स्थिति में उनकी मदद करेगी.

किसानों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करने के लिए नयी योजना
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Published : Jun 21, 2019, 10:02 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने राज्य सभा को शुक्रवार को बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को प्रति माह 3,000 रुपये की सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की एक नई योजना तैयार की है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने सभी छोटे और सीमांत किसानों (एसएमएफ) के लिए एक पेंशन योजना को मंजूरी दी है. इसमें कुछ शर्तें भी होंगी.

इस योजना का मकसद ऐसे किसानों को बुढ़ाते में एक न्यूनतम सहारा देना है जो कोई खास बचत करने की स्थिति में नहीं होते. यह योजना उनकी आजीविका का साधन खत्म होने की स्थिति में उनकी मदद करेगी.

ये भी पढ़ें: एक हजार किमी से ज्यादा दूरी तय करनी वाली 342 जोड़ी ट्रेनों में नहीं है पैंट्री कार

उन्होंने अपने उत्तर में कहा, "इस योजना के तहत पात्र किसानों के 60 वर्ष की आयु के बाद प्रति माह 3,000 रुपये की न्यूनतम निश्चित पेंशन देने का प्रावधान है. यह एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें 18 से 40 वर्ष की आयु तक प्रवेश किया जा सकता है. लाभार्थी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा प्रबंधित पेंशन फंड की सदस्यता लेकर योजना के सदस्य बनने का विकल्प चुन सकते हैं."

योजना कैसे काम करती है, इस पर एक उदाहरण का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि लाभार्थी को 29 वर्ष के योजना में प्रवेश के वर्ष से पेंशन फंड में प्रतिमाह 100 रुपये देना है और केंद्र सरकार की ओर से 100 रुपये के बराबर की राशि का योगदान दिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 तक योजना के कार्यान्वयन के लिए 10,774.50 करोड़ रुपये की राशि का खर्च होने की उम्मीद है.

नई दिल्ली: सरकार ने राज्य सभा को शुक्रवार को बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को प्रति माह 3,000 रुपये की सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की एक नई योजना तैयार की है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने सभी छोटे और सीमांत किसानों (एसएमएफ) के लिए एक पेंशन योजना को मंजूरी दी है. इसमें कुछ शर्तें भी होंगी.

इस योजना का मकसद ऐसे किसानों को बुढ़ाते में एक न्यूनतम सहारा देना है जो कोई खास बचत करने की स्थिति में नहीं होते. यह योजना उनकी आजीविका का साधन खत्म होने की स्थिति में उनकी मदद करेगी.

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उन्होंने अपने उत्तर में कहा, "इस योजना के तहत पात्र किसानों के 60 वर्ष की आयु के बाद प्रति माह 3,000 रुपये की न्यूनतम निश्चित पेंशन देने का प्रावधान है. यह एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें 18 से 40 वर्ष की आयु तक प्रवेश किया जा सकता है. लाभार्थी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा प्रबंधित पेंशन फंड की सदस्यता लेकर योजना के सदस्य बनने का विकल्प चुन सकते हैं."

योजना कैसे काम करती है, इस पर एक उदाहरण का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि लाभार्थी को 29 वर्ष के योजना में प्रवेश के वर्ष से पेंशन फंड में प्रतिमाह 100 रुपये देना है और केंद्र सरकार की ओर से 100 रुपये के बराबर की राशि का योगदान दिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 तक योजना के कार्यान्वयन के लिए 10,774.50 करोड़ रुपये की राशि का खर्च होने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली: सरकार ने राज्य सभा को शुक्रवार को बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को प्रति माह 3,000 रुपये की सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की एक नई योजना तैयार की है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने सभी छोटे और सीमांत किसानों (एसएमएफ) के लिए एक पेंशन योजना को मंजूरी दी है. इसमें कुछ शर्तें भी होंगी.

इस योजना का मकसद ऐसे किसानों को बुढ़ाते में एक न्यूनतम सहारा देना है जो कोई खास बचत करने की स्थिति में नहीं होते. यह योजना उनकी आजीविका का साधन खत्म होने की स्थिति में उनकी मदद करेगी.

उन्होंने अपने उत्तर में कहा, "इस योजना के तहत पात्र किसानों के 60 वर्ष की आयु के बाद प्रति माह 3,000 रुपये की न्यूनतम निश्चित पेंशन देने का प्रावधान है. यह एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें 18 से 40 वर्ष की आयु तक प्रवेश किया जा सकता है. लाभार्थी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा प्रबंधित पेंशन फंड की सदस्यता लेकर योजना के सदस्य बनने का विकल्प चुन सकते हैं."

योजना कैसे काम करती है, इस पर एक उदाहरण का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि लाभार्थी को 29 वर्ष के योजना में प्रवेश के वर्ष से पेंशन फंड में प्रतिमाह 100 रुपये देना है और केंद्र सरकार की ओर से 100 रुपये के बराबर की राशि का योगदान दिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 तक योजना के कार्यान्वयन के लिए 10,774.50 करोड़ रुपये की राशि का खर्च होने की उम्मीद है.

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