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राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत खुदरा कीमत पिछले साल से 60 प्रतिशत कम: सरकार - Nationwide average retail price

प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था जिसके अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे प्याज की औसत खुदरा कीमत में गिरावट आई है.

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Published : Jan 1, 2021, 8:33 AM IST

नई दिल्ली : उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा कि प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार के समय पर किए गए हस्तक्षेप के अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे अखिल भारतीय स्तरपर प्याज की औसत खुदरा कीमत इस साल 60 प्रतिशत घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है.

नंदन ने कहा कि देश भर में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है.

उन्होंने कहा, केवल एक महीने में प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 33.33 प्रतिशत घटकर आज 40 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है, जो इस साल 30 नवंबर को 60 रुपये प्रति किलो थी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को प्याज औसत मूल्य 30 रुपये प्रति किलो से भी कम रहा, जबकि 31 दिसंबर, 2019 को यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में बृहस्पतिवार को औसत मूल्य 48 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जबकि एक साल पहले यह 93 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था. वहीं कोलकाता में यह कीमत एक साल पहले के 90 रुपये से घटकर 40 रुपये प्रति किलो रह गई.

नंदन ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत कीमत में 60 प्रतिशत की गिरावट, सरकार द्वारा सितंबर के महीने से समय पर किए गए हस्तक्षेप की वजह से संभव हुई है.

प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों की एक श्रृंखला पर प्रकाश डालते हुए सचिव ने कहा कि सरकार ने 14 सितंबर को प्याज के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया.

उसके बाद, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं पर 23 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक तीन महीने के लिए स्टॉक की सीमा लागू की गई. इसका तत्काल प्रभाव पड़ा.

इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय आपूर्ति में सुधार और मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्याज के आयात की सुविधा प्रदान की.

सचिव के अनुसार, सरकार ने अफगानिस्तान और अन्य देशों से प्याज आयात करने के लिए कदम उठाए, साथ ही सहकारी संस्था नाफेड के माध्यम से सीधे प्याज आयात करने के लिए भी कदम उठाए.

पढ़ें :- सरकार ने एक जनवरी से प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाई

उन्होंने कहा, वर्ष 2020 में निजी व्यापारियों के माध्यम से लगभग 70,000-75,000 टन प्याज का आयात किया गया था. नाफेड ने भी लगभग 3,000 टन प्याज का आयात किया था.

उन्होंने कहा, इन सभी कदमों को मिलाकर एक स्थिति पैदा हुई है, जहां आंकड़े खुद साक्ष्य हैं. सरकार द्वारा एक जनवरी से निर्यात प्रतिबंध हटाने की घोषणा के बाद महाराष्ट्र के लासलगांव थोक मंडी में प्याज की कीमतों में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर, सचिव ने कहा, यह अच्छा है. यदि अच्छी मात्रा में बाजार में आवक हो रही है, तो कृत्रिम रूप से निर्यात में बाधा डालने कोई जरूरत नहीं है. यही तर्क है.

उन्होंने कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के उपाय उपभोक्ता के लिए कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किए गए थे, जिसका उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ता है.

नंदन ने कहा कि बाजारों में ताजा खरीफ फसल की आवक के साथ खुदरा प्याज की कीमतें नरम पड़ गईं.

उन्होंने यह भी कहा कि देश का खरीफ प्याज का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक रहा है.

उन्होंने आगे कहा, सरकार ने वर्ष 2021 के रबी सत्र के लिए प्याज के बफर स्टॉक को एक लाख टन से बढ़ाकर 1.5 लाख टन करने का फैसला किया है.

नई दिल्ली : उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा कि प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार के समय पर किए गए हस्तक्षेप के अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे अखिल भारतीय स्तरपर प्याज की औसत खुदरा कीमत इस साल 60 प्रतिशत घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है.

नंदन ने कहा कि देश भर में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है.

उन्होंने कहा, केवल एक महीने में प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 33.33 प्रतिशत घटकर आज 40 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है, जो इस साल 30 नवंबर को 60 रुपये प्रति किलो थी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को प्याज औसत मूल्य 30 रुपये प्रति किलो से भी कम रहा, जबकि 31 दिसंबर, 2019 को यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में बृहस्पतिवार को औसत मूल्य 48 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जबकि एक साल पहले यह 93 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था. वहीं कोलकाता में यह कीमत एक साल पहले के 90 रुपये से घटकर 40 रुपये प्रति किलो रह गई.

नंदन ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत कीमत में 60 प्रतिशत की गिरावट, सरकार द्वारा सितंबर के महीने से समय पर किए गए हस्तक्षेप की वजह से संभव हुई है.

प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों की एक श्रृंखला पर प्रकाश डालते हुए सचिव ने कहा कि सरकार ने 14 सितंबर को प्याज के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया.

उसके बाद, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं पर 23 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक तीन महीने के लिए स्टॉक की सीमा लागू की गई. इसका तत्काल प्रभाव पड़ा.

इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय आपूर्ति में सुधार और मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्याज के आयात की सुविधा प्रदान की.

सचिव के अनुसार, सरकार ने अफगानिस्तान और अन्य देशों से प्याज आयात करने के लिए कदम उठाए, साथ ही सहकारी संस्था नाफेड के माध्यम से सीधे प्याज आयात करने के लिए भी कदम उठाए.

पढ़ें :- सरकार ने एक जनवरी से प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाई

उन्होंने कहा, वर्ष 2020 में निजी व्यापारियों के माध्यम से लगभग 70,000-75,000 टन प्याज का आयात किया गया था. नाफेड ने भी लगभग 3,000 टन प्याज का आयात किया था.

उन्होंने कहा, इन सभी कदमों को मिलाकर एक स्थिति पैदा हुई है, जहां आंकड़े खुद साक्ष्य हैं. सरकार द्वारा एक जनवरी से निर्यात प्रतिबंध हटाने की घोषणा के बाद महाराष्ट्र के लासलगांव थोक मंडी में प्याज की कीमतों में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर, सचिव ने कहा, यह अच्छा है. यदि अच्छी मात्रा में बाजार में आवक हो रही है, तो कृत्रिम रूप से निर्यात में बाधा डालने कोई जरूरत नहीं है. यही तर्क है.

उन्होंने कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के उपाय उपभोक्ता के लिए कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किए गए थे, जिसका उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ता है.

नंदन ने कहा कि बाजारों में ताजा खरीफ फसल की आवक के साथ खुदरा प्याज की कीमतें नरम पड़ गईं.

उन्होंने यह भी कहा कि देश का खरीफ प्याज का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक रहा है.

उन्होंने आगे कहा, सरकार ने वर्ष 2021 के रबी सत्र के लिए प्याज के बफर स्टॉक को एक लाख टन से बढ़ाकर 1.5 लाख टन करने का फैसला किया है.

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