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समुद्री नाविकों के संगठनों ने बजट में प्रवासी भारतीय कर का विरोध किया - मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया

मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया (एमयूआई) और नेशनल यूनियन ऑफ सीफेएरर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) ने संयुक्त बयान में कहा कि बजट में आयकर कानून में बदलाव को लेकर हमारा विरोध है. बजट में उन प्रवासी भारतीयों पर कर लगाने का प्रस्ताव है जो दुनिया में कहीं भी कर नहीं दे रहे.

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समुद्री नाविकों के संगठनों ने बजट में प्रवासी भारतीय कर का विरोध किया
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Published : Feb 3, 2020, 5:10 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 12:50 AM IST

नई दिल्ली: समुद्री नाविकों के संगठनों ने 2020-21 के बजट में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) पर कर लगाने के प्रस्ताव को काला कानून बताया. उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर अपनी चिंता से अवगत कराएंगे.

संगठनों के अनुसार फिलीपीन और यूक्रेन जैसे देश समुद्री नाविकों के मामले में वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर भारत के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं लेकिन वे अपने नाविकों पर ऊंची दर से आयकर नहीं लगाते.

मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया (एमयूआई) और नेशनल यूनियन ऑफ सीफेएरर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) ने संयुक्त बयान में कहा कि बजट में आयकर कानून में बदलाव को लेकर हमारा विरोध है. बजट में उन प्रवासी भारतीयों पर कर लगाने का प्रस्ताव है जो दुनिया में कहीं भी कर नहीं दे रहे.

बजट प्रस्ताव के अनुसार साथ ही भारत में प्रवास की अवधि 181 दिन से कम कर 120 दिन कर दी गयी है. इसका मतलब है कि जो लागे 245 दिन से अधिक विदेशों में रहेंगे, उन्हें प्रवासी भारतीय (एनआरआई) का दर्जा दिया जाएगा. पहले यह अवधि 183 दिन की थी.

बयान के अनुसार, "यह दोहरी मार है. भारतीय नाविकों को पेशे से होने वाली आय पर एक तरफ आयकर देना होगा वहीं दूसरी तरफ उन्हें कम-से-कम साल में 245 दिन दुनिया भर में मालवाहक जहाजों को चलाना है."

ये भी पढ़ें: रोज वैली मामला: ईडी ने 3 फर्मों की 70 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की

एनयूएसआई के महासचिव अब्दुलगनी सेरंग ने कहा, "हमने एनयूएसआई के सभी सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गये विरोध पत्रों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है. इन पत्रों को अगले कुछ दिनों में वित्त और पोत परिवहन मंत्रालय को देने का हमारा इरादा है. इस काला कानून के खिलाफ आने वाले दिनों में देश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा."

बयान में कहा गया है कि एमयूआई और एनयूएसआई का संयुक्त प्रतिनिधिंडल इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण और पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात कर सकता है.
(पीटीआई/भाषा)

नई दिल्ली: समुद्री नाविकों के संगठनों ने 2020-21 के बजट में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) पर कर लगाने के प्रस्ताव को काला कानून बताया. उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर अपनी चिंता से अवगत कराएंगे.

संगठनों के अनुसार फिलीपीन और यूक्रेन जैसे देश समुद्री नाविकों के मामले में वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर भारत के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं लेकिन वे अपने नाविकों पर ऊंची दर से आयकर नहीं लगाते.

मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया (एमयूआई) और नेशनल यूनियन ऑफ सीफेएरर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) ने संयुक्त बयान में कहा कि बजट में आयकर कानून में बदलाव को लेकर हमारा विरोध है. बजट में उन प्रवासी भारतीयों पर कर लगाने का प्रस्ताव है जो दुनिया में कहीं भी कर नहीं दे रहे.

बजट प्रस्ताव के अनुसार साथ ही भारत में प्रवास की अवधि 181 दिन से कम कर 120 दिन कर दी गयी है. इसका मतलब है कि जो लागे 245 दिन से अधिक विदेशों में रहेंगे, उन्हें प्रवासी भारतीय (एनआरआई) का दर्जा दिया जाएगा. पहले यह अवधि 183 दिन की थी.

बयान के अनुसार, "यह दोहरी मार है. भारतीय नाविकों को पेशे से होने वाली आय पर एक तरफ आयकर देना होगा वहीं दूसरी तरफ उन्हें कम-से-कम साल में 245 दिन दुनिया भर में मालवाहक जहाजों को चलाना है."

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एनयूएसआई के महासचिव अब्दुलगनी सेरंग ने कहा, "हमने एनयूएसआई के सभी सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गये विरोध पत्रों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है. इन पत्रों को अगले कुछ दिनों में वित्त और पोत परिवहन मंत्रालय को देने का हमारा इरादा है. इस काला कानून के खिलाफ आने वाले दिनों में देश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा."

बयान में कहा गया है कि एमयूआई और एनयूएसआई का संयुक्त प्रतिनिधिंडल इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण और पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात कर सकता है.
(पीटीआई/भाषा)

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Last Updated : Feb 29, 2020, 12:50 AM IST
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