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जीडीपी में वाहन क्षेत्र का हिस्सा बढ़ाने के लिये दीर्घकालिक नियामकीय ढांचे की जरूरत: रिपोर्ट - रिपोर्ट

सरकार देश में वाहन उद्योग को सुरक्षा व उत्सर्जन मानकों के संदर्भ में विकसित देशों के समतुल्य लाने का प्रयास कर रही है. इस संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कई मायनों में परिस्थितियां विकसित देशों से अलग हैं, ऐसे में भारतीय परिदृश्य में नियमन की समीक्षा करने की आवश्यकता है.

जीडीपी में वाहन क्षेत्र का हिस्सा बढ़ाने के लिये दीर्घकालिक नियामकीय ढांचे की जरूरत: रिपोर्ट
जीडीपी में वाहन क्षेत्र का हिस्सा बढ़ाने के लिये दीर्घकालिक नियामकीय ढांचे की जरूरत: रिपोर्ट
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Published : Sep 6, 2020, 4:52 PM IST

नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वाहन क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा सात प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के लिये एक दीर्घकालिक ढांचा तैयार करने की जरूरत है. नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया (एनआरआई इंडिया) की एक रिपोर्ट में यह कह गया है.

सरकार देश में वाहन उद्योग को सुरक्षा व उत्सर्जन मानकों के संदर्भ में विकसित देशों के समतुल्य लाने का प्रयास कर रही है. इस संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कई मायनों में परिस्थितियां विकसित देशों से अलग हैं, ऐसे में भारतीय परिदृश्य में नियमन की समीक्षा करने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- जीडीपी घटने से इस साल अर्थव्यवस्था को हो सकता है 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान : एस सी गर्ग

रिपोर्ट में कहा गया, "भारतीय मोटर वाहन उद्योग ने हालिया वर्षों में यात्री सुरक्षा, उत्सर्जन नियंत्रण और कनेक्टेड प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए कुछ परिवर्तनों के साथ भी अपनी गति बनाये रखा है. ऐसा ही एक बदलाव बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को अपनाकर यूरो उत्सर्जन मानदंडों के साथ समानता हासिल करना है."

रिपोर्ट में कहा गया कि इन बदलावों ने भारतीय बाजार और भारतीय वाहन उद्योग को यूरोप, जापान तथा अमेरिका जैसे विकसित बाजारों के समतुल्य ला दिया है. इनके अलावा केंद्र सरकार के द्वारा मोटी वाहन अधिनियम में आवश्यक संशोधन सराहनीय कदम है.

एनआरआई इंडिया की रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सरकार के जीडीपी लक्ष्यों को पूरा करने में वाहन क्षेत्र जीडीपी में अपने योगदान को वर्तमान के सात प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. उन्होंने कहा, "इस यात्रा में विकास सुनिश्चित करने के लिये समाज के विभिन्न वर्गों से युवा और आकांक्षी उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिये."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वाहन क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा सात प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के लिये एक दीर्घकालिक ढांचा तैयार करने की जरूरत है. नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया (एनआरआई इंडिया) की एक रिपोर्ट में यह कह गया है.

सरकार देश में वाहन उद्योग को सुरक्षा व उत्सर्जन मानकों के संदर्भ में विकसित देशों के समतुल्य लाने का प्रयास कर रही है. इस संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कई मायनों में परिस्थितियां विकसित देशों से अलग हैं, ऐसे में भारतीय परिदृश्य में नियमन की समीक्षा करने की आवश्यकता है.

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रिपोर्ट में कहा गया, "भारतीय मोटर वाहन उद्योग ने हालिया वर्षों में यात्री सुरक्षा, उत्सर्जन नियंत्रण और कनेक्टेड प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए कुछ परिवर्तनों के साथ भी अपनी गति बनाये रखा है. ऐसा ही एक बदलाव बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को अपनाकर यूरो उत्सर्जन मानदंडों के साथ समानता हासिल करना है."

रिपोर्ट में कहा गया कि इन बदलावों ने भारतीय बाजार और भारतीय वाहन उद्योग को यूरोप, जापान तथा अमेरिका जैसे विकसित बाजारों के समतुल्य ला दिया है. इनके अलावा केंद्र सरकार के द्वारा मोटी वाहन अधिनियम में आवश्यक संशोधन सराहनीय कदम है.

एनआरआई इंडिया की रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सरकार के जीडीपी लक्ष्यों को पूरा करने में वाहन क्षेत्र जीडीपी में अपने योगदान को वर्तमान के सात प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. उन्होंने कहा, "इस यात्रा में विकास सुनिश्चित करने के लिये समाज के विभिन्न वर्गों से युवा और आकांक्षी उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिये."

(पीटीआई-भाषा)

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