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एलजी पॉलिमार के गेस रिसाव वाले कारखाने में बनते हैं एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बर्तन - वाइजैग

कंपनी के इस वाइजैग संयंत्र में पॉलीस्टिरीन (पीएस) का विनिर्माण किया जाता है, जिसका खानपान सेवा उद्योग में काफी इस्तेमाल होता है. इस रसायन का इस्तेमाल प्लास्टिक के एकबारगी इस्तेमाल वाले ट्रे और कंटेनर, बर्तन, फोम्ड कप, प्लेट और कटोरे आदि बनाने में होता है. इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है.

एलजी पॉलिमार के गेस रिसाव वाले कारखाने में बनते हैं एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बर्तन
एलजी पॉलिमार के गेस रिसाव वाले कारखाने में बनते हैं एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बर्तन
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Published : May 7, 2020, 10:30 PM IST

नई दिल्ली: विशाखापत्तनम में जानलेवा स्टिरीन गैस का रिसाव जिस एलजी पॉलिमर इंडिया के कारखाने से हुआ वह दक्षिण कोरिया की रसायन कंपनी एलजी केम की अनुषंगी कंपनी है. एलजी केम ने एक स्थानीय कंपनी का अधिग्रहण कर 1997 में भारत में इस क्षेत्र में कारोबार शुरू किया था। कंपनी के कारखाने से गैस रिसाव की घटना में नौ लोगों की मौत हो चुकी है तथा सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं.

कंपनी के इस वाइजैग संयंत्र में पॉलीस्टिरीन (पीएस) का विनिर्माण किया जाता है, जिसका खानपान सेवा उद्योग में काफी इस्तेमाल होता है. इस रसायन का इस्तेमाल प्लास्टिक के एकबारगी इस्तेमाल वाले ट्रे और कंटेनर, बर्तन, फोम्ड कप, प्लेट और कटोरे आदि बनाने में होता है. इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है.

जानकार सूत्रों के अनुसार एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की विशाखापत्तनम फैक्ट्री को लॉकडाउन के बाद फिर से खोलने के लिये बृहस्पतिवार को तैयार किया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हुई. कंपनी के कर्मचारी परिचालन को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहे थे, तभी शुरुआती घंटों में गैस का रिसाव होने लगा.

कहा जा रहा है कि जब रिसाव हुआ तब भंडारण टेंक में 1,800 टन स्टिरीन गैस थी. ठहराव और तापमान में बदलाव के कारण, स्टिरीन का स्वत: पॉलीमराइजेशन हो सकता है, जिसके कारण वाष्पीकरण हो सकता है.

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना श्रीराम ग्रुप के द्वारा 1961 में विशाखापत्तनम में पॉलीस्टिरीन और इसके सह-पॉलिमर निर्माण के लिये 'हिंदुस्तान पॉलिमर' के रूप में की गयी थी। बाद में 1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड के साथ इसका विलय हो गया.

ये भी पढ़ें: सभी क्षेत्रों के लिए पैकेज पर काम कर रही है सरकार: अधिकारी

एलजी केम ने आक्रामक वैश्विक वृद्धि की योजनाओं के तहत भारत को महत्वपूर्ण बाजार मानते हुए जुलाई 1997 में हिंदुस्तान पॉलिमर का अधिग्रहण किया और जुलाई 1997 में इसका नाम बदलकर एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एलजीपीआई) कर दिया. कारखाने को पिछले साल 222.8 अरब वॉन (18.18 करोड़ डॉलर) का राजस्व और 6.3 अरब वॉन का शुद्ध लाभ हुआ था. बिक्री के मामले में, मूल कंपनी एलजी केम 2017 में दुनिया की 10 वीं सबसे बड़ी रासायनिक कंपनी थी.

स्टिरीन गैस एक ज्वलनशील तरल है, जिसका उपयोग पॉलीस्टिरीन प्लास्टिक, फाइबरग्लास, रबर और लेटेक्स बनाने के लिये किया जाता है. विशाखापत्तनम कारखाने में दुर्घटना ने उद्योग में रसायनों के अनुचित रखरखाव पर सवाल खड़े कर दिये हैं और दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: विशाखापत्तनम में जानलेवा स्टिरीन गैस का रिसाव जिस एलजी पॉलिमर इंडिया के कारखाने से हुआ वह दक्षिण कोरिया की रसायन कंपनी एलजी केम की अनुषंगी कंपनी है. एलजी केम ने एक स्थानीय कंपनी का अधिग्रहण कर 1997 में भारत में इस क्षेत्र में कारोबार शुरू किया था। कंपनी के कारखाने से गैस रिसाव की घटना में नौ लोगों की मौत हो चुकी है तथा सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं.

कंपनी के इस वाइजैग संयंत्र में पॉलीस्टिरीन (पीएस) का विनिर्माण किया जाता है, जिसका खानपान सेवा उद्योग में काफी इस्तेमाल होता है. इस रसायन का इस्तेमाल प्लास्टिक के एकबारगी इस्तेमाल वाले ट्रे और कंटेनर, बर्तन, फोम्ड कप, प्लेट और कटोरे आदि बनाने में होता है. इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है.

जानकार सूत्रों के अनुसार एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की विशाखापत्तनम फैक्ट्री को लॉकडाउन के बाद फिर से खोलने के लिये बृहस्पतिवार को तैयार किया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हुई. कंपनी के कर्मचारी परिचालन को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहे थे, तभी शुरुआती घंटों में गैस का रिसाव होने लगा.

कहा जा रहा है कि जब रिसाव हुआ तब भंडारण टेंक में 1,800 टन स्टिरीन गैस थी. ठहराव और तापमान में बदलाव के कारण, स्टिरीन का स्वत: पॉलीमराइजेशन हो सकता है, जिसके कारण वाष्पीकरण हो सकता है.

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना श्रीराम ग्रुप के द्वारा 1961 में विशाखापत्तनम में पॉलीस्टिरीन और इसके सह-पॉलिमर निर्माण के लिये 'हिंदुस्तान पॉलिमर' के रूप में की गयी थी। बाद में 1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड के साथ इसका विलय हो गया.

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एलजी केम ने आक्रामक वैश्विक वृद्धि की योजनाओं के तहत भारत को महत्वपूर्ण बाजार मानते हुए जुलाई 1997 में हिंदुस्तान पॉलिमर का अधिग्रहण किया और जुलाई 1997 में इसका नाम बदलकर एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एलजीपीआई) कर दिया. कारखाने को पिछले साल 222.8 अरब वॉन (18.18 करोड़ डॉलर) का राजस्व और 6.3 अरब वॉन का शुद्ध लाभ हुआ था. बिक्री के मामले में, मूल कंपनी एलजी केम 2017 में दुनिया की 10 वीं सबसे बड़ी रासायनिक कंपनी थी.

स्टिरीन गैस एक ज्वलनशील तरल है, जिसका उपयोग पॉलीस्टिरीन प्लास्टिक, फाइबरग्लास, रबर और लेटेक्स बनाने के लिये किया जाता है. विशाखापत्तनम कारखाने में दुर्घटना ने उद्योग में रसायनों के अनुचित रखरखाव पर सवाल खड़े कर दिये हैं और दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी है.

(पीटीआई-भाषा)

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