नई दिल्ली: देश के दस प्रमुख श्रमिक संगठनों ने संसद में दो श्रम संहिताएं पेश किए जाने के खिलाफ दो अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. उनका कहना है कि इन संहिताओं के मसौदे पर उनकी आपत्तियों को पूरी तरह उपेक्षा हुई है और ये दोनों श्रमिकों के हित के खिलाफ हैं.
इन केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने बुधवार को साझा बयान में मांग की कि इन दोनों संहिताओं को लोक सभा से वापस लिया जाए. बयान पर श्रमिक संगठन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईसूटीयूसी, एलपीएफ, यूटीयूसी और स्वतंत्र परिसंघ आदि संघों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर है.
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इन संगठनों ने कहा है कि वे प्रस्तावित संहिताओं के मसौदे पर कड़ी आपत्ति के बावजूद श्रम कानूनों एवं संबंधित अन्य कानूनों में को नयी संहिता में दबलने के प्रयास पर कड़ी आपत्ति करते हैं और इसकी निंदा करते हैं.
इन यूनियनों ने सभी कर्मचारी संघों और श्रमिक यूनियनों से दो अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है. उनका यह भी कहना है कि अंतरराष्ट्रीय श्रम मानदंडों की उपेक्षा कर कर्मचारी विरोधी इन प्रस्तावित कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए.
केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने सांसदों से भी सरकार के इस कदम का विरोध करने का आह्वान किया है.
सरकार ने मजदूरी विधेयक पर संहिता 2019 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता विधेयक 2019 को लोकसभा में 23 जुलाई को पेश किया.
यूनियनों का कहना है कि दोनों विधेयकों में विपक्ष की तरफ से उठाये गये सभी मुद्दों और आपत्तियों की अनदेखी की गयी. इसमें कर्मचारियों के अधिकारों की कटौती की गयी है.