नई दिल्ली: आयकर विभाग कंपनियों के कारोबार और आमदनी तथा आयकर रिटर्न दाखिल करने की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय मानदंडों से संबंधित आंकड़ों को माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) से साझा करेगा. इसके पीछे मकसद खामियों को दूर करना और कर चोरों पर शिकंजा कसना है.
आयकर विभाग के अधिकारी और जीएसटीएन स्वत: तरीके से डाटा के आदान प्रदान और अनुरोध आधारित आंकड़ों के आदान प्रदान के तौर तरीके तय करेंगे.
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आयकर (प्रणाली) के प्रधान महानिदेशक या महानिदेशक इस बारे में जीएसटीएन के साथ सहमति ज्ञापन (एमओयू) करेंगे. इससे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आदेश के अनुरूप सूचनाएं देने की प्रक्रिया को सुगमता से पूरा किया जा सकेगा.
एमओयू के तहत डाटा आदान प्रदान के तौर तरीके, गोपनीयता कायम रखना और आंकड़ों को सुरक्षित तरीके से रखने की प्रणाली शामिल होगी.
सूचना प्रदान करने की समयसीमा का फैसला भी आयकर (प्रणाली) के प्रधान महानिदेशक या महानिदेशक जीएसटीएन के साथ विचार विमर्श से तय करेंगे. इसे भी एमओयू में शामिल किया जाएगा.
सीबीडीटी ने कहा कि कोई भी सूचना देने से पहले निश्चित आयकर प्राधिकरण को इस बारे में राय बनानी होगी कि इस तरह की सूचना को साझा करना जीएसटीएन के कामकाज के लिए जरूरी है.
आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों के बीच आंकड़ों के आदान प्रदान का मतलब है कि कर अधिकारी कंपनियों द्वारा आयकर रिटर्न में दिए गए डाटा सेट के साथ सामंजस्य बैठाने का काम करेंगे.
सीबीडीटी ने कहा कि जिन विशेष वित्तीय मानकों पर अनुरोध आधारित डाटा का आदान प्रदान किया जाएगा उनमें आयकर रिटर्न, कारोबार, कुल आय, कारोबार अनुपात, सकल कुल आय दायरा, कारोबार दायरा और अधिकारियों द्वारा तय किए गए अन्य क्षेत्र हो सकते हैं.
जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. जीएसटी ने एक केंद्रीयकृत रिटर्न दाखिल करने की प्रणाली को सुनिश्चित किया है, जिसमें कंपनी अपनी बिक्री तथा इनपुट कर क्रेडिट का ब्योरा देती हैं.
नांगिया एडवाइजर्स (एंडरसन ग्लोबल) के प्रबंधकीय भागीदार राकेश नांगिया ने कहा कि आयकर अधिकारियों तथा जीएसटी के बीच डाटा के आदान प्रदान इस बात का संकेत देता है कि सरकार करदाताओं को किसी भी तरीके से कर चुकाने से बचने का मौका नहीं देना चाहती है.