नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने सरकार से तत्काल प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है. उद्योग जगत का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, ऐसे में सरकार को जल्द किसी प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.
उद्योग ने सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी बंद को चार मई से दो सप्ताह तक बढ़ाने और इस दौरान कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों की अनुमति देने के फैसले का स्वागत किया. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश के मद्देनजर उद्योग के लिए अब तत्काल एक बड़े आर्थिक पैकेज की जरूरत है.
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि हमने सरकार को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के बराबर सरकारी खर्च पैकेज का सुझाव दिया है. इससे करीब छह लाख करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे.
बनर्जी ने कहा कि ऐसे समय जबकि भारत में ऋण से जीडीपी अनुपात सबसे कम है, ऋण से जीडीपी अनुपात बढ़ाया जा सकता है. उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि सरकार का कोरोना वायरस पर नियंत्रण से हुए लाभ पर आगे बढ़ना समझ आता है और इसका समर्थन किया जाना चाहिए. लेकिन 40 दिन के बंद से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. इससे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के लाखों श्रमिकों की आजीविका पर संकट बन आया है.
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि होटल, निर्माण, लॉजिस्टिक्स, विनिर्माण और व्यापार सभी क्षेत्र गंभीर वित्तीय संकट में हैं. ऐसे में एक बड़े प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत है. एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की ने शुक्रवार को लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति पर अपनी सिफारिशें गृह मंत्रालय को सौंपीं.
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फिक्की ने ग्रीन क्षेत्रों में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों की अनुमति देने का सुझाव दिया है. साथ ही फिक्की ने कहा है कि साफ सफाई और सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए.
फिक्की ने सरकारी सेवाओं मसलन दस्तावेजीकरण, स्टाम्पिंग, न्यासों का पंजीकरण शुरू करने का सुझाव दिया है. साथ ही फिक्की ने अंतरराष्ट्रीय कुरियर सेवाएं भी शुरू करने की वकालत की है.
(पीटीआई-भाषा)