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औद्योगिक उत्पादन वृद्धि फरवरी में 20 माह के निचले स्तर पर पहुंची

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Published : Apr 13, 2019, 11:58 AM IST

वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों के दौरान आईआईपी की औसत वृद्धि दर चार प्रतिशत रही. वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 के इन्हीं 11 महीने में यह दर 4.30 प्रतिशत रही थी.

औद्योगिक उत्पादन वृद्धि फरवरी में 20 माह के निचले स्तर पर पहुंची

नई दिल्ली: देश के विनिर्माण क्षेत्र में छायी सुस्ती के चलते फरवरी में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 20 माह के निचले स्तर 0.10 प्रतिशत पर रही. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को इस संबंध में आधिकारिक आंकड़े जारी किए.

आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले फरवरी 2018 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 6.90 प्रतिशत रही थी. वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों के दौरान आईआईपी की औसत वृद्धि दर चार प्रतिशत रही. वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 के इन्हीं 11 महीने में यह दर 4.30 प्रतिशत रही थी.

ये भी पढ़ें- जेट एयरवेज की स्थिति पर विचार के लिए पीएमओ ने बुलाई जरूरी बैठक

इसी बीच नवंबर 2018 के संशोधित आईआईपी आंकड़े भी जारी किए गए और यह वृद्धि दर घटकर 0.2 प्रतिशत रही जबकि पहले जारी आंकड़ों में यह 0.3 प्रतिशत थी. इससे पहले आईआईपी की सबसे निचली वृद्धि दर जून 2017 में 0.3 प्रतिशत रही थी. आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77.63 प्रतिशत होती है.

फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र में 0.3 प्रतिशत गिरावट रही जबकि पिछले साल इसमें 8.4 प्रतिशत का विस्तार हुआ था. पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन फरवरी में 8.8 प्रतिशत घट गया जो फरवरी 2018 में 16.6 प्रतिशत बढ़ा था.

बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर फरवरी में धीमी पड़कर 1.2 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले 4.5 प्रतिशत थी. खनन क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर दो प्रतिशत रही जो पिछले साल फरवरी में 0.4 प्रतिशत थी. उपभोक्ता और टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र की वृद्धि दर क्रमश: 1.2 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत रही. विनिर्माण क्षेत्र में 23 में से 10 औद्योगिक समूहों की वृद्धि पिछले साल की तुलना में सकारात्मक रही.

नई दिल्ली: देश के विनिर्माण क्षेत्र में छायी सुस्ती के चलते फरवरी में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 20 माह के निचले स्तर 0.10 प्रतिशत पर रही. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को इस संबंध में आधिकारिक आंकड़े जारी किए.

आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले फरवरी 2018 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 6.90 प्रतिशत रही थी. वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों के दौरान आईआईपी की औसत वृद्धि दर चार प्रतिशत रही. वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 के इन्हीं 11 महीने में यह दर 4.30 प्रतिशत रही थी.

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इसी बीच नवंबर 2018 के संशोधित आईआईपी आंकड़े भी जारी किए गए और यह वृद्धि दर घटकर 0.2 प्रतिशत रही जबकि पहले जारी आंकड़ों में यह 0.3 प्रतिशत थी. इससे पहले आईआईपी की सबसे निचली वृद्धि दर जून 2017 में 0.3 प्रतिशत रही थी. आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77.63 प्रतिशत होती है.

फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र में 0.3 प्रतिशत गिरावट रही जबकि पिछले साल इसमें 8.4 प्रतिशत का विस्तार हुआ था. पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन फरवरी में 8.8 प्रतिशत घट गया जो फरवरी 2018 में 16.6 प्रतिशत बढ़ा था.

बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर फरवरी में धीमी पड़कर 1.2 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले 4.5 प्रतिशत थी. खनन क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर दो प्रतिशत रही जो पिछले साल फरवरी में 0.4 प्रतिशत थी. उपभोक्ता और टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र की वृद्धि दर क्रमश: 1.2 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत रही. विनिर्माण क्षेत्र में 23 में से 10 औद्योगिक समूहों की वृद्धि पिछले साल की तुलना में सकारात्मक रही.

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