नई दिल्ली : नये कार्यों में धीमे विस्तार के कारण मार्च महीने में देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां छह महीने के निचले स्तर पर आ गयीं. इसके कारण नियुक्तियों की दर भी पिछले साल सितंबर के बाद निचले स्तर पर रही. एक मासिक सर्वेक्षण में गुरुवार को इसकी जानकारी दी गयी.
निक्केई का भारत के सेवा कारोबार की गतिविधि का सूचकांक फरवरी के 52.5 से गिरकर मार्च में 52 पर आ गया. यह पिछले साल सितंबर के बाद सेवा क्षेत्र का सबसे धीमा विस्तार है. हालांकि रफ्तार सुस्त पड़ने के बाद भी सेवा क्षेत्र में लगातार 10वें महीने तेजी रही है. सूचकांक का 50 से नीचे रहना संकुचन दर्शाता है, जबकि 50 से ऊपर सूचकांक विस्तार का संकेत देता है.
रिपोर्ट की लेखिका एवं आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलीएना डी लीमा ने कहा, "वित्त वर्ष 2018-19 की अंतिम तिमाही के अंत में भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि कमजोर पड़ गयी और पिछले साल सितंबर के बाद के निचले स्तर पर आ गयी."
हालांकि आने वाले महीनों में कारोबारी गतिविधियों को लेकर धारणा लगातार दूसरे महीने मजबूत हुई है. लीमा ने कहा, "मार्च में कारोबारी उम्मीदें मजबूत हुई हैं, जिससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि सेवा क्षेत्र की कंपनियां आने वाले महीनों में स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रही हैं. हालांकि रोजगार सृजन में नरमी से इस बात के संकेत मिलते हैं कि कंपनियां उच्च वृद्धि दर को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं."
निक्केई का कंपोजिट पीएमआई आउटपुट सूचकांक भी फरवरी के 53.8 से गिरकर मार्च में 52.7 पर आ गया. यह भी छह महीने का निचला स्तर है. कंपनियों का कहना है कि सफल विपणन प्रयासों तथा बेहतर मांग से बिक्री बढ़ी है, लेकिन कुछ कंपनियों का मानना है कि प्रतिस्पर्धी माहौल ने वृद्धि पर लगाम लगाने का काम किया है. कीमतों के संदर्भ में लागत कम हुई है, जबकि सेवा के शुल्क में तेजी देखने को मिली है.
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