वाशिंगटन: विश्वबैंक की एक ताजा रपट में अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में कोराना वायरस और उसकी रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों के प्रभावों के चलते 3.2 प्रतिशत सिकुड़ेगी.
इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन का कहना है कि कोविड-19 के झटके से देश की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी है. कई अन्य वैश्विक साख प्रमाणन एजेंसियों ने इससे बड़े संकुचन के अनुमान लगाए हैं.
विश्वबैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रास्पेक्ट (वैश्विक आर्थिक संभावना) रपट में भारत की वृद्धि के अनुमान में पहले के अनुमानों की तुलना में नौ प्रतिशत की भारी कमी की गयी है. लेकिन रपट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वर्ष फिर उछल कर पटरी पर वापस आ जाएगी.
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रपट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृ्द्धि 2019-20 में अनुमानित 4.2 प्रतिशत रही. अनुमान है कि 2020-21 में यह अर्थव्यवस्था कोविड-19 के प्रभावों के कारण 3.2 प्रतिशत संकुचित होगी.
रपट में कहा गया है कि ‘वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जो कड़े उपाय किए गए उससे अल्पकालिक गतिविधियां बहुत सीमित हो गयी. आर्थिक संकुचन में इसकी भूमिका होगी.
गौरतलब है कि वित्तीय साख प्रमाणित करने वाली वैश्विक एजेंसियों- फिच रेटिंग और एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारत में चार से पांच प्रतिशत के बीच संकुचन हो सकता है.
क्रिसिल ने कहा है कि यह आजादी के बाद चौथी मंदी होगी.व विश्वबैंक का कहना है कि भारत सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहनों और रिजर्व बैंक की ओर से लगातार कर्ज सस्ता रखने की नीति के बावजूद बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र पर दबाव और वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने संकट का भी भारत पर असर पड़ेगा.
इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढाया है, वेतन की मदद की है, दुर्बल आय वर्ग के लोगों को सीधे नकद धन दिए हैं, कर जमा कराने की मोहलत दी है तथा छोटे एवं मझोले उद्यमों तथा वित्तीय संस्थाओं के लिए कर्ज की सुविधाएं प्रदान की हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2016-17 में सात प्रतिशत, 2017-18 में 6.1 प्रतिशत और 2019-20 में (अनुमानित) 4.2 प्रतिशत रही.
विश्वबैंक ने कहा है कि कोविड-19 और लाकडाउन (आवागमन की पाबंदी) का वास्तविक प्रभाव अप्रैल-मार्च 2020-21 में दिखेगा. उसका अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशति की गिरावट आएगी.
चालू वित्त वर्ष की वृद्धि का यह अनुमान विश्वबैंक का यह अनुमान जनवरी में जारी किए गए उसके अनुमान की तुलना में नौ प्रतिशत की भारी गिरावट दर्शाता है. इसी तरह 2021-22 के वृद्धि के अनुमान को भी तीन प्रतिशत नीचे किया गया है.
इसमें कहा गया है कि भारत में संकुचन का असर दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि पर पड़ेगा. 2020-21 में इस क्षेत्र में 2.7 प्रतिशत आर्थिक संकुचन होने का अनुमान है.
अन्य एशियाई देशों के ग्रोथ रेट में भी देखने को मिलेगी गिरावट
- पाकिस्तान - 2.6 प्रतिशत
- अफगानिस्तान - 5.5 प्रतिशत
- बांग्लादेश - 1.6 प्रतिशत
- नेपाल - 1.8 प्रतिशत
वैश्विक अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी की ओर: विश्वबैंक
विश्वबैंक ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये 'लॉकडाउन' से इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
वैश्विक संगठन के अनुसार कोविड-19 महामारी और 'लॉकडाउन' के कारण विकसित देशों में मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी होगी. वहीं उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन में कम-से-कम छह दशक में पहली बार गिरावट आएगी.
भारत की वृद्धि में 5 प्रतिशत की गिरावट होगी: एस एंड पी
साख निर्धारण से जुड़ी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है. उसने यह भी कहा कि सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत के बराबर वित्तीय प्रोत्साहन वृद्धि को थामने और उसे गति देने के लिये पर्याप्त नहीं है.
एस एंड पी ने उभरते बाजारों पर एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संकट से सेवा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. चूंकि इसमें नियोक्ताओं की काफी संख्या है, अत: बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गयी हैं.
(पीटीआई-भाषा)