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चीन के 59 एप्स पर भारतीय प्रतिबंध के बाद आगे क्या?

सरकार के लिए अगला कदम विभिन्न इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को बताना होगा कि वे अपने ग्राहकों के डिवाइस से इन एप्स को हटा दें और उपयोगकर्ताओं को सूचनाएं भेजें, साथ ही गूगल और एप्पल को सभी 59 एप अपने-अपने ऑनलाइन स्टोर से हटाने के लिए निर्देश भेजें.

चीन के 59 एप्स पर भारतीय प्रतिबंध के बाद आगे क्या?
चीन के 59 एप्स पर भारतीय प्रतिबंध के बाद आगे क्या?
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Published : Jun 30, 2020, 8:19 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार की ओर से 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित करने की घोषणा के बाद भी मंगलवार को लाखों यूजर्स (इंटरनेट उपयोगकर्ता) के बीच अनिश्चितता बनी रही, क्योंकि इनमें से कुछ लोकप्रिय एप अभी भी उनके स्मार्टफोन में हैं और साथ ही ये डाउनलोड के लिए भी उपलब्ध हैं. हालांकि टिकटॉक और हेलो एप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर दोनों ही जगह से गायब हो चुके हैं.

सरकार के लिए अगला कदम विभिन्न इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को बताना होगा कि वे अपने ग्राहकों के डिवाइस से इन एप्स को हटा दें और उपयोगकर्ताओं को सूचनाएं भेजें, साथ ही गूगल और एप्पल को सभी 59 एप अपने-अपने ऑनलाइन स्टोर से हटाने के लिए निर्देश भेजें.

चूंकि अधिकांश चीनी फोन पहले से इंस्टॉल किए गए चीनी एप्स के साथ आते हैं, इसलिए उपयोगकर्ताओं को उन एप को सक्रिय रूप से हटाने की भी आवश्यकता होगी.

चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने का कदम देश में सक्रिय तीन स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में से एक को प्रभावित करेगा. इनमें से टिकटॉक सहित कुछ एप तो ऐसे हैं जो लाखों-करोड़ों स्मार्टफोन में इंस्टॉल किए जा चुके हैं.

काउंटर पॉइंट रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर तरुण पाठक ने आईएएनएस से कहा, अब हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्थानीय एप्स के लिए निवेश होगा, जो इन चीनी एप्स में से कुछ के लिए एक विकल्प हैं.

वर्तमान समय को देसी एप्स के लिए एक बेहतर अवसर के तौर पर बताते हुए पाठक ने कहा कि एक बार जब एप स्टोर से ये एप हटा दिए जाते हैं तो इनमें कोई अपडेट या अपग्रेड नहीं होगा. उस स्थिति में उपयोगकर्ता स्वत: प्लेटफार्मों से बाहर निकल जाएंगे.

टिकटॉक के भारत में लगभग 11.9 करोड़ सक्रिय (एक्टिव) उपयोगकर्ता थे और यह गूगल प्ले स्टोर के साथ ही एप्पल एप स्टोर पर शीर्ष-10 एप में से एक बना हुआ था.

हालांकि, अलीबाबा ग्रुप के यूसी ब्राउजर और यूसी न्यूज, श्याओमी की मी कम्युनिटी, टेनसेंट के स्वामित्व वाले वीचैट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म क्लब फैक्ट्री और डॉक्यूमेंट स्कैनिंग एप कैमस्कैनर जैसे अन्य प्रतिबंधित एप अभी भी डाउनलोड के लिए प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं.

पाठक के अनुसार, उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन से एप्लिकेशन को हटाना शुरू कर देंगे, जब उन्हें एहसास होगा कि कोई इंस्टॉल अपडेट नहीं है और एप उनकी गोपनीयता और डेटा सुरक्षा को कमजोर कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध से चिंतित जिनपिंग सरकार

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने सोमवार को लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. सरकार की ओर से सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. भारत के इस कदम के बाद चीन की भी प्रतिक्रिया आई है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इससे हम काफी चिंतित हैं.

एक दैनिक समाचार ब्रीफिंग के दौरान मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा, "चीन भारतीय पक्ष द्वारा जारी प्रासंगिक नोटिस के बारे में चिंतित है. हम स्थिति की जांच और आकलन कर रहे हैं."

झाओ ने कहा, "हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि चीन सरकार हमेशा चीनी व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय कानूनों और विनियमों का पालन करने के लिए कहती है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की चीनी निवेशकों के कानूनी अधिकारों को बनाए रखने की जिम्मेदारी है.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: भारत सरकार की ओर से 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित करने की घोषणा के बाद भी मंगलवार को लाखों यूजर्स (इंटरनेट उपयोगकर्ता) के बीच अनिश्चितता बनी रही, क्योंकि इनमें से कुछ लोकप्रिय एप अभी भी उनके स्मार्टफोन में हैं और साथ ही ये डाउनलोड के लिए भी उपलब्ध हैं. हालांकि टिकटॉक और हेलो एप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर दोनों ही जगह से गायब हो चुके हैं.

सरकार के लिए अगला कदम विभिन्न इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को बताना होगा कि वे अपने ग्राहकों के डिवाइस से इन एप्स को हटा दें और उपयोगकर्ताओं को सूचनाएं भेजें, साथ ही गूगल और एप्पल को सभी 59 एप अपने-अपने ऑनलाइन स्टोर से हटाने के लिए निर्देश भेजें.

चूंकि अधिकांश चीनी फोन पहले से इंस्टॉल किए गए चीनी एप्स के साथ आते हैं, इसलिए उपयोगकर्ताओं को उन एप को सक्रिय रूप से हटाने की भी आवश्यकता होगी.

चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने का कदम देश में सक्रिय तीन स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में से एक को प्रभावित करेगा. इनमें से टिकटॉक सहित कुछ एप तो ऐसे हैं जो लाखों-करोड़ों स्मार्टफोन में इंस्टॉल किए जा चुके हैं.

काउंटर पॉइंट रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर तरुण पाठक ने आईएएनएस से कहा, अब हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्थानीय एप्स के लिए निवेश होगा, जो इन चीनी एप्स में से कुछ के लिए एक विकल्प हैं.

वर्तमान समय को देसी एप्स के लिए एक बेहतर अवसर के तौर पर बताते हुए पाठक ने कहा कि एक बार जब एप स्टोर से ये एप हटा दिए जाते हैं तो इनमें कोई अपडेट या अपग्रेड नहीं होगा. उस स्थिति में उपयोगकर्ता स्वत: प्लेटफार्मों से बाहर निकल जाएंगे.

टिकटॉक के भारत में लगभग 11.9 करोड़ सक्रिय (एक्टिव) उपयोगकर्ता थे और यह गूगल प्ले स्टोर के साथ ही एप्पल एप स्टोर पर शीर्ष-10 एप में से एक बना हुआ था.

हालांकि, अलीबाबा ग्रुप के यूसी ब्राउजर और यूसी न्यूज, श्याओमी की मी कम्युनिटी, टेनसेंट के स्वामित्व वाले वीचैट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म क्लब फैक्ट्री और डॉक्यूमेंट स्कैनिंग एप कैमस्कैनर जैसे अन्य प्रतिबंधित एप अभी भी डाउनलोड के लिए प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं.

पाठक के अनुसार, उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन से एप्लिकेशन को हटाना शुरू कर देंगे, जब उन्हें एहसास होगा कि कोई इंस्टॉल अपडेट नहीं है और एप उनकी गोपनीयता और डेटा सुरक्षा को कमजोर कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध से चिंतित जिनपिंग सरकार

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने सोमवार को लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. सरकार की ओर से सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. भारत के इस कदम के बाद चीन की भी प्रतिक्रिया आई है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इससे हम काफी चिंतित हैं.

एक दैनिक समाचार ब्रीफिंग के दौरान मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा, "चीन भारतीय पक्ष द्वारा जारी प्रासंगिक नोटिस के बारे में चिंतित है. हम स्थिति की जांच और आकलन कर रहे हैं."

झाओ ने कहा, "हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि चीन सरकार हमेशा चीनी व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय कानूनों और विनियमों का पालन करने के लिए कहती है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की चीनी निवेशकों के कानूनी अधिकारों को बनाए रखने की जिम्मेदारी है.

(आईएएनएस)

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