नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा है कि मानसून अनुकूल रहने की संभावना के बीच सरकार को कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन का लाभ उठाकर वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है.
आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर द्वारा मंगलवार को आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा, "ग्रामीण अर्थव्यवस्था शहरी अर्थव्यवस्था की तुलना में कुछ बेहतर प्रदर्शन कर रही है. शहरी अर्थव्यवस्था अभी कोविड-19 संकट से जूझ रही है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कुल आबादी में हिस्सा 65 प्रतिशत है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उसका योगदान 25 प्रतिशत है. विस्तारित मनरेगा खर्च की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था कुछ अधिक बेहतर साबित हुई है."
ये भी पढ़ें- गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, अन्य प्रौद्योगिकी कंपनियों ने नए छात्र वीजा नियम के खिलाफ ठोका मुकदमा
सुब्बाराव ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत खर्च तथा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा कृषि उपज की खरीद से किसानों के हाथ में पैसा आ गया है. इसके अलावा अनकूल मानसून से भी कृषि क्षेत्र की स्थिति बेहतर रहने की संभावना है.
पूर्व गवर्नर ने कहा, "इन सभी कमजोर परिदृश्य के बीच कुछ अच्छी चीज भी है. देखना यह हे कि हम कैसे इसका लाभ उठाकर अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रोत्साहन देते है. इसी तरह की राय जताते हुए सुब्बाराव के उत्तराधिकारी रहे रिजर्व बैंक के एक अन्य पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ एक सकारात्मक चीज यह है कि कृषि क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है."
राजन ने कहा, "निश्चित रूप से सरकार सुधार लेकर आई है. इन सुधारों पर लंबे समय से चर्चा होती थी. यदि इन्हें क्रियान्वित किया जाता है तो निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था के एक उल्लेखनीय हिस्से को इसका लाभ मिलेगा."
कृषि क्षेत्र में सुधारों के तहत सरकार ने साठ साल से अधिक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है और अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू जैसे उत्पादों को इसके नियमन के दायरे से बाहर कर दिया है.
(पीटीआई-भाषा)