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भारत में न्यूनतम आय योजना, विषमता कम करने के उपायों की जरूरत: अर्थशास्त्री पिकेटी

सरकार ने देश में कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक सबसे पहले 21 दिन का लॉकडाउन लगाया था. उसके बाद से लॉकडाउन को दो बार बढ़ाया गया.

भारत में न्यूनतम आय योजना, विषमता कम करने के उपायों की जरूरत: अर्थशास्त्री पिकेटी
भारत में न्यूनतम आय योजना, विषमता कम करने के उपायों की जरूरत: अर्थशास्त्री पिकेटी
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Published : May 12, 2020, 6:41 PM IST

नई दिल्ली: भारत को लॉकडाउन की सफलता के लिये एक बुनियादी आय योजना लागू करने की जरूरत है. फ्रांस के जाने माने अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने मंगलवार को यह सुझाव दिया. उन्होंने यह भी कहा कि भारत यदि असमानता से जुड़े मुद्दे का बेहतर ढंग से निराकरण कर ले तो यह 21सदी में दुनिया का नेतृत्व करने वाला लोकतांत्रिक देश बनने की क्षमता रखता है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने देश में कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक सबसे पहले 21 दिन का लॉकडाउन लगाया था. उसके बाद से लॉकडाउन को दो बार बढ़ाया गया.

पिकेती ने पीटीआई- भाषा के साथ खास बातचीत में कहा, "मेरा मानना है कि सरकार को एक बुनियादी आय योजना शुरू करनी चाहिये, उसे भारत में आम लोगों के जीवन यापन की सुरक्षा का कोई तंत्र विकसित करना चाहिये. मुझे नहीं लगता कि न्यूनत आय की व्यवस्था के बिना कोई लॉकडाउन कारगर हो सकता है."

गौरतल है कि भारत में 2016- 17 की आर्थिक समीक्षा में सार्वजनिक बुनियादी आय योजना का विचार उस समय सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने रखा था. पिछले साल आम चुनाव के दौरान भारत में इस तरह की एक न्यूनतम आय योजना के बारे में चर्चा भी हुई थी.

पिकेटी ने भारत में अधिक न्यायसंगत और प्रगतिशील कराधान व्यवसथा की भी वकालत की जिसमें संपत्ति कर और विरासत कर लगाये जाने पर भी जोर दिया गया.

इस प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा, "भारत उसके साथ पुराने लंबे समय से जुड़ी असमानता की समस्या को यदि दूर कर देता है तो उसमें 21वी सदी में विश्च का लोकतांत्रिक नेता बनने की क्षमता है."

ये भी पढ़ें: कंपनियों के चीन से बाहर निकलने पर कोई जरूरी नहीं कि इसका फायदा भारत को हो: अभिजीत बनर्जी

उन्होंने कहा, "भारत में आरक्षण प्रणाली की तरफ तो ध्यान दिया गया लेकिन इसके साथ जुड़े दूसरे मुद्दों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. इनमें भूमि सुधार और संपत्ति का पुनर्वितरण जैसे मुद्दे भी है. इसके साथ ही अधिक तर्कसंगत और प्रगतिशील कर प्रणाली (जिसमें संपत्ति कर और विरासत कर भी शामिल होने चाहिये) के जरिये शिक्षा, अवसंरचना और स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त निवेश एवं वित्तपोषण की आवश्यकता है."

पिकेटी ने हाल ही में एक पुस्तक 'केपिटल एण्ड आइडियोलॉजी' लिखी है. उनका कहना है कि कोविड-19 जैसी महामारी का असमानता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

एक तरफ इससे स्वास्थ्य, ढांचागत सुविधाओं और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश की वैधता बढ़ सकती है जबकि दूसरी तरफ पुराने क्षेत्रवाद से जुड़े विवाद जैसे मुद्दे फिर से उभर सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारत को लॉकडाउन की सफलता के लिये एक बुनियादी आय योजना लागू करने की जरूरत है. फ्रांस के जाने माने अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने मंगलवार को यह सुझाव दिया. उन्होंने यह भी कहा कि भारत यदि असमानता से जुड़े मुद्दे का बेहतर ढंग से निराकरण कर ले तो यह 21सदी में दुनिया का नेतृत्व करने वाला लोकतांत्रिक देश बनने की क्षमता रखता है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने देश में कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक सबसे पहले 21 दिन का लॉकडाउन लगाया था. उसके बाद से लॉकडाउन को दो बार बढ़ाया गया.

पिकेती ने पीटीआई- भाषा के साथ खास बातचीत में कहा, "मेरा मानना है कि सरकार को एक बुनियादी आय योजना शुरू करनी चाहिये, उसे भारत में आम लोगों के जीवन यापन की सुरक्षा का कोई तंत्र विकसित करना चाहिये. मुझे नहीं लगता कि न्यूनत आय की व्यवस्था के बिना कोई लॉकडाउन कारगर हो सकता है."

गौरतल है कि भारत में 2016- 17 की आर्थिक समीक्षा में सार्वजनिक बुनियादी आय योजना का विचार उस समय सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने रखा था. पिछले साल आम चुनाव के दौरान भारत में इस तरह की एक न्यूनतम आय योजना के बारे में चर्चा भी हुई थी.

पिकेटी ने भारत में अधिक न्यायसंगत और प्रगतिशील कराधान व्यवसथा की भी वकालत की जिसमें संपत्ति कर और विरासत कर लगाये जाने पर भी जोर दिया गया.

इस प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा, "भारत उसके साथ पुराने लंबे समय से जुड़ी असमानता की समस्या को यदि दूर कर देता है तो उसमें 21वी सदी में विश्च का लोकतांत्रिक नेता बनने की क्षमता है."

ये भी पढ़ें: कंपनियों के चीन से बाहर निकलने पर कोई जरूरी नहीं कि इसका फायदा भारत को हो: अभिजीत बनर्जी

उन्होंने कहा, "भारत में आरक्षण प्रणाली की तरफ तो ध्यान दिया गया लेकिन इसके साथ जुड़े दूसरे मुद्दों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. इनमें भूमि सुधार और संपत्ति का पुनर्वितरण जैसे मुद्दे भी है. इसके साथ ही अधिक तर्कसंगत और प्रगतिशील कर प्रणाली (जिसमें संपत्ति कर और विरासत कर भी शामिल होने चाहिये) के जरिये शिक्षा, अवसंरचना और स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त निवेश एवं वित्तपोषण की आवश्यकता है."

पिकेटी ने हाल ही में एक पुस्तक 'केपिटल एण्ड आइडियोलॉजी' लिखी है. उनका कहना है कि कोविड-19 जैसी महामारी का असमानता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

एक तरफ इससे स्वास्थ्य, ढांचागत सुविधाओं और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश की वैधता बढ़ सकती है जबकि दूसरी तरफ पुराने क्षेत्रवाद से जुड़े विवाद जैसे मुद्दे फिर से उभर सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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