नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं और जल्दी ही इसमें तेजी आएगी.
कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये 'लॉकडाउन' से विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गयी थीं. अब धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को खोला जा रहा है.
सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा समेत नीतिगत कदम उठाये हैं.
कांत ने 'फिक्की फ्रेम्स 2020' में कहा, "मैं इस बात पर पूरा भरोसा करने वाला हूं कि भारत की स्थिति जल्द बेहतर होगी. हम अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत पहले ही देख रहे हैं. हम देख रहे हैं कि दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों जैसे क्षेत्र पटरी पर आ चुके हैं."
आर्थिक गतिविधियों में नरमी से सरकार के राजस्व संग्रह पर असर पड़ा है. हालांकि धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को खोले जाने से आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं.
जून में जीएसटी संग्रह 90,917 करोड़ रुपये रहा जो मई में 62,009 करोड़ रुपये तथा अप्रैल में 32,294 करोड़ रुपये था. ईंधन और बिजली मांग में भी अप्रैल और मई के मुकाबले तेजी देखी जा रही है.
कांत ने कहा कि महामारी एक बड़ी चुनौती है और यह केवल भारत के लिये ही नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोपीय देशों समेत पूरी दुनिया के लिये है.
उन्होंने कहा, "हर संकट एक अवसर भी है. इसीलिए यह संकट भी सबकुछ गंवानों वालों और काफी कुछ हासिल करने वालों को देने जा रहा है. भारत यह निर्णय कर सकता है कि वह खोना चाहता है या फिर जीतना."
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उन्होंने कहा कि भारत को वृद्धि के 12-13 क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जो कल के लिये विजेता बनने जा रहा है. उन्होंने इस संदर्भ में डेटा, कृत्रिम मेधा, जिनोमिक्स, मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों को चिन्हित किया.
कांत ने कहा, "हमें 12-13 क्षेत्रों को पहचान करनी होगी जहां देश वैश्विक स्तर पर चैंपियन बन सकता है..."
उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र भारत को अगले 10-12 साल तक उच्च वृद्धि के रस्ते पर ले जाएंगे और बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करेंगे. आत्मनिर्भर भारत के बारे में नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि इसका आशय अलग-थलग होना और वैश्वीकरण के खिलाफ नहीं है.
उन्होंने कहा, "यह दुनिया से बेहतर चीजें लेने से जुड़ा है. इसका आशय वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाने से है. यह संरक्षणवाद नहीं है. यह भारतीय कंपनियों की वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाने की क्षमता, भारतीय बाजार को हासिल करना तथा घरेलू बाजार की मजबूती का उपयोग कर वैश्विक बाजारों में पैठ जमाने से संबद्ध है."
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की है.
(पीटीआई-भाषा)