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सरकार ने राष्ट्रीय हरित विमानन नीति का खाका पेश किया

मंत्रालय ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) बायोजेट ईंधन से विमानों के वाणिज्यिक परिचालन को व्यावहारिक बनाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगा.

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Published : Mar 15, 2019, 12:00 AM IST

नई दिल्ली : देश में हवाईअड्डों और अन्य विमानन परियोजनाओं के विकास के लिए तेजी से मंजूरियां हासिल करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय का एक सरल नियामकीय ढांचा बनाने का प्रस्ताव है. इस संबंध में मंत्रालय ने एक श्वेत पत्र जारी कर लोगों से राय मांगी है. साथ ही इसमें जैव ईंधन से विमान चलाने इत्यादि पर्यावरण अनुकूल कदमों को विमानन क्षेत्र में लाने पर भी चर्चा की गई है.

मंत्रालय ने 'राष्ट्रीय हरित विमानन नीति' शीर्षक से जारी श्वेत पत्र पर लोगों की राय आमंत्रित की है. मंत्रालय ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) बायोजेट ईंधन से विमानों के वाणिज्यिक परिचालन को व्यावहारिक बनाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगा.

इसके अलावा डीजीसीए सभी विमानन स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन का आकलन करेगा और देखेगा कि स्थानीय वायु की गुणवत्ता में उनका क्या योगदान है और क्या उनके प्रभाव स्थानीय वायु गुणवत्ता नियमों के अनुरूप हैं. पत्र के अनुसार मंत्रालय एक अनुकूल नियामकीय ढांचा भी बनाएगा जो विभिन्न विमानन परियोजनाओं, नए हवाईअड्डों का विकास या मौजूदा के विस्तार से जुड़ी मंजूरियां देगा.

इसके लिए एक विशेष प्रावधान होगा जहां डीजीसीए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय, केंद्र और राज्य सरकार की इकाइयों के साथ मिलकर पर्यावरण हितों को ध्यान में रखते हुए विमानन क्षेत्र के विकास से जुड़ी गतिविधियों को तेज करने का काम करेगा.
(भाषा)
पढ़ें : एसबीआई ने जमा बचत खातों की दर और लोन पर लगने वाली ब्याज दरों को रेपो से जोड़ा

नई दिल्ली : देश में हवाईअड्डों और अन्य विमानन परियोजनाओं के विकास के लिए तेजी से मंजूरियां हासिल करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय का एक सरल नियामकीय ढांचा बनाने का प्रस्ताव है. इस संबंध में मंत्रालय ने एक श्वेत पत्र जारी कर लोगों से राय मांगी है. साथ ही इसमें जैव ईंधन से विमान चलाने इत्यादि पर्यावरण अनुकूल कदमों को विमानन क्षेत्र में लाने पर भी चर्चा की गई है.

मंत्रालय ने 'राष्ट्रीय हरित विमानन नीति' शीर्षक से जारी श्वेत पत्र पर लोगों की राय आमंत्रित की है. मंत्रालय ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) बायोजेट ईंधन से विमानों के वाणिज्यिक परिचालन को व्यावहारिक बनाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगा.

इसके अलावा डीजीसीए सभी विमानन स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन का आकलन करेगा और देखेगा कि स्थानीय वायु की गुणवत्ता में उनका क्या योगदान है और क्या उनके प्रभाव स्थानीय वायु गुणवत्ता नियमों के अनुरूप हैं. पत्र के अनुसार मंत्रालय एक अनुकूल नियामकीय ढांचा भी बनाएगा जो विभिन्न विमानन परियोजनाओं, नए हवाईअड्डों का विकास या मौजूदा के विस्तार से जुड़ी मंजूरियां देगा.

इसके लिए एक विशेष प्रावधान होगा जहां डीजीसीए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय, केंद्र और राज्य सरकार की इकाइयों के साथ मिलकर पर्यावरण हितों को ध्यान में रखते हुए विमानन क्षेत्र के विकास से जुड़ी गतिविधियों को तेज करने का काम करेगा.
(भाषा)
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नई दिल्ली : देश में हवाईअड्डों और अन्य विमानन परियोजनाओं के विकास के लिए तेजी से मंजूरियां हासिल करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय का एक सरल नियामकीय ढांचा बनाने का प्रस्ताव है. इस संबंध में मंत्रालय ने एक श्वेत पत्र जारी कर लोगों से राय मांगी है. साथ ही इसमें जैव ईंधन से विमान चलाने इत्यादि पर्यावरण अनुकूल कदमों को विमानन क्षेत्र में लाने पर भी चर्चा की गई है.

मंत्रालय ने 'राष्ट्रीय हरित विमानन नीति' शीर्षक से जारी श्वेत पत्र पर लोगों की राय आमंत्रित की है. मंत्रालय ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) बायोजेट ईंधन से विमानों के वाणिज्यिक परिचालन को व्यावहारिक बनाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगा.

इसके अलावा डीजीसीए सभी विमानन स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन का आकलन करेगा और देखेगा कि स्थानीय वायु की गुणवत्ता में उनका क्या योगदान है और क्या उनके प्रभाव स्थानीय वायु गुणवत्ता नियमों के अनुरूप हैं. पत्र के अनुसार मंत्रालय एक अनुकूल नियामकीय ढांचा भी बनाएगा जो विभिन्न विमानन परियोजनाओं, नए हवाईअड्डों का विकास या मौजूदा के विस्तार से जुड़ी मंजूरियां देगा.

इसके लिए एक विशेष प्रावधान होगा जहां डीजीसीए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय, केंद्र और राज्य सरकार की इकाइयों के साथ मिलकर पर्यावरण हितों को ध्यान में रखते हुए विमानन क्षेत्र के विकास से जुड़ी गतिविधियों को तेज करने का काम करेगा.

(भाषा)

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