नई दिल्ली: सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तीन गैर- जीवन बीमा कंपनियों में 4,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की आगामी बजट में घोषणा कर सकती है. इन कंपनियों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिये यह कदम उठाया जायेगा. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुये कहा कि पूंजी डालने का यह काम इन कंपनियों की वित्तीय सेहत में सुधार लाने के लिये किया जा रहा है. इससे इन तीनों कंपनियों के प्रस्तावित विलय पर अमल करने में सुविधा होगी.
इस बारे में घोषणा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में की जा सकती है. यह बजट पांच जुलाई को पेश किया जायेगा. सूत्रों का कहना है कि वित्तीय सेवाओं का विभाग इन तीन गैर- जीवन बीमा कंपनियों में पूंजी डालने के लिये 4,000 करोड़ रुपये की मांग करेगा.
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सार्वजनिक क्षेत्र की इन तीन कंपनियों में, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, आरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी- शामिल हैं. उन्होंने बताया कि बजट में जो भी पूंजी इन कंपनियों के लिये तय की जायेगी उसके आधार पर बाद में राशि में तीनों के बीच बांटा जायेगा. गैर-जीवन बीमा क्षेत्र यानी साधारण बीमा क्षेत्र में काम करने वाले ज्यादातर कंपनियों का मुनाफा दबाव में चल रहा है.
बढ़ते दावों और जोखिम गारंटी में घाटे के चलते इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति दबाव में चल रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों में से दो कंपनियां अपनी ऋण शोधन क्षमता अनुपात को बनाये रखने के लिये कोशिश में लगी हैं. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के रिण शोधन क्षमता अनुपात नियम के मुताबिक यह 1.5 होना चाहिये.
नेशनल इंश्योरेंस का ऋण शोधन क्षमता अनुपात 1.5 है लेकिन यूनाइटेड इंडिया का इसके मुकाबले 1.21 पर कुछ कम है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2018- 19 के बजट में नेशनल इश्योरेंस कंपनी, आरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के विलय का प्रस्ताव किया था.