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जल्दबाजी में मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा भारत: गोयल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार नवंबर को बैंकाक में घोषणा की कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत भारत के लंबित मसलों और चिंताओं का समाधान करने में विफल रही.

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जल्दबाजी में मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा भारत: गोयल
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Published : Dec 17, 2019, 4:27 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष ने मंगलवार को कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा जिससे स्थानीय उद्योग और निर्यातक को नुकसान हो. उन्होंने चीन समर्थित वृहत आर्थिक व्यापार समझौता आरसीईपी से अलग होने के एक महीने से अधिक समय बाद यह बात कही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार नवंबर को बैंकाक में घोषणा की कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत भारत के लंबित मसलों और चिंताओं का समाधान करने में विफल रही.

उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय हित में साहसिक निर्णय किया क्योंकि स्पष्ट रूप से समझौता कुछ और नहीं बल्कि भारत-चीन एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) होता और इसे 'कोई नहीं चाहता.'

सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पीयूष गोयल बोलते हुए

उन्होंने कहा कि पहली बार यह प्रतिबिंबित हुआ कि कूटनीति व्यापार पर हावी नहीं होगी. व्यापार अलग है और वह अपने पैर पर खड़ा होगा. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों और उद्योग को वर्षों से नुकसान होता रहा है और वास्तविक मुद्दों के समाधान के बजाए उन्हें और तकलीफ दी गयी.

ये भी पढ़ें: बारिश के चलते आवक प्रभावित होने से फिर महंगा हुआ प्याज

उन्होंने कहा कि साथ ही भारतीय निर्यात को अन्य देशों में व्यापार बाधाओं को सामना करना पड़ रहा था. गोयल ने कहा कि 2010-11 के बाद एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) को अंतिम रूप दिया गया, भारत के निर्यात में मामूली ही वृद्धि हुई और इसके कारण देश का व्यापार असंतुलन कई गुणा हुआ.

मंत्री ने कहा कि उनसे कहा गया है कि जब भारत ने पिछली सरकार के दौरान एफटीए पर हस्ताक्षर किये, उद्योग की बात नहीं सुनी गयी.

उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि कोई भी एफटीए जल्दबाजी में नहीं होगा या इस रूप से नहीं होगा जिससे भारतीय उद्योग तथा निर्यातकों को नुकसान हो."

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कई दौर की बातचीत हो गयी है.

उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके साथ जो व्यापार सौदा हो, उससे दोनों देशों को समान लाभ हो."

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर गोयल ने कहा कि भारत का मत यह था कि मसलों का समाधान किये बिना यह देश हित में नहीं होगा और देश को इसका बेहतर नतीजा नहीं मिलेगा. यही कारण है कि भारत ने आरसीईपी समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया है.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष ने मंगलवार को कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा जिससे स्थानीय उद्योग और निर्यातक को नुकसान हो. उन्होंने चीन समर्थित वृहत आर्थिक व्यापार समझौता आरसीईपी से अलग होने के एक महीने से अधिक समय बाद यह बात कही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार नवंबर को बैंकाक में घोषणा की कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत भारत के लंबित मसलों और चिंताओं का समाधान करने में विफल रही.

उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय हित में साहसिक निर्णय किया क्योंकि स्पष्ट रूप से समझौता कुछ और नहीं बल्कि भारत-चीन एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) होता और इसे 'कोई नहीं चाहता.'

सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पीयूष गोयल बोलते हुए

उन्होंने कहा कि पहली बार यह प्रतिबिंबित हुआ कि कूटनीति व्यापार पर हावी नहीं होगी. व्यापार अलग है और वह अपने पैर पर खड़ा होगा. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों और उद्योग को वर्षों से नुकसान होता रहा है और वास्तविक मुद्दों के समाधान के बजाए उन्हें और तकलीफ दी गयी.

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उन्होंने कहा कि साथ ही भारतीय निर्यात को अन्य देशों में व्यापार बाधाओं को सामना करना पड़ रहा था. गोयल ने कहा कि 2010-11 के बाद एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) को अंतिम रूप दिया गया, भारत के निर्यात में मामूली ही वृद्धि हुई और इसके कारण देश का व्यापार असंतुलन कई गुणा हुआ.

मंत्री ने कहा कि उनसे कहा गया है कि जब भारत ने पिछली सरकार के दौरान एफटीए पर हस्ताक्षर किये, उद्योग की बात नहीं सुनी गयी.

उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि कोई भी एफटीए जल्दबाजी में नहीं होगा या इस रूप से नहीं होगा जिससे भारतीय उद्योग तथा निर्यातकों को नुकसान हो."

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कई दौर की बातचीत हो गयी है.

उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके साथ जो व्यापार सौदा हो, उससे दोनों देशों को समान लाभ हो."

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर गोयल ने कहा कि भारत का मत यह था कि मसलों का समाधान किये बिना यह देश हित में नहीं होगा और देश को इसका बेहतर नतीजा नहीं मिलेगा. यही कारण है कि भारत ने आरसीईपी समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष ने मंगलवार को कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा जिससे स्थानीय उद्योग और निर्यातक को नुकसान हो. उन्होंने चीन समर्थित वृहत आर्थिक व्यापार समझौता आरसीईपी से अलग होने के एक महीने से अधिक समय बाद यह बात कही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार नवंबर को बैंकाक में घोषणा की कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत भारत के लंबित मसलों और चिंताओं का समाधान करने में विफल रही.

उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय हित में साहसिक निर्णय किया क्योंकि स्पष्ट रूप से समझौता कुछ और नहीं बल्कि भारत-चीन एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) होता और इसे 'कोई नहीं चाहता.'

उन्होंने कहा कि पहली बार यह प्रतिबिंबित हुआ कि कूटनीति व्यापार पर हावी नहीं होगी. व्यापार अलग है और वह अपने पैर पर खड़ा होगा. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों और उद्योग को वर्षों से नुकसान होता रहा है और वास्तविक मुद्दों के समाधान के बजाए उन्हें और तकलीफ दी गयी.

उन्होंने कहा कि साथ ही भारतीय निर्यात को अन्य देशों में व्यापार बाधाओं को सामना करना पड़ रहा था. गोयल ने कहा कि 2010-11 के बाद एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) को अंतिम रूप दिया गया, भारत के निर्यात में मामूली ही वृद्धि हुई और इसके कारण देश का व्यापार असंतुलन कई गुणा हुआ.

मंत्री ने कहा कि उनसे कहा गया है कि जब भारत ने पिछली सरकार के दौरान एफटीए पर हस्ताक्षर किये, उद्योग की बात नहीं सुनी गयी.

उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि कोई भी एफटीए जल्दबाजी में नहीं होगा या इस रूप से नहीं होगा जिससे भारतीय उद्योग तथा निर्यातकों को नुकसान हो."

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कई दौर की बातचीत हो गयी है.

उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके साथ जो व्यापार सौदा हो, उससे दोनों देशों को समान लाभ हो."

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर गोयल ने कहा कि भारत का मत यह था कि मसलों का समाधान किये बिना यह देश हित में नहीं होगा और देश को इसका बेहतर नतीजा नहीं मिलेगा. यही कारण है कि भारत ने आरसीईपी समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया है.

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