ETV Bharat / business

राष्ट्रीयकरण के 50 साल: निजी बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक बैंकों को कमजोर कर रही सरकार - Public Bank

सरकारी बैंक कर्मचारी संघों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने कहा कि सरकार का असली इरादा निजीकरण का है और बैंकों को कंपनियों, कारोबारी घरानों और पूंजीपतियों को सौंपने का है.

राष्ट्रीयकरण के 50 साल: निजी बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक बैंकों को कमजोर कर रही सरकार
author img

By

Published : Jul 19, 2019, 3:04 PM IST

मुंबई: बैंक कर्मचारी संघों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर निजी क्षेत्र के बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करने और दरकिनार करने का आरोप लगाया. बैंक कम्रचारी संघों का कहना है कि देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किये जाने के 50 साल बाद अब यह स्थिति देखने में आ रही है.

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान विवादस्पद कदम उठाते हुए 19 जुलाई 1969 को अध्यादेश के माध्यम से 14 सबसे बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था. साल 1980 में छह और निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया.

ये भी पढ़ें- बैंकों के राष्ट्रीयकरण का स्वर्णिम सफर, जब इंदिरा गांधी ने बदल दी भारतीय बैंकों की तस्वीर

सरकारी बैंक कर्मचारी संघों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने कहा कि पिछले पचास सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है.

संघ ने दावा किया, "बैंकों का योगदान सराहनीय और प्रशंसनीय होने के बावजूद उन्हें आगे बढ़ाने तथा मजबूत करने के बजाये पिछले 28 सालों में 1991 से लेकर अब तक सरकारों ने लगातार सुधारों की ऐसी नीति अपनाई है, जो कि सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका को कम कर रही है और उन्हें कमजोर बना रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का असली इरादा निजीकरण का है और बैंकों को कंपनियों, कारोबारी घरानों और पूंजीपतियों को सौंपने का है.

संघ ने आरोप लगाया, "सरकारी बैंकों को दिरकिनार करने की कोशिश की जा रही है. सरकार निजी क्षेत्र की बैंकिंग को प्रोत्साहित करने और सार्वजनिक बैंकों को कमजोर करने के उद्देश्य से कंपनियों और औद्योगिक घरानों को अपने बैंक शुरू करने के लिए खुली छूट दे रही है."

मुंबई: बैंक कर्मचारी संघों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर निजी क्षेत्र के बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करने और दरकिनार करने का आरोप लगाया. बैंक कम्रचारी संघों का कहना है कि देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किये जाने के 50 साल बाद अब यह स्थिति देखने में आ रही है.

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान विवादस्पद कदम उठाते हुए 19 जुलाई 1969 को अध्यादेश के माध्यम से 14 सबसे बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था. साल 1980 में छह और निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया.

ये भी पढ़ें- बैंकों के राष्ट्रीयकरण का स्वर्णिम सफर, जब इंदिरा गांधी ने बदल दी भारतीय बैंकों की तस्वीर

सरकारी बैंक कर्मचारी संघों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने कहा कि पिछले पचास सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है.

संघ ने दावा किया, "बैंकों का योगदान सराहनीय और प्रशंसनीय होने के बावजूद उन्हें आगे बढ़ाने तथा मजबूत करने के बजाये पिछले 28 सालों में 1991 से लेकर अब तक सरकारों ने लगातार सुधारों की ऐसी नीति अपनाई है, जो कि सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका को कम कर रही है और उन्हें कमजोर बना रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का असली इरादा निजीकरण का है और बैंकों को कंपनियों, कारोबारी घरानों और पूंजीपतियों को सौंपने का है.

संघ ने आरोप लगाया, "सरकारी बैंकों को दिरकिनार करने की कोशिश की जा रही है. सरकार निजी क्षेत्र की बैंकिंग को प्रोत्साहित करने और सार्वजनिक बैंकों को कमजोर करने के उद्देश्य से कंपनियों और औद्योगिक घरानों को अपने बैंक शुरू करने के लिए खुली छूट दे रही है."

Intro:Body:

राष्ट्रीयकरण के 50 साल: निजी बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक बैंकों को कमजोर कर रही सरकार

मुंबई: बैंक कर्मचारी संघों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर निजी क्षेत्र के बैंकों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करने और दरकिनार करने का आरोप लगाया. बैंक कम्रचारी संघों का कहना है कि देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किये जाने के 50 साल बाद अब यह स्थिति देखने में आ रही है. 

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान विवादस्पद कदम उठाते हुए 19 जुलाई 1969 को अध्यादेश के माध्यम से 14 सबसे बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था. साल 1980 में छह और निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. 

ये भी पढ़ें-  

सरकारी बैंक कर्मचारी संघों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने कहा कि पिछले पचास सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है. 

संघ ने दावा किया, "बैंकों का योगदान सराहनीय और प्रशंसनीय होने के बावजूद उन्हें आगे बढ़ाने तथा मजबूत करने के बजाये पिछले 28 सालों में 1991 से लेकर अब तक सरकारों ने लगातार सुधारों की ऐसी नीति अपनाई है, जो कि सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका को कम कर रही है और उन्हें कमजोर बना रही है. 

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का असली इरादा निजीकरण का है और बैंकों को कंपनियों, कारोबारी घरानों और पूंजीपतियों को सौंपने का है. 

संघ ने आरोप लगाया, "सरकारी बैंकों को दिरकिनार करने की कोशिश की जा रही है. सरकार निजी क्षेत्र की बैंकिंग को प्रोत्साहित करने और सार्वजनिक बैंकों को कमजोर करने के उद्देश्य से कंपनियों और औद्योगिक घरानों को अपने  बैंक  शुरू करने के लिए खुली छूट दे रही है."


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.